हर श्राद्ध अनुष्ठान के पीछे है विज्ञान : सद्गुरु जग्गी वासुदेव

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, September 9, 2025

Last Updated On: Tuesday, September 9, 2025

Shraddha Ritual Science Sadhguru – श्राद्ध अनुष्ठानों का विज्ञान.
Shraddha Ritual Science Sadhguru – श्राद्ध अनुष्ठानों का विज्ञान.

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, मृत्यु बाद के संस्कार और श्राद्ध अनुष्ठान के पीछे विज्ञान भी है. इसे हमें सही तरीके से समझना होगा. इनकी महत्ता स्थूल और सूक्ष्म जगत दोनों के लिए है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, September 9, 2025

Shraddha Ritual Science Sadhguru: आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, यह शरीर एक संचय है. यह पृथ्वी का एक टुकड़ा है जिसे हमने धीरे-धीरे उठाया है. शरीर में हमने जो कुछ भी उठाया है, उसे हमें परमाणु-दर-परमाणु वापस छोड़ना होगा. जहां तक मन की बात है, मृत्यु की प्रक्रिया के साथ विवेकशील बुद्धि भी छूट जाती है. यह सारी जानकारी जो एकत्रित होती है, सूक्ष्म शरीर और सूक्ष्म मन और वह जानकारी जिसे कर्म कहा जाता है, अभी भी बरकरार है, लेकिन विवेक चला गया है. यदि आप अस्तित्व की सुखद अवस्था में जाते हैं, तो उसे स्वर्ग कहा जाता है. यदि आप अस्तित्व की अप्रिय अवस्था में जाते हैं, तो उसे नरक कहा जाता है. ये भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि अनुभवजन्य वास्तविकता है.

वातावरण पर प्रभाव

मृत्यु संस्कार और श्राद्ध केवल मृत व्यक्ति की यात्रा में सहायता के लिए ही नहीं होते हैं, बल्कि वे उन लोगों के लाभ के लिए भी होते हैं जो पीछे रह गए हैं. अगर यह मृत व्यक्ति हमारे आसपास बहुत सारी अशांत जिंदगी छोड़ जाता है, तो हमारा जीवन अच्छा नहीं रहेगा. ऐसा नहीं है कि भूत आकर किसी को पकड़ लेंगे. लेकिन यह वातावरण को प्रभावित कर सकता है. यह आसपास के लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकता है. यह आसपास के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है. यही कारण है कि दुनिया की हर संस्कृति में मृतकों के लिए अपने-अपने प्रकार के अनुष्ठान होते हैं.

अनुष्ठान का महत्व

आमतौर पर इनमें से अधिकांश अनुष्ठान प्रियजनों के कुछ मनोवैज्ञानिक कारणों को शांत करने के लिए होते हैं. किसी न किसी रूप में, इनका एक निश्चित महत्व और विज्ञान भी होता था. लेकिन, किसी अन्य संस्कृति में भारतीयों जैसी विस्तृत विधियां नहीं हैं. इस संस्कृति में मृत्यु को जिस समझ और गहराई से देखा गया है, वैसा किसी ने नहीं देखा. मृत्यु के क्षण से ही या उसके होने से पहले भी व्यक्ति को शांतिपूर्ण तरीके से मरने में मदद करने के लिए संपूर्ण प्रणालियां मौजूद थीं.

अनुष्ठान के पीछे का विज्ञान

आज मृत्यु और श्राद्ध के अनुष्ठान और भी महत्वपूर्ण हो गए हैं. क्योंकि पृथ्वी पर लगभग हर व्यक्ति अपने भीतर के जीवन तंत्र की आवश्यक समझ के बिना अचेतन अवस्था में मरने लगा है. पुराने दिनों में अधिकांश लोग संक्रमण और बीमारियों से मरते थे. इसलिए लोगों ने अपने शरीर से परे उनकी मदद के लिए एक संपूर्ण विज्ञान की रचना की. जब वे शरीर में थे, तो शायद आस-पास के लोग यह पता नहीं लगा पाए कि उनकी बीमारी क्या है या व्यक्ति को ज़रूरी इलाज नहीं मिला या कुछ और हुआ और उनकी मृत्यु हो गई. इसलिए कम से कम उनकी मृत्यु के बाद वे उनकी इस तरह मदद करना चाहते थे कि वे जल्दी ही विलीन हो जायें. इस तरह इन अनुष्ठानों के पीछे का पूरा विज्ञान विकसित हुआ. दुर्भाग्य से आज यह ज़्यादातर एक अर्थहीन अनुष्ठान बन गया है जिसे बिना ज़रूरी समझ या विशेषज्ञता के किया जाता है.

दिवंगत आत्मा के मन को प्रभावित करने का अनुष्ठान

सद्गुरु बताते हैं कि श्राद्ध दिवंगत आत्मा के मन को प्रभावित करने का एक अनुष्ठान है, जो मृत्यु के बाद विवेकहीन हो जाता है और शरीर के भ्रम में फंस सकता है. नाखूनों और बालों का लगातार बढ़ना जैसी शारीरिक प्रक्रिया मृत्यु के बाद शरीर में “मौलिक जीवन” की उपस्थिति का संकेत देती हैं. मूलाधार ऊर्जा केंद्र को बंद करने के लिए पैर के अंगूठे बांधने और श्राद्ध जैसे वार्षिक मृत्यु अनुष्ठानों का उद्देश्य देह-रहित मन की विवेकहीन अवस्था में “एक बूँद मिठास” डालना है. इससे उस मिठास को कई गुना बढ़ाने और एक सुखद अवस्था का अनुभव करने में मदद मिलती है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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