Karva Chauth 2025: पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए चंद्रमा को अर्घ्य

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, September 15, 2025

Last Updated On: Monday, September 15, 2025

Karva Chauth 2025 व्रत और चंद्रमा को अर्घ्य.
Karva Chauth 2025 व्रत और चंद्रमा को अर्घ्य.

Karva Chauth 2025 : पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और परिवार की समृद्धि के लिए भारत भर में करवा चौथ उत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष यह 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, September 15, 2025

हर त्योहार का अपना महत्व है. (Karva Chauth 2025) करवा चौथ की भी अपनी विशेषता है. करवा चौथ या करक चतुर्थी उत्तरी भारत, पश्चिमी भारत और नेपाल में मनाया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से महिलायें अक्टूबर या नवंबर में कार्तिक माह में मनाती हैं. करवा चौथ हिंदू कैलेंडर के चंद्र-सौर संस्करण के आधार पर मनाया जाता है.

करवा चौथ 2025 तिथि और समय (Karva Chauth Date & Time)

तिथि चंद्रोदय का समय
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 शाम को 07 बजकर 42 मिनट पर

करवा चौथ का उपवास (Karva Chauth Vrat Fast Significance)

करवा चौथ पर मुख्य रूप से विवाहित महिलायें पति की दीर्घायु, सुरक्षा और कल्याण की प्रार्थना के लिए उपवास रखती हैं। महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक पूरे दिन कठोर उपवास रखती हैं। इसके बाद वे छलनी से चंद्रमा और फिर अपने पति को देखकर उपवास तोड़ती हैं। यह नाम “करवा” (मिट्टी का बर्तन) और “चौथ” (चौथा दिन) से मिलकर बना है. कार्तिक चंद्र माह में पूर्णिमा के बाद चौथे दिन करवा में चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है.

करवा चौथ व्रत (Karva Chauth 2025)

विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत (बिना भोजन या जल) रखती हैं. वे भोर से पहले भोजन यानी सरगी करती हैं. सरगी का भोजन करवा चौथ व्रत रखने वाली स्त्रियों के लिए आमतौर पर घर की बुजुर्ग महिलाएं बनाती हैं.

चंद्र पूजा-अर्घ्य (Chandra Arghya) – सूर्यास्त के समय महिलाएं अनुष्ठान करने के लिए एकत्रित होती हैं. इसमें वे एक विशेष छलनी से चंद्रमा को जल अर्पित करती हैं. ईश्वर से पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं.

व्रत तोड़ना है महत्वपूर्ण – चंद्रमा के उदय होने और विभिन्न अनुष्ठान करने के दौरान अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है. इसमें आमतौर पर पति सबसे पहले छलनी से पत्नी को देखता है. स्त्रियां दिन भर अन्य विवाहित स्त्रियों के साथ मिलकर करवा कथा सुनती और सुनाती हैं.

करवा चौथ का महत्व (Karva Chauth Importance)

यह त्योहार विवाह में गहरे प्रेम, समर्पण और प्रतिबद्धता का प्रतीक है. मान्यता है कि उनकी प्रार्थना पति के स्वास्थ्य और समृद्धि को सुनिश्चित करती है.

प्राचीन मान्यता (Karwa Chauth Mythological Aspect)

यह अनुष्ठान इस विश्वास पर आधारित है कि पत्नी की भक्ति से पति को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन मिलता है. यह सावित्री और सत्यवान की कहानी के समान है, जिसमें सावित्री की भक्ति ने मृत पति को वापस जीवित कर दिया था. प्राचीन काल में यह उत्सव नवविवाहित महिलाओं द्वारा अन्य महिलाओं के साथ गहरे बंधन बनाने की परंपरा से भी विकसित हुआ है. इन्हें “देवी-बहनें” या “कंगन-सहेली” कहा जाता है.

ये भी पढ़ें:- Dev Uthani Ekadashi 2025: चातुर्मास के अंत का प्रतीक है देवउत्थान एकादशी

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
Leave A Comment

अन्य लाइफस्टाइल खबरें