Ekadashi Shraddh 2025: पितृ पक्ष में एकादशी श्राद्ध की महत्ता

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, September 11, 2025

Last Updated On: Thursday, September 11, 2025

Ekadashi Shraddh 2025 – पितृ पक्ष में एकादशी श्राद्ध का महत्व,
Ekadashi Shraddh 2025 – पितृ पक्ष में एकादशी श्राद्ध का महत्व,

Ekadashi Shraddh 2025 : इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर- 21 सितंबर तक रहेगा. पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्त्व है. जिन लोगों की मृत्यु किसी भी माह की एकादशी तिथि को हुई है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है.

Authored By: स्मिता

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Ekadashi Shraddh 2025: एकादशी का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक है. यह तन और मन को शुद्ध करने, भगवान विष्णु की भावपूर्ण भक्ति करने और आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखता है. माना जाता है कि एकादशी के दौरान उपवास करने से शरीर की शुद्धि होती है. इंद्रियों और मन को नियंत्रित किया जा सकता है. पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी का बहुत अधिक महत्व है.

7 सितंबर से 21 सितंबर तक पितृ पक्ष (Pitru Paksha Date)

पंचांग के अनुसार, हर साल पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से मानी जाती है. यह आश्विन मास की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या तक चलती है. इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो गया है, जो 21 सितंबर तक चलने वाला है.

पितृ पक्ष की एकादशी तिथि की महत्ता (Pitru Paksha Ekadashi Tithi)

जिन लोगों की मृत्यु किसी भी माह की एकादशी तिथि को हुई है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है. साथ ही जिन लोगों ने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया है और संन्यास धारण कर लिया है, उनका श्राद्ध भी एकादशी तिथि (Ekadashi Shradh 2025) को किया जाता है. पितृ पक्ष में किस दिन करना चाहिए एकादशी श्राद्ध.

एकादशी श्राद्ध (Ekadashi Shraddh Date & Time)

पितृ पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है. यह तिथि 17 सितंबर 2025 को रात्रि 11:39 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि की मान्यता अधिक होने के कारण एकादशी श्राद्ध बुधवार, 17 सितंबर को ही किया जाएगा.

एकादशी श्राद्ध की महत्ता (Ekadashi Shraddh Significance)

एकादशी श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिनका निधन एकादशी (चंद्र पक्ष का ग्यारहवां दिन) को हुआ था. उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करने के लिए एकादशी श्राद्ध किया जाता है. यह पितृ पक्ष या पूर्वजों के लिए समर्पित पखवाड़े का हिस्सा है. इसमें पिंडदान और तर्पण जैसे अनुष्ठान शामिल हैं, ताकि उनकी आत्मा को पोषण और प्रार्थना प्रदान की जा सके. इन अनुष्ठानों को करने से परिवार का धर्म पूरा होता है और समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.

किए जाने वाले अनुष्ठान (Ekadashi Shraddh Rituals)

  • पिंडदान – इसमें अन्य सामग्रियों के साथ मिश्रित चावल के गोले अर्पित किए जाते हैं. इससे दिवंगत आत्मा को पोषण मिलता है. यह उनकी यात्रा का प्रतीक है.
  • तर्पण – इस अनुष्ठान में दिवंगत आत्माओं के सूक्ष्म जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना और मंत्रोच्चार के साथ जल अर्पित किया जाता है.
  • शुभ समय – श्राद्ध कर्म आमतौर पर विशिष्ट शुभ समयों, जैसे कुटुंब मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त के दौरान किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तर्पण स्वीकार हो जाए और आशीर्वाद प्राप्त हो.

जीवों के लिए लाभ (Shraddh Importance)

आशीर्वाद और समृद्धि – माना जाता है कि एकादशी श्राद्ध करने से अनुष्ठान करने वाले परिवारों को आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त होती है.
पूर्वजों की शांति – अनुष्ठान करने से पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने में मदद मिलती है.
बुरे कर्मों का निवारण – परंपराओं के अनुसार श्राद्ध करने से पिछले जन्मों के नकारात्मक कर्मों से छुटकारा मिल सकता है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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