बिहार के एक के बाद एक गिर रहे पुलों का मामला पहुंचा उच्चतम न्यायालय

बिहार के एक के बाद एक गिर रहे पुलों का मामला पहुंचा उच्चतम न्यायालय

Authored By: Gunjan Shandilya

Published On: Friday, July 5, 2024

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इन दिनों बिहार में रोजाना कोई न कोई पुल-पुलिया ढहकर नदी में गिर रहा है। हालांकि पुल-पुलिया के गिरने से अभी तक किसी जान के नुकसान की खबर नहीं है। लेकिन इससे बिहार में पुल-पुलिया के रखरखाव पर सवाल जरूर उठने लगे हैं।

मानसून की पहली बरसात में ही बिहार के कई पुल नदी में समाने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों से रोजाना कोई ना कोई पुल-पुलिया ढह रहे हैं। हालांकि पुल-पुलिया के गिरने से अभी तक किसी जानमाल के नुकसान होने की खबर नहीं है। लेकिन जिस पुल-पुलिया के निर्माण में आम लोगों की गाढ़ी कमाई का लाखों-करोड़ों रुपए लगे हैं, वह पैसा कहीं न कहीं बर्बाद हो रहा है। इससे बिहार में पुलों के निर्माण और रख-रखाव पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) पहुंचा बिहार का पुल मामला

बिहार में पुल-पुलिया ढहने का मामला अब उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है। अधिवक्ता बृजेश सिंह ने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल किया है। इसमें उन्होंने सवालों का जवाब ढूंढने और बिहार सरकार को निर्देश देने का गुहार लगाई गई है। अपने याचिका उन्होंने उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाया है कि राज्य में मौजूद और हाल के वर्षों में हुए छोटे-बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश दिया जाएं।

रियल टाइम मॉनिटरिंग हो

याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार में पुल सहित सरकारी निर्माण की रियल टाइम मॉनिटरिंग की एक व्यवस्था बनाई जाए। अधिवक्ता बृजेश सिंह ने अपनी याचिका में पिछले दिनों बिहार में 12 पुल-पुलिया के ढहने का जिक्र किया है। साथ ही साथ उन्होंने बिहार की भौगोलिक परिस्थितियों का भी जिक्र किया है। याचिका में उन्होंने कहा है कि बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य है। यहां 68,800 वर्ग किलोमीटर यानी करीब 73.6 प्रतिशत भू-भाग भीषण बाढ़ की चपेट में हर वर्ष आता है। यहां की छोटी-बड़ी या बरसाती नदियों में सैकड़ों पुल-पुलिया बने हैं। इसके रखरखाव कोई सुनिश्चित व्यवस्था नहीं है।

क्या कहते हैं बृजेश सिंह (Brijesh Singh)

अधिवक्ता बृजेश सिंह कहते हैं, ‘बिहार की स्थिति बेहद खराब है। हर साल बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित होते हैं। बाढ़ क्षेत्र में बने पुलिया आदि कोई रखरखाव की व्यवस्था नहीं है। जबकि इसका हर वर्ष एक सुनिश्चित समय-सीमा में मॉनिटरिंग होना चाहिए।’ इनकी याचिका में मॉनिटरिंग के लिए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने, एक नीति बनाने और उसके परिपालन के लिए गाइडलाइन तैयार करने का आदेश देने की भी गुहार लगाई गई है।

बिहार (Bihar) एवं केन्द्रीय संस्थान (Central Institute) सहित छह पक्षकार

बिहार में ढहे पुलों में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना कोई पुल नहीं है। इसके बावजूद याचिककर्ता ने अपनी याचिका में बिहार सरकार (Bihar Government), पुल निर्माण निगम (Bridge Construction Corporation), पथ निर्माण और परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways), हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Highways Authority of India), केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च पथ मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) सहित कुल 6 सस्थाओं को पक्षकार बनाया गया है।

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने उठाए सवाल

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 3 और 4 जुलाई को अपने ‘एक्स’ हैंडल पर पुल गिरने को लेकर एक के बाद एक कई पोस्ट किए हैं। चार जुलाई को उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 4 जुलाई यानी आज सुबह बिहार में एक पुल और गिरा। कल 3 जुलाई को ही अकेले 5 पुल गिरे। 18 जून से लेकर अभी तक 12 पुल ध्वस्त हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) इन उपलब्धियां पर एकदम खामोश और निरुत्तर हैं। सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें?’

वे इसी पोस्ट में आगे लिखते हैं, ‘सदैव भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, गुड गवर्नेंस इत्यादि पर राग अलाप दूसरों में गुण-दोष के खोजकर्ता कथित उच्च समझ के उच्च कार्यकर्ता, उन्नत कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह पक्षकार और उत्तम विचार के सर्वश्रेष्ठ लोग अंतरात्मा का गला घोंट इस सुशासनी कुकृतियों पर चुप्पी की चादर ओढ़ सदाचारी बन चुके हैं।’

उपमुख्यमंत्री सिन्हा का जवाब

राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय सिंह ने राज्य में पुल गिरने की घटनाओं और राजद के सवालों पर कहा कि इस मानसून सीजन में अच्छी बारिश हो रही है। जो पुल गिरा है, वह 1982 का है। उस समय कांग्रेस की सरकार थी। फिर राजद की सरकार थी। पुल गिरने के मामलों पर मुख्यमंत्री खुद भी नजर रखे हुए हैं। सारे पुलों के रखरखाव पर सरकार की नजर है। जो भी दोषी पाए जाएंगे, एक्शन लिया जाएगा।

About the Author: Gunjan Shandilya
समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव। विभिन्न मंचों पर विषयों को रोचक और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता। नई पत्रकारिता शैलियों और प्रौद्योगिकियों के साथ कदम से कदम मिलाने में निपुण।

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