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ईवीएम-वीवीपैट की विजय, शंकाएं-आरोप खारिज
ईवीएम-वीवीपैट की विजय, शंकाएं-आरोप खारिज
Authored By: रमेश यादव
Published On: Sunday, April 28, 2024
Updated On: Sunday, April 28, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल (जिस दिन लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की 88 सीटों पर मतदान हो रहा था) को ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की प्रामाणिकता व संदेह को लेकर दायर की गई तमाम याचिकाओं को खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि आज के तकनीकी दौर में बैलट पेपर से चुनाव संभव नहीं है। ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका, जिससे ईवीएम और वीवीपैट की प्रामाणिकता संदिग्ध साबित होती हो। हालांकि न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को इस सिस्टम को और प्रामाणिक बनाने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया है...
Authored By: रमेश यादव
Updated On: Sunday, April 28, 2024
चुनावों में हार जाने के बाद विपक्षी दलों की ओर से लांक्षित होने वाली ईवीएम के दिन लगता है बहुरने वाले हैं। एक तरह से गरीब की गाय बन चुकी ईवीएम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हालांकि विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं बता रही हैं कि ईवीएम की आड़ में अपनी पराजय को छिपाने की उनकी कोशिशें आगे भी जारी रहने वाली हैं। बावजूद इसके कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा और ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बीच 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। यह फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति से दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस अहम फैसले में साफ कर दिया है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा। ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगी। कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील कर सुरक्षित किया जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा।
यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। अगर किसी स्थिति में ईवीएम में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस कर दिया जाएगा। वहीं, अगर ईवीएम से छेड़छाड़ की गई या ईवीएम को किसी तरह का नुकसान पहुंचा तो उम्मीदवार को उसका हर्जाना भरना पड़ेगा। इस दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से संदेह ही पैदा होता है। लोकतंत्र का मतलब ही विश्वास और सौहार्द बनाए रखना है।
दरअसल, मार्च 2023 में एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 100 फीसदी ईवीएम वोटों और वीवीपैट की पर्चियों का मिलान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने फैसला दिया। फिलहाल वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को नोटिस जारी किया था।
अपने जवाब में चुनाव आयोग ने पीठ से कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट में किसी तरह की छेड़छाड़ होना मुमकिन ही नहीं है। आयोग ने इस दौरान मशीनों की सुरक्षा, उन्हें सील करने और उनकी प्रोग्रामिंग के बारे में भी सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराया था। बावजूद सभी सबूतों के एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण मशीनों में छेड़छाड़ की आशंका पर अपनी बात रखते रहे। आखिरकार कोर्ट ने उनसे पूछा भी कि क्या सिर्फ संदेह के आधार पर कोर्ट ईवीएम के बारे में आदेश दे दे वो भी तब जब इसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर 24 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। उस समय भी कोर्ट ने ईवीएम-वीवीपैट के मामले में कहा था कि जिन लोगों ने याचिकाएं लगाई हैं वह खुद गड़बड़ियों को लेकर एकदम पुष्ट नहीं हैं बल्कि उन्हें शंका है। कोर्ट ने जब इस मामले में समाधान पूछा तो एक व्यक्ति ने कहा कि वापस बैलट पेपर लगा दिया जाए। कोर्ट ने 26 अप्रैल को उन्हीं दलीलों के मद्देनजर सब याचिकाएं खारिज कर दीं।
बैलेट पेपर से चुनाव कराने व वीवीपैट की सौ फीसद पर्चियों के मिलान की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट के तुषारापात के बाद बिहार के आरा में एक चुनावी सभी में प्रधानमंत्री मोदी ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि, ‘अब जब गरीबों और ईमानदार लोगों को ईवीएम से ताकत मिली है, तो चुनाव में धांधली करने वाले चिंतित हैं। इसलिए वे ईवीएम निकलवाने के लिए दिन-रात प्रयास करते हैं। लेकिन लोकतंत्र और बाबा साहब आंबेडकर के संविधान की ताकत देखिए, आज सुप्रीम कोर्ट ने मतपेटियां लूटने वालों को ऐसा झटका दिया है कि उनके सारे सपने चकनाचूर हो गए हैं। कोर्ट ने साफ कह दिया है कि बैलेट पेपर का युग वापस नहीं आएगा।’
प्रधानमंत्री के इस करारे प्रहार के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वीवीपैट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की गई याचिका में कांग्रेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पक्षकार नहीं थी। ‘हमने दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर ध्यान दिया है। परंतु चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर हमारा राजनीतिक अभियान जारी रहेगा।’ कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी दी।
उधर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब किसी को शक नहीं रहना चाहिए। अब पुराने सवाल खत्म हो जाने चाहिए। सवालों से वोटर के मन में शक होता है। चुनाव सुधार भविष्य में भी जारी रहेगा। चुनाव कराना एक लंबी प्रक्रिया है और हम इसे पूरी गंभीरता और ईमानदारी से करते हैं। हमें उम्मीद हैं कि इस फैसले के बाद देश में किसी को भी अब ईवीएम को लेकर संदेह नहीं रहेगा और इस तरह के पुराने सवाल अब और नहीं पूछे जाएंगे। अब समय आ गया है कि अविश्वास के इस पुराने अध्याय को खत्म किया जाए। हम सब मिलकर भविष्य में अधिक से अधिक सुधारवादी कदमों की उम्मीद कर सकते हैं।