दिल्ली में अब मन नहीं लगता चिराग पासवान का, क्या बिहार को लेकर कर रहे हैं कोई खास प्लानिंग ?

दिल्ली में अब मन नहीं लगता चिराग पासवान का, क्या बिहार को लेकर कर रहे हैं कोई खास प्लानिंग ?

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, April 19, 2025

Updated On: Saturday, April 19, 2025

Bihar Assembly Election 2025 : चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में जुटे, राजनीतिक बदलाव के संकेत.
Bihar Assembly Election 2025 : चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में जुटे, राजनीतिक बदलाव के संकेत.

मोदी सरकार में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने हाल ही में एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में दिल की बात कह दी. उन्होंने कहा कि अब उनका दिल्ली में मन नहीं लगता है और वह बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में पूरी तरह से लौटने की तैयारी कर रहे हैं. चिराग पासवान ने कहा, "दिल्ली में मन नहीं लगता, मेरी राजनीति की असली ज़मीन बिहार है. वहीं लोगों के बीच रहकर काम करने में सच्ची संतुष्टि मिलती है.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Saturday, April 19, 2025

Bihar Assembly Election 2025 : LJP राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज कर दिया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग (Chirag Paswan) बिहार में कुछ बड़ा प्लान कर रहे हैं. खासकर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Election 2025 ) को ध्यान में रखते हुए वे अभी से ज़मीन तैयार करने में जुट गए हैं.

चिराग पासवान (Chirag Paswan) इस समय केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक औपचारिक रूप से इस्तीफे की कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके बयान को राजनीतिक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या मंत्री पद से देंगे इस्तीफा?

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चिराग पासवान का यह बयान केवल भावनात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक इशारा है. वे बिहार में खुद को एक स्वतंत्र और मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. ऐसे में संभव है कि वे आने वाले महीनों में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देकर पूरी तरह बिहार की राजनीति में सक्रिय हो जाएं.

चिराग की बिहार में बढ़ती सक्रियता

हाल ही में चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बिहार के कई जिलों का दौरा किया, संगठन को मजबूत किया और पार्टी के पुराने चेहरों को फिर से सक्रिय किया है. साथ ही, वे युवा और दलित वर्ग को साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इससे यह साफ हो रहा है कि वे 2025 के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने की तैयारी में हैं.

‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ – सिर्फ नारा नहीं, नीति का प्रस्ताव

चिराग पासवान का हालिया बयान – “मुझे मेरा प्रदेश बुला रहा है” – न केवल व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में एक नई दिशा और ऊर्जा के संकेत भी देता है. जब उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति का फाउंडेशन ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के विजन पर टिका है, तो यह साफ हो गया कि चिराग अब दिल्ली की चमक-दमक से आगे निकलकर राज्य के असली मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. चिराग पासवान का यह विजन सिर्फ एक चुनावी नारा भर नहीं है. इसमें राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास, युवा सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार जैसे ठोस एजेंडे छिपे हैं. उनके अनुसार, अगर बिहार को आगे लाना है, तो नीतियों में ‘बिहारी’ केंद्र में होना चाहिए – उसकी आकांक्षाएं, उसकी समस्याएं और उसके समाधान.

गठबंधन राजनीति पर नजर

एलजेपी (रामविलास) एनडीए (NDA) की सहयोगी पार्टी है, लेकिन बिहार में बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के समीकरणों को देखते हुए चिराग पासवान (Chirag Paswan) अपने राजनीतिक विकल्प खुले रखना चाहते हैं. यह भी माना जा रहा है कि वे आने वाले समय में नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की नीतियों के खिलाफ मुखर रुख अपना सकते हैं, जिससे उन्हें विपक्षी चेहरा बनने में मदद मिल सकती है.

हालांकि BJP नेतृत्व की ओर से इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन अगर चिराग ने वाकई इस्तीफा देने का मन बना लिया है, तो यह मोदी कैबिनेट के लिए एक अहम बदलाव साबित हो सकता है. अब देखना यह होगा कि चिराग पासवान अपने इस बयान को कितनी जल्द वास्तविकता में बदलते हैं, या यह केवल एक राजनीतिक संकेत भर था.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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