जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के पीछे क्या है कारण

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के पीछे क्या है कारण

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Friday, July 19, 2024

terrorist attack again in doda

आम चुनावों का नतीजा आने के बाद से जम्मू-कश्मीर खासकर जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं। अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या चुनाव और आतंकी घटनाओं का आपस में कोई संबंध है? क्या पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका कश्मीर चुनाव से घबराए हुए हैं?

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Friday, July 19, 2024

इस लेख में:

जम्मू-कश्मीर में इस बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में बंपर वोटिंग हुई। वोटिंग ने पिछले कई रिकॉर्ड को भी तोड़ा। अब चुनाव आयोग इस केन्द्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) कराने की तैयारी कर रहा है। इस बीच जम्मू-कश्मीर खासकर जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं। जिसके बाद सवाल यही किया जा रहा है कि क्या चुनाव और आतंकी घटनाओं का आपस में कोई संबंध है? क्या पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका कश्मीर चुनाव से घबराए हुए हैं? कई विशेषज्ञों का तो यही मानना है।

पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में हो रहे आतंकी घटनाओं में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां अधिकांश आतंकी घटनाएं कश्मीर क्षेत्र में होती थीं। वहीँ अब ये घटनाएं कश्मीर घाटी से जम्मू क्षेत्र में शिफ्ट हो गई है। जबकि जम्मू क्षेत्र लंबे समय से शांत था। कठुआ की घटना हो या डोडा की। या फिर रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर आतंकी हमला हो, ये सभी जम्मू क्षेत्र में हुए हैं। आखिर क्यों आतंकवादियों के निशाने पर जम्मू क्षेत्र आ गया है?

घबराएं हुए हैं आतंकियों के आका

जम्मू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे श्याम नारायण लाल बताते हैं, ‘दुनिया माने या माने लेकिन जानती जरुर है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। अभी-अभी यहां महीनों चुनाव की प्रक्रिया शांतिपूर्ण संपन्न हुई है। कहीं कोई हिंसा नहीं। दशकों से चले आ रहे वोटिंग रिकॉर्ड को भी इस बार मतदाताओं ने तोडा। इसलिए पाकिस्तान में बैठे उनके आका घबराएं हुए हैं। उन्हें अहसास हो रहा है कि यदि विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग रिकॉर्ड स्तर पर हुआ तो उनके हाथ से कश्मीर मुद्दा निकल जाएगा।’

चुनाव परिणाम के बाद बढ़ी आतंकी घटनाएं

9 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार अपने कैबिनेट के साथ प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। लगभग उसी समय जम्मू मंडल के रियासी जिले में एक बस पर आतंकी हमला हुआ था। बस में सवार सभी श्रद्धालु शिव खोड़ी जा रहे थे। उस हमले में नौ श्रद्धालु मारे गए थे। जबकि 42 श्रद्धालु घायल हो गए थे। पिछले दिनों डोडा में एक तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया। इस मुठभेड़ में दो सैनिक घायल हो गए। इसके पहले 15 जुलाई को डोडा के जंगलों में हुई मुठभेड़ में कैप्टन सहित चार जवान शहीद हो गए थे। उसके पहले कठुआ के पहाड़ी मार्ग में आतंकियों ने सैन्य वाहन पर हमला किया था। इस हमले में पांच जवान शहीद हुए थे।

कश्मीर टाइगर्स ने ली जिम्मेदारी

हाल के दिनों में कठुआ और डोडा में हुए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ली है। कुछ लोगों को यह नाम नया जरुर लगे लेकिन यह जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे आतंकवादी संगठनों का ही एक फ्रंट है। यानी इन दोनों स्थानों में हुए आतंकी हमले जैश ने करवाए हैं, जिनके आका पाकिस्तान में बैठे हैं। भारतीय सेना के उच्च पदस्थ अधिकारी बताते हैं कि जैश और लश्कर अब कश्मीर में अलग-अलग फ्रंट बनाकर इन घटनाओं को अंजाम तक पहुंचाते हैं। इस का कारण यह है कि इससे जैश और लश्कर जैसे पुराने आतंकी संगठनों के आका पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव न पड़े।

पाकिस्तान (Pakistan) नहीं चाहता कश्मीर में विधानसभा चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार एवं भारतीय दूरसंचार संस्थान जम्मू केंद्र के प्रध्यापक विनीत उत्पल कहते हैं कि निर्वाचन आयोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है। उम्मीद है, बहुत जल्द विधानसभा चुनावों का एलान आयोग कर दे। जिस प्रकार लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान हुआ, उसी प्रकार विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग होने की उम्मीद है। इसलिए पाकिस्तान नहीं चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो और यहां शांति स्थापित हो। यदि ऐसा हो गया तो इससे पाकिस्तानी सेना और वहां का सत्तातंत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।

विपक्ष साध रहे हैं निशाना

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress National President Mallikarjun Kharge) जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के बहाने मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। ‘एक्स’ पर उन्होंने लिखा कि पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर हमारी सुरक्षा रणनीति में सावधानीपूर्वक बदलाव की जरूरत है। मोदी सरकार ऐसे काम कर रही है, जैसे सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है और कुछ भी नहीं बदला। लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि जम्मू क्षेत्र इन हमलों का खामियाजा तेजी से भुगत रहा है। एक राष्ट्र के रूप में हमें सामूहिक रूप से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा और कांग्रेस बहादुर सुरक्षाबलों के साथ मजबूती से खड़ी है।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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