टियर-2 एवं 3 शहरों के युवा नौकरी की बजाय उद्यमिता में जोखिम उठाने को हो रहे तैयार, स्टार्टअप में बढ़ी रुचि

टियर-2 एवं 3 शहरों के युवा नौकरी की बजाय उद्यमिता में जोखिम उठाने को हो रहे तैयार, स्टार्टअप में बढ़ी रुचि

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Saturday, December 7, 2024

india is third largest emerging startup ecosystem
india is third largest emerging startup ecosystem

केंद्र सरकार भारत को इनोवेशन हब के रूप में देखना चाहती है। इसमें वह स्टार्टअप्स की भूमिका को अहम मानती है। वर्तमान समय में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है भारत। देश के 670 से अधिक जिलों में डीपीआइआइटी से मान्यता प्राप्त 77 हजार से अधिक स्टार्टअप्स हैं। इनमें से 50 फीसदी स्टार्टअप्स टियर-2 एवं 3 शहरों से हैं, जो दर्शाता है कि अब छोटे शहरों के युवा उद्यमियों की दिलचस्पी भी इसमें बढ़ रही है।

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Saturday, December 7, 2024

हाइलाइट्स

  • चौथे नेशनल स्टार्टअप रैंकिंग में ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेंलगाना, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, त्रिपुरा जैसे राज्य ‘टॉप परफॉर्मर्स एवं लीडर्स’ के रूप में चिह्नित किए गए हैं।
  • बिहार, हरियाणा, नागालैंड, अंडमान एवं निकोबार आइलैंड को ‘एस्पायरिंग लीडर्स’के तौर पर शामिल किया गया है।
  • छत्तीसगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, लद्दाख, पुडुचेरी, सिक्किम एवं मिजोरम को ‘इमर्जिंग स्टार्टअप इकोसिस्टम’ के रूप में पहचान हासिल हुई है।

1991 के करीब भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद भी हिंदी पट्टी या उत्तर भारतीय युवाओं की सोच व मानसिकता में परिवर्तन नहीं आया। वे नौकरी को ही प्राथमिकता देते रहे। क्योंकि उद्यमिता में आने के लिए उनके सामने अधिक प्रभावी मिसालें नहीं थीं। हां, बीते कुछ वर्षों में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा, योरस्टोरी की संस्थापक श्रद्धा शर्मा, ग्रेडअप के सह-संस्थापक शोभित भटनागर, गाना डॉट कॉम के संस्थापक अविनाश, इंटरसिटी के सह-संस्थापक मनीष राठी जैसे कुछ नए उद्यमी जरूर अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। कहीं न कहीं इनसे प्रेरणा लेकर आज टियर-2 एवं 3 शहरों के युवा भी बिजनेस के जोखिम को उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं। जयपुर, इंदौर, पटना, भोपाल जैसे शहरों में स्टार्टअप्स की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।

पटना में स्टार्टअप की रखी नींव

सिंगापुर की मोटोरोला यूनिवर्सिटी (Motorola University) से सिक्स सिग्मा ग्रीन बेल्ट की उपलब्धि प्राप्त करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी विप्रो (Wipro, a multinational company) से करियर की शुरुआत करने वालीं हिमानी मिश्रा ने बिहार जैसे राज्य में स्टार्टअप करने की चुनौती को स्वीकार किया। इन्होंने पटना में डिजिटल मार्केटिंग एवं आइटी कंपनी ‘ब्रांड रेडियेटर’ की स्थापना की। टाटा टेलीसर्विसेज एवं टेलीनॉर में कई प्रमुख पदों पर कार्य करने वाली हिमानी ने करीब 14 वर्ष कॉरपोरेट जगत में बिताने के बाद उद्यमिता में कदम रखने का बड़ा फैसला लिया, ताकि बिहार से हो रहे प्रतिभा पलायन को रोक सकें। इसमें वह काफी हद तक कामयाब भी हुई हैं। उन्होंने प्रदेश के शिक्षित व प्रतिभाशाली युवाओं को आजीविका का साधन उपलब्ध कराया है। हिमानी कहती हैं, ‘इसमें दो राय नहीं कि यहां उद्यमिता या स्टार्टअप को लेकर उचित वातावरण अथवा इकोसिस्टम विकसित नहीं हो पाया है, चाहे वह निवेश को लेकर हो या नवाचार को। सरकारी नीतियों एवं प्रेरणा की कमी युवाओं को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकती है। शिक्षा व्यवस्था भी उद्यमिता को प्रोत्साहित नहीं कर पा रही है। बावजूद इसके, हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारत आज भी टियर 2 और 3 शहरों व कस्बों में बसता है। वहां प्रतिभा की कमी नहीं। सिर्फ एक अवसर देने की आवश्यकता है।‘

वाराणसी से निकल बेंगलुरु में स्थापित की कंपनी

vipul singh

मूल रूप से वाराणसी के निवासी और बेंगलुरू में ‘आरव अनमैंड सिस्टम’ की स्थापना करने वाले विपुल सिंह (Vipul Singh) कहते हैं, ‘अवसर मिलते नहीं, निकालने पड़ते हैं। अपनी बात करूं, तो मैं अपने अनुभवों से सीखकर आगे बढ़ा हूं। उद्यमिता में आने का फैसला भी आपका अपना होता है। परिवार के विरोध के बावजूद अपनेजुनून से आगे बढ़ना होता है।‘ दरअसल, विपुल के पिता की ख्वाहिश थी कि बेटा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी कर ले। उनकी खुद की आमदनी इतनी थी कि किसी तरह बच्चों को पढ़ा पा रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि उन्हें जीवन में जिस प्रकार का संघर्ष करना पड़ा है, बच्चों को भी उन्हीं स्थिति से गुजरना पड़े। लेकिन विपुल की सोच अलग थी। वह अपना कुछ शुरू करना चाहते थे। नोएडा से बीटेक करने के बाद उन्हें आइआइटी कानपुर में रिसर्चर के तौर पर कार्य करने को मिला। वहां उनकी रुचि ड्रोन टेक्नोलॉजी में हुई और कड़ी मेहनत के बाद एक दिन उन्होंने अपनी कंपनी ‘आरव अनमैंड सिस्टम’ लॉन्च की, जो ड्रोन का निर्माण करती है।

राजस्थान के रोमन सैनी ने स्थापित की ‘अनएकेडमी’

roman saini

रोमन सैनी किसी पहचान के मोहताज नहीं। राजस्थान से आने वाले इस युवा ने16 वर्ष की आयु में पहले नीट की परीक्षा क्लियर कर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। कुछ समय जूनियर रेजिडेंट के तौर पर कार्य किया। लेकिन मन के किसी कोने में प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा थी। इसलिए 2014 में यूपीएससी की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में उसमें सफल भी हो गए। वे मध्यप्रदेश में जबलपुर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बनाए गए। हालांकि, एक साल के बाद रोमन ने नौकरी से भी त्यागपत्र दे दिया और उद्यमिता की ओर कदम बढ़ा दिए। उन्होंने अपने दोस्त गौरव मुंजाल के साथ मिलकर ‘अनएकेडमी’ की शुरुआत की। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसकी मार्केट वैल्यू आज करीब 26 हजार करोड़ रुपये है। राजस्थान के मूल निवासी रोमन की मानें, तो कोई भी अपने सपने को पूरा कर सकता है। परिस्थिति कैसी भी हो, हमें सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखना होता है। बिजनेस में जोखिम होते हैं, इसलिए हर फैसला काफी सोच-समझकर लेना होता है।

कौशल विकास के जरिये उद्यमिता को मिले बढ़ावा

बिहार के मूल निवासी एवं फिनटेक कंपनी ‘लोनटैप’ के सीईओ सत्यम कुमार (SatyamKumar) भी रोमन के कथन से सहमति रखते हैं। उनका कहना है कि कारोबार में सफल होने के लिए बड़े फैसले और जोखिम लेने पड़ते हैं। लेकिन छोटे राज्यों से आने वाले य़ुवा आमतौर पर ये रिस्क लेने से बचते हैं। उनका फोकस एक अच्छी नौकरी पाने पर होता है। इसलिए उनके माता-पिता भी नहीं चाहते हैं कि बच्चे बिजनेस करने का जोखिम उठाएं। पटना स्थित ब्रांड रेडिएटर की एमडी हिमानी मिश्रा कहती हैं, ‘उद्यमिता को नया आयाम देने के लिए अत्यंत जरूरी है कि युवाओं को थोड़ी वित्तीय स्वतंत्रता दी जाए। कौशल विकास के लिए प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें पैसे के सही इस्तेमाल के बारे में सिखाया जाए। उनसे उनके लक्ष्य और इच्छाओं के बारे में बात करके, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। वे जितना बाजार के अवसरों के बारे में जागरूक होंगे, उतना अच्छा। सामाजिक स्तर पर भी लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए प्रेरित करना होगा। जब सरकारी नीतियां उद्यमिता के पक्ष में होंगी, तो एक विश्वास पैदा होगा और युवा दृढ़ विश्वास के साथ आगे आएंगे।

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।

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