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इस गर्मी दिल्ली की कितनी बुझेगी प्यास : मांग अधिक, आपूर्ति सीमित
इस गर्मी दिल्ली की कितनी बुझेगी प्यास : मांग अधिक, आपूर्ति सीमित
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, March 19, 2025
Last Updated On: Wednesday, March 19, 2025
गर्मी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली में पानी का संकट एक बड़ी चुनौती बन जाता है. बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता के कारण राजधानी हर साल गंभीर जल संकट से जूझती है. इस साल भी स्थिति अलग नहीं है—दिल्ली की प्यास बढ़ती जा रही है, लेकिन जल आपूर्ति सीमित बनी हुई है. दिल्ली को पानी की आपूर्ति मुख्य रूप से जलाशयों और भूमिगत स्रोतों से होती है. लगभग 1000 एमजीडी पानी स्थानीय स्रोतों से प्राप्त होता है, लेकिन बाकी पानी के लिए राजधानी को पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Wednesday, March 19, 2025
Delhi Water Crisis: दिल्ली की प्यास लगातार बढ़ती जा रही है. जैसे ही गर्मियों की शुरुआत होती है, पेयजल संकट गहराने लगता है. आमतौर पर राजधानी में 1290 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन गर्मियों के दौरान यह मांग बढ़कर 1350 एमजीडी तक पहुंच जाती है. इस बढ़ती मांग को पूरा करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. दिल्ली में जल संकट पर सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है. जहां भाजपा सरकार अवैध जल माफिया पर नकेल कसने और जल कनेक्शन बढ़ाने पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस यमुना जल की गुणवत्ता और पेयजल आपूर्ति में सुधार की मांग कर रही है.
आपूर्ति में रुकावटें और अधूरी परियोजनाएं
दिल्ली को अतिरिक्त जल आपूर्ति देने वाली कई परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं. राजधानी की जलापूर्ति काफी हद तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है, लेकिन उनके रुख के कारण वर्षों की कोशिशों के बावजूद गतिरोध समाप्त नहीं हो सका है. दिल्ली सरकार ने लगभग 450 करोड़ रुपये खर्च कर मूनक नहर का निर्माण तो करवा लिया, लेकिन इसके बावजूद जल संकट में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ.
पानी की मांग और आपूर्ति का अंतर
दिल्ली में पानी की औसत दैनिक मांग लगभग 1,300 करोड़ लीटर है, लेकिन आपूर्ति सिर्फ 900 करोड़ लीटर के आसपास सीमित है. इस भारी अंतर के कारण गर्मी के महीनों में जल संकट और भी गंभीर हो जाता है.
दिल्ली में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा है कि सरकार राजधानी के हर नागरिक को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है. जल संकट को दूर करने और जल संसाधनों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पानी के अवैध टैंकर माफियाओं पर सख्ती से रोक लगाई जा रही है, ताकि जल वितरण प्रणाली पारदर्शी और प्रभावी हो सके.
जल कनेक्शन बढ़ाने पर सरकार का फोकस
प्रवेश वर्मा ने बताया कि दिल्ली में लगभग 50 लाख बिजली कनेक्शन हैं, जबकि जल कनेक्शन केवल 20 लाख के आसपास हैं. यह दर्शाता है कि कई लोग भूमिगत जल का उपयोग कर रहे हैं, जिससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जल कनेक्शन की कीमत में कमी करने पर विचार कर रही है, ताकि अधिक से अधिक लोग वैध जल आपूर्ति से जुड़ सकें और स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.
कांग्रेस ने यमुना जल गुणवत्ता पर उठाए सवाल
दिल्ली में जल संकट को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा सरकार को सत्ता में आने से पहले किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए. उन्होंने यमुना नदी की सफाई को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के तहत दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) द्वारा तैयार मासिक रिपोर्ट के अनुसार, यमुना के पानी में 6400 गुना अधिक दूषित तत्व पाए गए हैं, जिससे यह पीने योग्य नहीं है. कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार यमुना जल के शोधन की प्रभावी योजना बनाए.
संभावित समाधान और विकल्प
- पड़ोसी राज्यों से समन्वय: हरियाणा और उत्तर प्रदेश से अतिरिक्त जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीतिगत प्रयास किए जाने चाहिए.
- वाटर रीसाइक्लिंग और हार्वेस्टिंग: बड़े पैमाने पर जल पुनर्चक्रण और वर्षा जल संचयन (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) को बढ़ावा देना होगा.
- यमुना के पानी का अधिकतम उपयोग: यमुना नदी में जल प्रवाह बढ़ाने और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए.
- स्मार्ट जल प्रबंधन: लीक प्रूफ पाइपलाइन और स्मार्ट जल मीटरिंग जैसी तकनीकों का अधिकतम उपयोग किया जाए.
आगे की राह
दिल्ली को अपने जल संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है. सरकार और नागरिकों को मिलकर जल संरक्षण के प्रयास करने होंगे, ताकि आने वाले वर्षों में यह समस्या और विकराल न हो जाए.