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NDA प्रशिक्षण के दौरान क्यों हो रही कैडेटों की मौत, ट्रेनिंग कल्चर पर उठ रहे सवाल
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Friday, December 12, 2025
Last Updated On: Friday, December 12, 2025
एनडीए की कठोर ट्रेनिंग हमेशा चर्चा का विषय रही है, लेकिन हाल के महीनों में लगातार होती कैडेटों की मौत ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. डूबने, हीटस्ट्रोक और मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या तक आखिर क्यों बढ़ रही हैं ये घटनाएं? क्या एनडीए की ट्रेनिंग संस्कृति में कोई खामी है या दबाव सहने की क्षमता कम हो रही है? पूरा मामला जानिए.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Friday, December 12, 2025
NDA Cadet Deaths Training: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) को भारत की सबसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थाओं में गिना जाता है. यहां पहुंचना लाखों युवाओं का सपना होता है, लेकिन यह सपना जितना चमकदार दिखता है, उतना ही कठिन इसकी राह है. बीते कुछ वर्षों में एनडीए ने अपने चयन और प्रशिक्षण मानकों को और अधिक सख्त किया है. इसी कठोरता ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या यह ट्रेनिंग जरूरत से ज्यादा कठोर हो गई है? ताज़ा घटनाओं में कई कैडेटों की मौत और आत्महत्या के मामलों ने अकादमी की ट्रेनिंग संस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. डूबने से लेकर हीटस्ट्रोक और मानसिक दबाव तक कारण कई हैं, लेकिन चिंता एक ही है कि क्या एनडीए की ट्रेनिंग प्रणाली सुरक्षित है? इस रिपोर्ट में जानते हैं पूरा मामला, हाल के मौत के मामले, एनडीए की सफाई और वो सवाल जो सोशल मीडिया और विशेषज्ञ लगातार उठा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
एनडीए की ट्रेनिंग को लेकर फिर सवाल उठे हैं. कारण भी गंभीर है. कुछ दिनों पहले प्रथम वर्ष के दो कैडेटों की मौत हो गई. एक कैडेट की जान स्विमिंग के दौरान डूबने से चली गई. दूसरा कैडेट मानसिक दबाव में आया और उसने आत्महत्या कर ली. इन दो घटनाओं के बाद एनडीए की ट्रेनिंग संस्कृति पर नई बहस शुरू हो गई है. कई लोग नियमों में ढील की मांग भी कर रहे हैं.
इस साल कितने कैडेटों की हुई मौत
साल 2025 एनडीए के लिए काफी चिंताजनक रहा है. इस साल ट्रेनिंग के दौरान कई कैडेटों की मौत हुई. सबसे पहले 28 मार्च 2025 को आर. रबीजीत की ट्रेनिंग के दौरान मौत हुई. फिर 19 मई को उमंग खार की मौत हुई, जिन्हें चेन्नई में ट्रेनिंग के दौरान लू लग गई थी. इसके बाद 06 जुलाई को कुम्भार अथर्व संभाजी की क्रॉस कंट्री दौड़ में मौत हुई. इसके बाद 10 सितंबर, 10 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को भी तीन कैडेटों ने अपनी जान गंवाई. इतनी मौतों ने अब पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
एनडीए ने क्या कहा?
कैडेटों की मौत पर एनडीए ने अपनी बात साफ रखी है. एनडीए का कहना है कि ट्रेनिंग के साथ कैडेटों का पूरा मार्गदर्शन किया जाता है. हर स्क्वाड्रन में पांच सीनियर अधिकारी तैनात रहते हैं. ये अधिकारी कैडेटों से लगातार बात करते हैं. जरूरत पड़ने पर उनकी मदद भी करते हैं. एनडीए एक गोपनीय कैडेट मंच भी चलाता है. यहां कैडेट बिना डर और दबाव के अपनी परेशानियां सीनियर अधिकारियों से साझा कर सकते हैं.
ट्रेनिंग के दौरान मनोवैज्ञानिक मदद भी दी जाती है. काउंसलिंग प्रक्रिया की निगरानी खुद बटालियन कमांडर करते हैं. पहले सत्र के कैडेटों की दिनचर्या भी काफी लचीली रखी जाती है, ताकि वे ज्यादा तनाव महसूस न करें. जिन कैडेटों को अतिरिक्त शारीरिक सहायता चाहिए, उन्हें खास ट्रेनिंग दी जाती है. एनडीए का कहना है कि ट्रेनिंग सख्त जरूर है, लेकिन कैडेटों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य उसकी पहली प्राथमिकता है.
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