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‘इनरनेट’ स्वयं से जुड़ने का आग्रह करता है योग
‘इनरनेट’ स्वयं से जुड़ने का आग्रह करता है योग
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, June 20, 2025
Last Updated On: Friday, June 20, 2025
स्वामी चिदानंद सरस्वती इस बात पर जोर देते हैं कि योग वास्तव में व्यक्तियों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ऋषि इंटेलिजेंस की ओर मुड़ने और अपने भीतर के आत्म से जुड़ने यानी ‘इनर नेट’ का आग्रह करता है. मूल रूप से योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को अपनाने वाली जीवन शैली है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, June 20, 2025
Innernet Yoga: योग के बारे में स्वामी चिदानंद सरस्वती बताते हैं कि योग शारीरिक आसन से कहीं अधिक है. यह एकता, जागरूकता और परस्पर जुड़ाव की भावना को बढ़ावा देता है. यह व्यक्तियों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ऋषि इंटेलिजेंस की ओर मुड़ने और अपने भीतर के आत्म से जुड़ने का आग्रह करता है. स्वामी जी सभी से ‘योग करने, योग बनने और योग साझा करने’ के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
जीवन शैली के रूप में योग
स्वामी चिदानंद सरस्वती मानते हैं कि योग किसी विशिष्ट समय या स्थान तक सीमित नहीं है. यह हर पल में जीने वाला एक निरंतर अभ्यास है. यह जीवन के सभी पहलुओं को एक साथ लाता है. यदि इसे नियमित रूप में अपनाया जाए, तो व्यक्ति ज्यादातर मानसिक और शारीरिक समस्याओं से दूर रहेगा.
एकता सूत्र में बांधता है योग
योग युग्म यानी जोड़ को कहते हैं. यह लोगों को जोड़ता है. यदि योग को समूह में किया जाए तो यह एकता, जागरूकता और समावेशिता का प्रतीक है. इसमें सभी को शामिल किया जाता है. इसमें किसी को भी बाहर नहीं रखा जाता है. किसी भी स्वरुप या व्यक्ति या चीज़ को निकृष्ट समझकर बाहर नहीं रखा जाता है.
इनर-नेट कनेक्शन
स्वामी चिदानंद सरस्वती योग को “इनर-नेट” कहते हैं. इसका अर्थ यह है कि यह हमारे आंतरिक स्व से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है. योग केवल इंटरनेट से जुड़ने नहीं कहता है, बल्कि स्वयं से जुड़ने के लिए कहता है. भारत की प्राचीन परंपराओं में निहित योग ऋषियों की ओर से दिया गया एक उपहार है. इसमें विचारों और कार्यों को संतुलित करके और सद्भाव को बढ़ावा देकर जीवन को बदलने की शक्ति है.
सेवा और करुणा
स्वामीजी योग को सेवा से जोड़ते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि दूसरों की सेवा करना ईश्वर से जुड़ने का एक तरीका है. वे करुणा के महत्व और सभी प्राणियों में ईश्वर को पहचानने पर जोर देते हैं. ये व्यक्तियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि यदि आप सही तरीके से योग करेंगे, तो आप चाहेंगे कि कोई भी भूखा न सोए. किसी भी व्यक्ति को किसी चीज़ की कमी नहीं हो.
“मैं” को “हम” में बदलता है योग
जब “मैं” “हम” बन जाता है, तो बीमारी स्वतः भाग जाती है. योग जीवन और दिल दोनों में स्वस्थता लाता है. यह आत्म-केंद्रित होने की बजाय सामूहिकता पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव देती है. योग पर्यावरण चेतना से भी जुड़ा है. हरित योग धरती माता के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति और पर्यावरण के प्रति समर्पण की याद दिलाते हैं.