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H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर की फीस गैरकानूनी है? अदालत पहुंचे US के 20 राज्य
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Saturday, December 13, 2025
Last Updated On: Saturday, December 13, 2025
अमेरिका में H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर की भारी फीस को लेकर सियासी और कानूनी घमासान शुरू हो गया है. डोनाल्ड ट्रंप सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए 20 अमेरिकी राज्यों ने संयुक्त रूप से अदालत का रुख किया है. राज्यों का दावा है कि यह कदम न सिर्फ संविधान के खिलाफ है, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम सेक्टर को भी गहरी चोट पहुंचा सकता है.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Saturday, December 13, 2025
H1B Visa Fee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक और फैसला विवादों में घिरता नजर आ रहा है. H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर की फीस लगाए जाने के बाद अमेरिका में विरोध की आवाज तेज हो गई है. इस फैसले के खिलाफ देश के 50 में से 20 राज्यों ने एकजुट होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इन राज्यों का कहना है कि इतनी भारी-भरकम फीस लगाना राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इससे कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती पर ब्रेक लग जाएगा. खासतौर पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेक्टर, जो पहले ही स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं, इस फैसले से और कमजोर हो सकते हैं. अब यह मामला सिर्फ नीति का नहीं, बल्कि कानून और संघीय अधिकारों की बड़ी परीक्षा बनता जा रहा है.
H-1B वीजा पर राज्यों का क्या है तर्क?
इस मामले में अमेरिका के 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है. मुकदमे की अगुआई कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा कर रहे हैं. राज्यों का साफ कहना है कि होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने 19 सितंबर को नया शुल्क लागू करके अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला लिया. राज्यों का तर्क है कि कांग्रेस ने कभी भी राष्ट्रपति या प्रशासन को इतनी भारी फीस लगाने की अनुमति नहीं दी. खासकर ऐसी फीस, जिसका मकसद H-1B वीजा सिस्टम को कमजोर करना हो. रॉ
ब बॉन्टा ने कहा कि कांग्रेस ने H-1B प्रोग्राम के लिए नियम तय किए हैं. सीमाएं भी तय की हैं. फीस का ढांचा भी कांग्रेस ने ही बनाया है. लेकिन एक लाख डॉलर जैसी “सजा वाली फीस” लगाने की इजाजत कभी नहीं दी गई. उनका कहना है कि यह फैसला कानून की भावना के खिलाफ है. साथ ही यह विदेशी कुशल कामगारों को हतोत्साहित करने वाला कदम है.
कौन-कौन से राज्य इस केस में शामिल हैं?
इस मुकदमे में कुल 20 राज्य शामिल हैं. इनमें कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स के अलावा एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, नॉर्थ कैरोलाइना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वॉशिंगटन और विस्कॉन्सिन जैसे राज्य शामिल हैं. इन सभी राज्यों का मानना है कि यह नया नियम उनकी अर्थव्यवस्था और जरूरी सेवाओं पर सीधा असर डालेगा.
सितंबर में लागू हुआ था नया नियम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर 2025 को इस नए शुल्क की घोषणा की थी. घोषणा के दो दिन बाद ही, यानी 21 सितंबर से, इसे नए आवेदनों पर लागू कर दिया गया. राज्यों का कहना है कि पहले H-1B वीजा के लिए कुल शुल्क 960 डॉलर से लेकर 7,595 डॉलर तक था. लेकिन अब इसे बढ़ाकर सीधे 1 लाख डॉलर कर दिया गया है. उनके मुताबिक, इतनी ज्यादा फीस शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम सेक्टर में पहले से चल रही कर्मचारियों की कमी को और गंभीर बना देगी.
स्वास्थ्य सेक्टर पर पड़ सकता है बड़ा असर
गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए H-1B वीजा बेहद अहम माना जाता है. खासकर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के लिए. आंकड़े बताते हैं कि साल 2024 में करीब 17,000 H-1B वीजा मेडिकल और हेल्थ सेक्टर के लिए जारी किए गए थे. इनमें से लगभग आधे डॉक्टर और सर्जन थे. विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिका को साल 2036 तक करीब 86,000 डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में राज्यों का कहना है कि इतनी भारी फीस इस संकट को और गहरा कर देगी.
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