सियासत में साधु-संतों को लेकर भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को क्यों लिया निशाने पर?
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, November 11, 2024
Updated On: Monday, November 11, 2024
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के उस बयान को लेकर उन पर निशाना साधा है, जिसमें उन्होंने साधु-संतों और धर्म से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी की थी। भाजपा नेताओं का कहना है कि खरगे का बयान हिंदू धर्म और साधु-संतों के प्रति कांग्रेस के रुख को उजागर करता है और इससे धार्मिक आस्थाओं का अपमान हुआ है।
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी साधु-संतों को लेकर अनादर भरी भाषा का इस्तेमाल करती है, जो पार्टी की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस का यह रवैया एक बार फिर दिखाता है कि पार्टी केवल तुष्टिकरण की राजनीति करती है और बहुसंख्यक समाज की आस्थाओं का सम्मान नहीं करती।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दिया गया विवादित बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) पर दिया गया विवादित बयान अब राजनीति और धार्मिक हलकों में गर्मा गया है। खरगे ने योगी आदित्यनाथ के गेरुआ वस्त्र को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी, जिसपर भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी दलों के साथ ही संत समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दरअसल, मल्लिकार्जुन खरगे ने झारखंड में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और संतों को लेकर कहा था कि कई साधु अब राजनेता बन गए हैं और वे गेरुआ कपड़े पहनकर समाज में नफरत फैला रहे हैं और लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खरगे का ये बयान अब एक विवाद का रूप ले चुका है और इसे लेकर भाजपा और संत समाज की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। मल्लिकार्जुन खरगे पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लग रहा है।
कांग्रेस का यह रवैया चुनावी लाभ पाने के लिए जनता को भ्रमित करने का प्रयास
मल्लिकार्जुन खरगे का बयान उस समय आया है, जब देश में धार्मिक मुद्दों पर चर्चा तेज है। भाजपा (BJP) का दावा है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा साधु-संतों और हिंदू संस्कृति पर की जाने वाली टिप्पणियां, केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही हैं। भाजपा के अनुसार, हिंदू धर्म के प्रति कांग्रेस का यह रवैया चुनावी लाभ पाने के लिए जनता को भ्रमित करने का प्रयास है।
भाजपा और सहयोगी दलों ने की तीखी आलोचना
भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने भी खरगे के बयान पर हमला बोला है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने इसे कांग्रेस की पुरानी मानसिकता करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास हमेशा से झूठ बोलने और समाज में दरार डालने का रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति का सम्मान नहीं किया। कांग्रेस पार्टी की तुलना मुगल आक्रांताओं से करते हुए ब्रजेश पाठक ने तत्काल माफी मांगने के लिए कहा। वहीं कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास बांटकर सत्ता हासिल करने का है। कांग्रेस ने पिछड़े, दलित और मुस्लिम समुदायों को धोखा दिया है। सत्ता में रहते हुए इस पार्टी ने कभी शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और किसानों के हित पर ध्यान नहीं दिया। बिना वजह की बयानबाजी करके ये केवल चर्चा में बने रहना चाहते हैं।
संत समाज की कड़ी प्रतिक्रिया
खरगे के बयान पर संत समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती (Swami Jitendrananda Saraswati) ने कहा कि खरगे का बयान घटिया और निंदनीय है। उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी दी कि अगर वह हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति पर हमले करना बंद नहीं करती, तो संत समाज इसका कड़ा प्रतिकार करेगा। स्वामी जितेन्द्रानंद ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को ऑल इंडिया चर्च कमेटी बताते हुए कहा कि वह हिन्दू और सनातन धर्म पर प्रहार करना छोड़ दें अन्यथा संत समाज कड़ा प्रतिकार करेगी। वहीं अयोध्या के संत स्वामी करपात्री जी महाराज ने भी खरगे के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे के नाम में ‘खड़ग’ होता है, जिसका काम होता है बांटना और काटना, जबकि योगी आदित्यनाथ का नाम ‘योग’ से जुड़ा है, जिसका मतलब होता है जोड़ना। स्वामी करपात्री जी ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा हिन्दू धर्म पर हमला करने वालों का समर्थन किया है।
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भाजपा के आरोप निराधार : कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की ओर से कहा गया है कि भाजपा उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है और इसका उद्देश्य केवल जनता का ध्यान भटकाना है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करती है, और भाजपा के आरोप निराधार हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर दोनों पार्टियों के बीच धार्मिक मुद्दों को लेकर बयानबाजी तेज हो सकती है। हिंदू वोटबैंक को साधने के लिए भाजपा इस मामले को और तूल दे सकती है, जबकि कांग्रेस अपने कथन पर सफाई देते हुए खुद को सभी समुदायों का समर्थक बताने का प्रयास करेगी।
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