हरिवंश राय बच्चन की कविताएं – क्यों आज भी हर दिल को छूती हैं उनकी पंक्तियां?

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Tuesday, August 5, 2025

Updated On: Tuesday, August 5, 2025

Poems Of Harivansh Rai Bachchan

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi: हरिवंश राय बच्चन - हिंदी कविता की एक ऐसी आवाज़, जिसने हर दिल पर दस्तक दी है. उनकी कवितायेँ दर्द, उम्मीद, साहस और विश्वास की बातें कहती हैं - वही अनुभूतियाँ जो हर व्यक्ति जीता है. इस आलेख में हम लेकर आए हैं उनकी चुनिंदा कवितायेँ, उनके जज़्बे की झलक, उनके कलम का जादू - एक ऐसी यात्रा, जिसका साथ हर कविता-प्रेमी चाहता है.



Authored By: Ranjan Gupta

Updated On: Tuesday, August 5, 2025

जब भी हिंदी साहित्य की बात होती है, तो कुछ नाम ऐसे हैं जो दिल में घर कर जाते हैं. हरिवंश राय बच्चन का नाम भी उन्हीं में से एक है. आज भी जब कोई व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहा होता है, तो उसके मन में बच्चन जी की पंक्तियां गूंजती हैं – “मधुशाला में जाने का नाम नहीं” या फिर “जो वादा किया वो निभाएंगे”.

बच्चन जी की कविताओं में वो शक्ति है जो एक आम इंसान के दिल को छू जाती है. उनकी रचनाएं न केवल साहित्य की दुनिया में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

जीवन परिचय और साहित्यिक यात्रा

हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था. उनका पूरा नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे बच्चन के नाम से प्रसिद्ध हुए. उनकी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई और बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि लेकर लौटे. उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से आम जनता की भावनाओं को आवाज दी. उनकी भाषा सरल थी और विषय जनसामान्य से जुड़े होते थे.

आइए डालते हैं नज़र हरिवंश राय बच्चन की कविताओं पर जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं.

हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविताएं (Harivansh Rai Bachchan famous Poems)

Poems Of Harivansh Rai Bachchan

जो बीत गई

“जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई.”

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

Poems Of Harivansh Rai Bachchan

“अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
वृक्ष हों भलें खड़े,
हों घने, हों बड़ें,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!—कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
यह महान दृश्य है—
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!”

 न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ

“न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है.
दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे,
वही आ गए ठीक ऊपर हमारे,
क्षितिज पश्चिमी है बुलाता उन्हें अब,
न रोके रुकेंगे हमारे-तुम्हारे.
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है.
उधर तुम, इधर मैं, खड़ी बीच दुनिया,
हरे राम! कितनी कड़ी बीच दुनिया,
किए पार मैंने सहज ही मरुस्थल,
सहज ही दिए चीर मैदान-जंगल,
मगर माप में चार बीते बमुश्किल,
यही एक मंज़िल मुझे खल रही है.
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है.
नहीं आँख की राह रोकी किसी ने,
तुम्हें देखते रात आधी गई है,
ध्वनित कंठ में रागिनी अब नई है,
नहीं प्यार की आह रोकी किसी ने,
बढ़े दीप कब के, बुझे चाँद-तारे,
मगर आग मेरी अभी जल रही है.
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है.
मनाकर बहुत एक लट मैं तुम्हारी
लपेटे हुए पोर पर तर्जनी के
पड़ा हूँ, बहुत ख़ुश, कि इन भाँवरों में
मिले फ़ॉर्मूले मुझे ज़िंदगी के,
भँवर में पड़ा-सा हृदय घूमता है,
बदन पर लहर पर लहर चल रही है.
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है.”

आज मुझसे दूर दुनिया

Poems Of Harivansh Rai Bachchan

“आज मुझसे दूर दुनिया!
भावनाओं से विनिर्मित,
कल्पनाओं से सुसज्जित,
कर चुकी मेरे हृदय का स्वप्न चकनाचूर दुनिया!
आज मुझसे दूर दुनिया!
‘बात पिछली भूल जाओ,
दूसरी नगरी बसाओ’—
प्रेमियों के प्रति रही है, हाय, कितनी क्रूर दुनिया!
आज मुझसे दूर दुनिया!
वह समझ मुझको न पाती,
और मेरा दिल जलाती,
है चिता की राख कर मैं माँगती सिंदूर दुनिया!
आज मुझसे दूर दुनिया!”

साथी, सो न, कर कुछ बात

Poems Of Harivansh Rai Bachchan

“साथी, सो न, कर कुछ बात!
बोलते उडुगण परस्पर,
तरु दलों में मंद ‘मरमर’,
बात करतीं सरि-लहरियाँ कूल से जल-स्नात!
साथी, सो न, कर कुछ बात!
बात करते सो गया तू,
स्वप्न में फिर खो गया तू,
रह गया मैं और आधी बात, आधी रात!
साथी, सो न, कर कुछ बात!
पूर्ण कर दे वह कहानी,
जो शुरू की थी सुनानी,
आदि जिसका हर निशा में, अंत चिर अज्ञात!
साथी, सो न, कर कुछ बात!”

 आओ हम पथ से हट जाएँ

“आओ हम पथ से हट जाएँ!
युवती और युवक मदमाते
उत्सव आज मानने आते,
लिए नयन में स्वप्न, वचन में हर्ष, हृदय में अभिलाषाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!
इनकी इन मधुमय घड़ियों में,
हास-लास की फुलझड़ियों में,
हम न अमंगल शब्द निकालें, हम न अमंगल अश्रु बहाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!
यदि इनका सुख सपना टूटे,
काल इन्हें भी हम-सा लूटे,
धैर्य बँधाएँ इनके उर को हम पथिकों की किरण कथाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!”

इसकी मुझको लाज नहीं है

“मैं सुख पर सुखमा पर रीझा, इसकी मुझको लाज नहीं है.
जिसने कलियों के अधरों में
रस रक्खा पहले शरमाए,
जिसने अलियों के पंखों में
प्यास भरी वह सिर लटकाए,
आँख करे वह नीची जिसने
यौवन का उन्माद उभारा,
मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा, इसकी मुझको लाज नहीं है.
मन में सावन-भादों बरसे,
जीभ करे, पर, पानी-पानी!
चलती-फलती है दुनिया में
बहुधा ऐसी बेईमानी,
पूर्वज मेरे, किंतु, हृदय की
सच्चाई पर मिटते आए,
मधुवन भोगे, मरु उपदेशे मेरे वंश रिवाज़ नहीं है.
मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा, इसकी मुझको लाज नहीं है.
चला सफ़र पर जब तक मैंने
पथ पूछा अपने अनुभव से,
अपनी एक भूल से सीखा
ज़्यादा, औरों के सच सौ से,
मैं बोला जो मेरी नाड़ी
में डोला, जो रग में घूमा,
मेरी नाड़ी आज किताबी नक़्शों की मोहताज नहीं है.
मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा, इसकी मुझको लाज नहीं है.
अधरामृत की उस तह तक मैं
पहुँचा विष को भी चख आया,
और गया सुख को पिछुआता
पीर जहाँ वह बनकर छाया,
मृत्यु गोद में जीवन अपनी
अंतिम सीमा पर लेटा था,
राग जहाँ पर, तीव्र अधिकतम है, उसमें आवाज़ नहीं है.
मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा, इसकी मुझको लाज नहीं है.”

 तुम्हारे नील झील-से नैन

“तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर निर्झर-से लहरे केश.
तुम्हारे तन का रेखाकार
वही कमनीय, कलामय हाथ
कि जिसने रुचिर तुम्हारा देश
रचा गिरि-ताल-माल के साथ,
करों में लतरों का लचकाव,
करतलों में फूलों का वास,
तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर निर्झर-से लहरे केश.
उधर झुकती अरुनारी साँझ,
इधर उठता पूनो का चाँद,
सरों, शृंगों, झरनों पर फूट
पड़ा है किरनों का उन्माद,
तुम्हें अपनी बाँहों में देख
नहीं कर पाता मैं अनुमान,
प्रकृति में तुम बिंबित चहुँ ओर
कि तुममें बिंबित प्रकृति अशेष.
तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर झर्झर-से लहरे केश.
जगत है पाने को बेताब
नारि के मन की गहरी थाह—
किए थी चिंतित औ’ बेचैन
मुझे भी कुछ दिन ऐसी चाह—
मगर उसके तन का भी भेद
सका है कोई अब तक जान!
मुझे है अद्भुत एक रहस्य
तुम्हारी हर मुद्रा, हर वेश.
तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर निर्झर-से लहरे केश.
कहा मैंने, मुझको इस ओर
कहाँ फिर लाती है तक़दीर,
कहाँ तुम आती हो उस छोर
जहाँ है गंग-जमुन का तीर;
विहंगम बोला, युग के बाद
भाग से मिलती है अभिलाष;
और… अब उचित यहीं दूँ छोड़
कल्पना के ऊपर अवशेष.
तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर निर्झर-से लहरे केश.
मुझे यह मिट्टी अपना जान
किसी दिन कर लेगी लयमान,
तुम्हें भी कलि-कुसुमों के बीच
न कोई पाएगा पहचान,
मगर तब भी यह मेरा छंद
कि जिसमें एक हुआ है अंग
तुम्हारा औ’ मेरा अनुराग
रहेगा गाता मेरा देश.
तुम्हारे नील झील-से नैन,
नीर निर्झर-से लहरे केश.”

FAQ

हरिवंश राय बच्चन की कविताओं का मुख्य संदेश जीवन का साहस, विश्वास, उम्मीद और अनुभूतियों की अभिव्‍यक्ति है – हर मुश्किल पर भारी रहती उम्मीद.

हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाओं में मधुशाला, मधुबाला, मिलन यात्रा, नीड़ का निर्माण फिर सहित अनेक कविताएँ शामिल हैं.

हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी कविता पर गहरा प्रभाव दिया. उनके शेर हिंदी भाषा की अभिव्‍यक्ति, अनुभूति और प्रेरणा का अहम हिस्सा हैं, जिसका असर हर नए कवि पर नजर आता है.

बच्चन जी की कविताएं महत्वपूर्ण हैं क्योंकि:

  • उनके विषय शाश्वत हैं – प्रेम, दर्द, खुशी
  • हर व्यक्ति उनके अनुभूतियों से खुद को जोड़ पाता है
  • मुश्किल दिनों में प्रेरणा देती हैं
  • एकजुट होने का संदेश देती हैं
  • आत्मनिरीक्षण का मार्ग दिखाती हैं

हरिवंश राय बच्चन को निम्नलिखित प्रमुख सम्मान मिले:

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • पद्म भूषण
  • राज्यसभा सदस्यता
  • सरस्वती सम्मान
  • अनेक विश्वविद्यालयों की मानद उपाधियां
  • हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ युवाओं को संदेश देती हैं:
  • मुश्किलें आने पर घबराओ नहीं
  • हर परिस्थिति में उम्मीद बनाए रखें
  • व्यक्तित्व का विकास करना ज़रुरी है
  • भेदभाव का विरोध किया जाना चाहिए
  • जीवन में प्रेम, एकजुटता और प्रयास महत्वपूर्ण हैं


About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
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