राजनीति के मंच पर गूंजने लगी कंगना की आवाज

राजनीति के मंच पर गूंजने लगी कंगना की आवाज

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Monday, April 15, 2024

rajaneeti ke manch par goonjne lagi kangana ki aavaj
rajaneeti ke manch par goonjne lagi kangana ki aavaj

फिल्मों में अपनी प्रतिभा दिखाने के साथ कंगना रनौत की आवाज अब राजनीति के मंच पर भी गूंजने लगी है। अब वे मंडी (हिमाचल) से वहां की बेटी के रूप में चुनाव मैदान में हैं...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Last Updated On: Thursday, June 20, 2024

कंगना रनौत का नाम आते ही सबसे पहले उनके बारे में यह कहा जाता है कि वे एक हीरोइन हैं। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू यह भी है वे हीरोइन नहीं बल्कि एक लड़ाकू महिला भी हैं जो अपने अधिकारों को लेकर पहले फिल्मी दुनिया और बाद राजनीति के मंच पर कूद पड़ी हैं। कंगना की छवि केवल हीरोइन भर नहीं बल्कि एक वे लोगों के लिए एक दमदार आवाज भी हैं। मंडी संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही कंगना बड़े बेबाक शब्दों में हिमाचली भाषा में कहती हैं, ‘तुहां एड़ा नी सोचना कि कंगना कोई हिरोइन इ, कंगना कोई स्टार इ, तुहां एड़ा सोचना अहां री बेटी इ अहां री बैह्ण इ।’ कंगना का यह बेबाक अंदाज अपने आप में निराला है। फिल्मी दुनिया में जब उन्होंने भाई—भतीजावाद के मुद्दे को मुखरता के साथ उठाया तभी उनके तेवर का अंदाजा लग गया था और भारतीय जनता पार्टी ने उनके तेवर को देखते हुए उन्हें उनके गृहराज्य हिमाचल से राजनीति में आने का मौका दिया।

आज भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है तो इसके पीछे भी बहुत ही सोचीसमझी रणनीति कही जा सकती है। विपक्षी दलों का तर्क जो भी हो लेकिन राजनीति में फिल्मी सितारों का आना कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस से लेकर कई पार्टियों ने फिल्मी सितारों को राजनीति में जगह दी। लेकिन आज जब कंगना का नाम आया तो विपक्षी दल दूसरी तरह के आरोप लगाने लगे। यहां तक कि कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की एक ओछी टिप्पणी ने विवाद भी पैदा कर दिया। लेकिन कंगना इन विवादों से अलग अपनी छवि गढ़ने में जुट गई हैं। आज अगर वे राजनीति के मंच पर आकर महिलाओं की मुखर आवाज बन रही हैं तो इसका समर्थन किया जाना चाहिए। 

चुनाव कोई भी हो और राजनीतिक दल कोई भी हों, वे हर तरह से चुनाव जीतने के हथकंडे अपनाती हैं। भाजपा भी साल 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए हर तरह का प्रयोग कर रही है। इस प्रयोग के तहत समयसमय पर पार्टी फिल्मी सितारों से लेकर क्रिकेट के मैदान पर चौकाछक्का लगाने वालों को मौका देती रही है। हेमामालिनी हों या सन्नी देओल, मनोज तिवारी हो या रवि किशन पार्टी ने इनको मौका दिया सांसद बनाया। क्रिकेटर गौतम गंभीर को भी राजनीति में आने का मौका दिया। इस बार के चुनाव में भी रामानंद सागर के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण से घर घर में श्रीराम के रूप में लोकप्रिय रहे अरुण गोविल से लेकर कई फिल्मी सितारे चुनाव के मैदान में हैं। इसमें कौन जीतेगा कौन हारेगा यह जनता को तय करना है। एक लोकतांत्रिक देश में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है और हर किसी को अपनी आवाज उठाने का भी। लेकिन कंगना रनौत के बहाने विपक्षी दलों ने जिस तरह का बखेड़ा खड़ा किया वह एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं कही जा सकती। 

कंगना ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा है कि वो मंडी, जिसका नाम ऋषि मांडव्य के नाम पर रखा गया है, जहां पर पराशर ऋषि ने तपस्या की है, जहां शिवरात्रि का सबसे बड़ा मेला होता है, वहां की बहन-बेटियों के लिए कांग्रेस की तुच्छ मानसिकता शर्मनाक है। इस तरह के तेवर के जरिए कंगना लोकसभा चुनाव के लिए जोरशोर से प्रचार करने में जुट गई हैं। निश्चित तौर पर राजनीति में आने के बाद उनका जो तेवर है वो बदल रहा है और बदलना भी चाहिए। कंगना के अतीत को लेकर सोशल मीडिया पर खूब टीका टिप्पणी हो रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि वर्तमान में जब वह राजनीति के क्षेत्र में कदम रख चुकी है तो अब उनके नए तेवर की चर्चा ज्यादा होनी चाहिए।

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।
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