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Delhi Building Collapse: मुस्तफाबाद में हादसा, चंद पलों में धूल के गुबार में तब्दील हो गई 4 मंजिला इमारत
Delhi Building Collapse: मुस्तफाबाद में हादसा, चंद पलों में धूल के गुबार में तब्दील हो गई 4 मंजिला इमारत
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, April 19, 2025
Last Updated On: Saturday, April 19, 2025
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में एक बहुमंज़िला इमारत के अचानक गिरने से सनसनी फैल गई. हादसे में अब तक कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 8 से 10 लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे होने की आशंका जताई जा रही है. राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, April 19, 2025
Delhi disaster management failure : दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की है. मुख्यमंत्री ने कहा, “दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) और अन्य सभी एजेंसियां मौके पर मौजूद हैं और पूरी तत्परता से राहत कार्य में जुटी हैं.”
ऐसा नहीं है कि इस तरह की यह पहली घटना है. बीते समय भी कई ऐसी घटनाएं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में होती रही है. घटना घटित होने पर सरकारी एजेंसी हरकत में आती है. मुआवाजे की घोषणा होती है. नेताओं-मंत्रियों द्वारा बयानों का दौर चलता है. सरकारी एजेंसियां को लेकर दो-चार दिनों तक बात होती है और कुछ दिन बाद सब सामान्य हो जाता है.
स्थानीय लोगों में रोष, लापरवाही का आरोप
हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई. स्थानीय लोगों का आरोप है कि उक्त इमारत की स्थिति लंबे समय से खराब थी. इसके ढहने का खतरा पहले भी जताया गया था. बावजूद इसके, प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
दिल्ली में मकान गिरने की घटनाएं: कब-कब हुआ हादसा
राजधानी दिल्ली में कमजोर और अवैध निर्माण के कारण मकान गिरने की घटनाएं अक्सर सामने आती रही हैं. मुस्तफाबाद में हुए इमारत हादसे ने एक बार फिर सरकार और जनता को झकझोर दिया है. ऐसे में हम नज़र डालते हैं पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में हुई ऐसी ही बड़ी घटनाओं पर:
अप्रैल 2025 – मुस्तफाबाद
- एक चार मंजिला इमारत रात को अचानक गिर गई.
- 4 लोगों की मौत, 15 लोग सुरक्षित निकाले गए.
- NDRF, DDMA द्वारा राहत कार्य जारी.
- अवैध निर्माण की आशंका, सरकार ने जांच के आदेश दिए.
अगस्त 2023 – रोहिणी सेक्टर 26
- निर्माणाधीन इमारत गिरने से 3 मजदूरों की मौत, 5 घायल.
- भवन निर्माण के मानकों का उल्लंघन सामने आया.
मई 2022 – जामिया नगर
- पुराने मकान का हिस्सा ढह गया, जिसमें 2 बच्चों की मौत हो गई.
- इलाके में कई पुराने जर्जर मकानों की शिकायत पहले से थी.
जुलाई 2021 – सब्जी मंडी, मालका गंज
- तीन मंजिला इमारत गिरने से 2 भाइयों की मौत, पिता गंभीर रूप से घायल.
- इमारत काफी पुरानी थी, फिर भी इस्तेमाल में लाई जा रही थी.
सितम्बर 2018 – अशोक विहार
- अवैध रूप से बनाए गए एक मकान का हिस्सा ढह गया.
- 1 महिला की मौत, 2 घायल.
- इस घटना के बाद MCD ने इलाके में निरीक्षण अभियान चलाया.
जून 2017 – लक्ष्मी नगर
- इमारत की नींव कमजोर होने के कारण ढह गई.
- 5 मजदूर मलबे में दबे, जिनमें 2 की मौत हुई,
अगस्त 2023 – रोहिणी सेक्टर 26
- घटना विवरण: निर्माणाधीन चार मंजिला इमारत ढही.
- नुकसान: 3 मजदूरों की मौत, 5 घायल.
- जांच निष्कर्ष: नक्शा मंजूर नहीं था, घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया.
फरवरी 2023 – नरेला
- घटना विवरण: प्लास्टर डालते समय ऊपरी मंजिल बैठ गई.
- नुकसान: 2 मज़दूरों की मौत, 6 घायल.
- कारण: बिना सुरक्षा उपायों के निर्माण कार्य जारी था.
अक्टूबर 2022 – द्वारका सेक्टर 23
- घटना विवरण: निर्माणाधीन इमारत की छत भरभराकर गिर गई.
- नुकसान: 1 श्रमिक की मौत, 4 गंभीर रूप से घायल.
- कारण: लोहे की छड़ों की कमजोर गुणवत्ता.
मई 2021 – शाहदरा
- घटना विवरण: निर्माणाधीन दो मंजिला इमारत अचानक गिरी.
- नुकसान: 3 लोगों की मौके पर मौत, कई घायल.
- विशेष: कोई सुरक्षा निगरानी नहीं थी.
दिसम्बर 2020 – मयूर विहार
- घटना विवरण: बेसमेंट में काम चल रहा था, पूरा ढांचा गिर गया.
- नुकसान: 2 की मौत, 5 घायल.
- कारण: नींव की खुदाई में लापरवाही.
क्या कर रही हैं सरकारी एजेंसियां?
घटना के बाद राहत कार्य में जुटी NDRF की टीमें मलबा हटाने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही हैं. DDMA और DFA के अधिकारी मौके पर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
बोले भाजपा सांसद मनोज तिवारी — यह केवल हादसा नहीं, चेतावनी है
मुस्तफाबाद इलाके में इमारत गिरने की दर्दनाक घटना पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे एक गंभीर चेतावनी बताया है. घटनास्थल पर पहुंचकर मीडिया से बात करते हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “घटना बहुत दुखद है. बचाव कार्य अभी भी जारी है. बहुत ही चिंताजनक स्थिति में लोग उसके अंदर दबे हैं. हम सबसे पहले लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि यह हादसा केवल एक त्रासदी नहीं बल्कि एक चेतावनी है.
“मुझे जानकारी मिली है कि बहुत ही पतली दीवार पर चार मंज़िला इमारत बना दी गई थी. यह सरासर लापरवाही है. लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए कि वे ऐसी इमारतों में न रहें जो असुरक्षित हैं.”
लापरवाही और अवैध निर्माण पर उठे सवाल
मनोज तिवारी ने नगर निगम और भवन निर्माण प्राधिकरणों की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यदि इस तरह की इमारतों की पहले जांच होती और कार्रवाई की जाती, तो जानें बच सकती थीं. उन्होंने मांग की कि जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने उठाए सवाल
मुस्तफाबाद से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि उन्होंने पहले ही इस इमारत को लेकर चेतावनी दी थी. “तीन महीने पहले जब मैं चुनाव जीता था, तब मैं इसी इलाके में था। मैंने उस समय कहा था कि यह इमारत हादसे का कारण बन सकती है. मैंने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) और MCD कमिश्नर से कहा है कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.”
बिल्डर जिम्मेदार, किसी को बख्शा नहीं जाएगा
घटना को लेकर दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने इस भयावह हादसे के लिए बिल्डर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. ये एक लापरवाही है और इसके लिए बिल्डर पूरी तरह जिम्मेदार है. जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी। किसी को छोड़ा नहीं जाएगा. मंत्री मिश्रा ने कहा कि यह हादसा दिल्ली में अवैध निर्माण की स्थिति की चेतावनी है और अब सरकार पूरे शहर में कार्रवाई करेगी. पूरी दिल्ली में जहां भी अवैध निर्माण है, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
हर साल राजधानी में बारिश से पहले जर्जर इमारतों की सूची बनाई जाती है, लेकिन अमल केवल कागज़ों तक सीमित रहता है. यह हादसा एक बार फिर दर्शाता है कि जिम्मेदार एजेंसियों की निगरानी में कितनी ढिलाई है. यदि समय रहते कार्रवाई की जाती, तो शायद यह जानें बचाई जा सकती थीं.