ध्यान अंतर्मन को प्रकाशित करता है: संत राजिंदर सिंह महाराज!

ध्यान अंतर्मन को प्रकाशित करता है: संत राजिंदर सिंह महाराज!

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, May 8, 2025

Last Updated On: Thursday, May 8, 2025

Sant Rajinder Singh on Inner Light Meditation
Sant Rajinder Singh on Inner Light Meditation

संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान आत्म-जागरूक बनाता है. परमात्मा की शक्ति से गहरा संबंध स्थापित हो पाता है. यह अंतर्मन को प्रकाशित करता है. इससे कई अन्य आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Thursday, May 8, 2025

Sant Rajinder Singh on Inner Light Meditation: ध्यान से कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं. संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान आत्म-जागरूक बनाता है. इससे खुद से और परमात्मा की शक्ति से गहरा संबंध स्थापित हो पाता है. शांति और कल्याण की भावना प्रबल होती है. यह विचारों, भावनाओं और दृष्टिकोणों में सकारात्मक बदलाव भी ला सकता है, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण और पूर्ण जीवन को बढ़ावा मिलता है. इस विषय पर संत राजिंदर सिंह महाराज के विचार गहराई से जानते हैं.

प्रार्थना का सर्वोच्च रूप है ध्यान

संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने भीतर मौजूद प्रेम, शांति और स्थिरता का अनुभव करते हैं. यह हमारे ध्यान को बाहरी दुनिया से हटाकर अपने भीतर केंद्रित करके ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने की प्रक्रिया है. ऐसा करने से हम अपने आस-पास की उथल-पुथल से ध्यान हटाकर सभी प्रेम, सभी आनंद के स्रोत, जो ईश्वर हैं, से जुड़ पाते हैं. ध्यान प्रार्थना का सर्वोच्च रूप है और यह हमारे भीतर मौजूद अप्रयुक्त प्रेम के भंडार के द्वार खोलता है. ध्यान वह साधन है जिसके द्वारा आत्मा ईश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करती है.

ईश्वर के आंतरिक प्रकाश का अनुभव (Inner Light)

संत राजिंदर सिंह जी महाराज के अनुसार, साइंस ऑफ़ स्पिरिचुअलिटी में सिखाई जाने वाली ध्यान की तकनीक है एसओएस ध्यान. यह ईश्वर के आंतरिक प्रकाश का अनुभव करने पर केंद्रित है. इसे एक विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता है, जिसका अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे उसकी उम्र, आस्था या विश्वास कुछ भी हो। ध्यान के इस रूप में ध्यान आध्यात्मिक आंख या आत्मा के आसन पर केंद्रित होता है. यह दोनों भौंहों के बीच और पीछे होता है. आत्मा का यह स्थान आंतरिक आध्यात्मिक क्षेत्रों का प्रवेशद्वार है. जैसे-जैसे हमारी संवेदी धारायें इस बिंदु तक उठती हैं और वहाँ केंद्रित होती हैं, यह आंतरिक क्षेत्रों में खुलती हैं. इसकी प्रकृति आध्यात्मिक है.

ध्यान का असली उद्देश्य अपने आध्यात्मिक सार से जुड़ना (Aim of Meditation)

ध्यान का असली उद्देश्य अपने आध्यात्मिक सार से जुड़ना और ईश्वर के प्रेम का अनुभव करना है. इससे आंतरिक शांति और खुद और ईश्वर की गहरी समझ प्राप्त होती है. ध्यान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लाभ प्रदान करता है. इन्हें आध्यात्मिक परिवर्तन के रूप में देखा जाता है. ध्यान के दौरान अंदर की ओर ध्यान केंद्रित करके, व्यक्ति अपने भीतर छिपी आध्यात्मिक ऊर्जा का दोहन कर सकते हैं. अपने आंतरिक देवत्व के साथ एक गहन संबंध का अनुभव कर सकते हैं, जिससे अंततः पूर्णता और कल्याण की भावना पैदा होती है।

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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