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Australia Terrorist Attack: बॉन्डी बीच गोलीबारी के बाद ऑस्ट्रेलिया में सख्त हथियार कानूनों पर फिर क्यों शुरू हुई बहस?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Monday, December 15, 2025
Last Updated On: Monday, December 15, 2025
बॉन्डी बीच आतंकी हमले ने ऑस्ट्रेलिया को एक कठिन सवाल के सामने खड़ा कर दिया है. वहां दुनिया का सबसे सख्त हथियार कानून है, लेकिन क्या मौजूदा सख्त हथियार कानून पर्याप्त हैं या बदलते सामाजिक और सुरक्षा खतरों के साथ उन्हें और मजबूत करने की जरूरत है?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Monday, December 15, 2025
हाइलाइट्स
- बॉन्डी हमले में शामिल संदिग्ध आतंकवादियों में से एक के पास छह हथियारों का लाइसेंस था.
- ऑस्ट्रेलिया में 4 मिलियन (40 लाख) से ज़्यादा बंदूकों के लाइसेंस जारी हैं.
- यह वर्ष 1996 से पहले जारी लाइसेंस से बहुत ज़्यादा है.
- बॉन्डी गोलीबारी के बाद गन कंट्रोल कानून की शुरू हुई जांच.
साल 1996 में ऑस्ट्रेलिया ने अपने इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार देखा था. वह नरसंहार पोर्ट आर्थर में हुआ था. उस सबसे बड़ी सामूहिक गोलीबारी के बाद ऑस्ट्रेलिया की तत्कालीन सरकार ने वहां सख्त हथियार कानून लागू किया था. इसे दुनिया का सबसे सख्त कानून कहा गया. तत्कालीन सरकार ने सेमी-ऑटोमैटिक हथियारों पर बैन लगा दिया था. गन बायबैक स्कीम शुरू किया और हथियार को गलत हाथों में जाने से रोकने के लिए लाइसेंसिंग सिस्टम शुरू किया था.
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में सामूहिक गोलीबारी या नरसंहार की घटनाएं बहुत मुश्किल माना जा रहा था. लेकिन करीब तीन दशक बाद बॉन्डी बीच पर आतंकी हमले (Terrorist Attacks) ने ऑस्ट्रेलिया में उस काले इतिहास को दोहराया दिया है.
बॉन्डी बीच हमले के साथ शुरू हुई राष्ट्रीय बहस
रविवार (14 दिसंबर) को सिडनी के बॉन्डी बीच पर एक यहूदी उत्सव के दौरान हुई भीषण गोलीबारी ने ऑस्ट्रेलिया सहित पूरे विश्व को झकझोर दिया है. इस हमले में 15 लोगों की मौत हुई है. दो आतंकवादियों में से एक को पुलिस ने मार गिराया और एक को घायल अवस्था में गिरफ्तार किया है. यह घटना ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया को स्तब्ध करने वाली है. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया को दुनिया के सबसे सख्त हथियार कानूनों वाले देशों में गिना जाता है.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या ये कानून आज के बदलते हालात में पर्याप्त हैं या इनमें और सख्ती की जरूरत है.
प्रधानमंत्री अल्बनीज ने पुनर्विचार के दिए संकेत
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज (Prime Minister Anthony Albanese) ने इस घटना के बाद संकेत दिए हैं कि केंद्र सरकार हथियार लाइसेंस व्यवस्था की व्यापक समीक्षा कर सकती है. उन्होंने कहा कि वह कैबिनेट से इस बात पर विचार करने के लिए कहेंगे कि एक लाइसेंस के तहत कितने हथियार रखने की अनुमति होनी चाहिए. साथ ही लाइसेंस की वैधता अवधि कितनी हो.
अल्बनीज ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘लोगों की परिस्थितियां बदल सकती हैं. लोग समय के साथ कट्टरपंथी बन सकते हैं. इसलिए लाइसेंस हमेशा के लिए नहीं होने चाहिए.’ उनके इस बयान के बाद इस बहस को और तेज कर दिया है कि क्या मौजूदा व्यवस्था संभावित खतरों को निपटने में सक्षम नहीं है.
दुनिया का सबसे सख्त कानून
1996 में पोर्ट आर्थर (Port Arthur) नरसंहार के बाद ऑस्ट्रेलिया ने राष्ट्रीय स्तर पर हथियार लाइसेंस कानूनों में ऐतिहासिक बदलाव किए. इसके तहत अर्ध-स्वचालित हथियारों पर प्रतिबंध, अनिवार्य लाइसेंसिंग, रजिस्ट्रेशन और बड़े पैमाने पर गन बायबैक प्रोग्राम लागू किया गया.
इन सुधारों का परिणाम अच्छा रहा. ऑस्ट्रेलिया में प्रति व्यक्ति बंदूक हत्या दर दुनिया में सबसे कम रही. यही वजह है कि दुनिया भर के गन कंट्रोल समर्थक लंबे समय से ऑस्ट्रेलियाई मॉडल को एक सफल उदाहरण के रूप में पेश करते रहे.
सख्त कानून और बढ़ती बंदूकें
हालांकि सख्त कानूनों के बावजूद एक विरोधाभास भी सामने आया है. थिंक टैंक ‘ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट’ के मुताबिक कानूनी रूप से रखी गई, बंदूकों की संख्या पिछले दो दशकों से लगातार बढ़ रही है. लाइसेंसी हथियारों की संख्या अब करीब 40 लाख तक पहुंच चुकी है. यह 1996 के सख्त कानूनों से पहले से भी अधिक है.
इसलिए कहा जा रहा है कि भले ही हिंसा के आंकड़े कम हों, लेकिन समाज में हथियारों की मौजूदगी पहले से कहीं ज्यादा है. यही तथ्य नीति निर्माताओं के लिए चिंता का कारण बन रहा है.
क्या मौजूद कानून में बदलाव जरूरी है?
बॉन्डी बीच (Bondi Beach) हमले के बाद गन कंट्रोल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष टिम क्विन (Tim Quinn) ने कहा, ‘ऐसी घटनाएं ऑस्ट्रेलिया में ‘अकल्पनीय’ लगती हैं. यही हमारे कानूनों की ताकत का प्रमाण है.’ आगे उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस हमले की गहराई से सबूतों के आधार पर जांच होनी चाहिए. खासतौर पर यह समझने के लिए कि आतंकवादियों ने हथियार कैसे हासिल किए. क्या मौजूदा कानून और प्रवर्तन तंत्र बदलते जोखिमों और तकनीकों के अनुरूप हैं.
NSW में संभावित सख्ती
न्यू साउथ वेल्स (NSW) के प्रीमियर क्रिस मिन्स (Chris Minns) ने संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार नए हथियार कानूनों को तेज़ी से लागू करने के लिए संसद को फिर से बुला सकती है. उन्होंने कहा कि हथियार के लाइसेंस कानूनों में बदलाव का समय आ गया है. जल्द ही इस पर कदम उठाए जा सकते हैं.
हालांकि NSW के पुलिस कमिश्नर माल लैन्योन (Mal Lanyon) ने बताया, ‘मौजूदा जानकारी के मुताबिक संदिग्धों में से एक के पास बंदूक का वैध लाइसेंस था.’ कहा यह भी जा रहा है कि उस आतंकवादी के पास 6 वैध हथियार थे. यही तथ्य बहस के केंद्र में है.
क्या कहते हैं, विशेषज्ञ
स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की क्रिमिनोलॉजी लेक्चरर माया गोमेज (Maya Gomez) के अनुसार न्यू साउथ वेल्स में गन लाइसेंस पाने के लिए आवेदक को हथियार की जरूरत साबित करनी होती है. बॉन्डी बीच हमले के बाद सवाल उठना लाजमी है कि दी गई संख्या के हिसाब से वह जरूरत कितनी जायज थी. साथ ही हमले में इस्तेमाल किए गए रजिस्टर्ड हथियारों के प्रकार वास्तव में लाइसेंस के तहत अनुमति योग्य थे या नहीं.
कम घटनाएं, लेकिन शून्य नहीं
ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी के एक आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 तक एक साल में देश में बंदूक से जुड़ी 33 हत्याएं हुईं थी. वहीं अमेरिका में 2023 के दौरान औसतन हर दिन बंदूक से 49 हत्याएं दर्ज की गईं. यह विश्लेषण दिखाता है कि ऑस्ट्रेलिया अब भी अपेक्षाकृत सुरक्षित है. लेकिन पूरी तरह नहीं. बॉन्डी बीच जैसी घटना याद दिलाती है कि ‘कम जोखिम’ का मतलब ‘शून्य’ नहीं होता.















