नेपाल में सेना ने संभाली कमान, मोदी-योगी के एक्शन में भारत ने बनाई ये रणनीति
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, September 10, 2025
Last Updated On: Wednesday, September 10, 2025
नेपाल इस समय भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है. सोशल मीडिया पर पाबंदी के विरोध में शुरू हुआ जनाक्रोश अब हिंसक प्रदर्शनों में बदल चुका. हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली (KP Sharma Oly) ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद नेपाल की कमान सेना के हाथों में आ गई है. राजधानी काठमांडू सहित कई इलाकों में कर्फ्यू (Nepal Army Announces Nationwide Curfew) लगा दिया गया है और सेना ने लूटपाट व हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Wednesday, September 10, 2025
Nepal Army Takeover India Strategy: नेपाल की अस्थिरता केवल उसके लिए समस्या नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों से भी गहराई से जुड़ी है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हालात की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक बुलाई. इस बैठक में नेपाल की मौजूदा परिस्थितियों और भारत की सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई.
इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं. नेपाल से जुड़ी लंबी सीमा के कारण उत्तर प्रदेश की सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. सूत्रों के अनुसार, सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और खुफिया गतिविधियों को बढ़ाने की योजना पर काम हो रहा है.
नेपाल की शांति और समृद्धि भारत के लिए सर्वोपरि
नेपाल में जारी यह संकट दक्षिण एशिया की स्थिरता पर भी गहरा असर डाल सकता है. ऐसे में भारत की ओर से त्वरित कदम और रणनीतिक तैयारी यह संदेश देती है कि वह न केवल एक पड़ोसी, बल्कि क्षेत्रीय शांति का जिम्मेदार भागीदार भी है.पीएम मोदी ने कहा कि नेपाल में हिंसा और युवाओं की मौत की खबरें बेहद दुखद और चिंताजनक हैं. उन्होंने शांति और स्थिरता की अपील करते हुए यह स्पष्ट किया कि नेपाल की शांति और समृद्धि भारत के लिए सर्वोपरि है.
ओली सरकार गिरने के बाद सेना ने संभाली कमान, कर्फ्यू लागू
- केपी शर्मा ओली सरकार को गिराने वाले देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद काठमांडू से मौत, आगजनी और तबाही की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं. हालात बेकाबू होते देख नेपाली सेना ने नई सरकार के गठन तक देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है. राजधानी समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.
- सेना ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि तोड़फोड़, लूटपाट या किसी भी व्यक्ति पर हमले जैसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस पूरे घटनाक्रम में नेपाली सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ें.
- नेपाल की मौजूदा स्थिति न केवल राजनीतिक अस्थिरता का संकेत दे रही है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने के लिए भी गंभीर चुनौती बन चुकी है. सेना की कमान संभालने से जहां आम नागरिकों में सुरक्षा की उम्मीद जगी है, वहीं सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि देश में नई सरकार का गठन कितनी जल्दी हो पाता है.
सेना की चेतावनी, जेन-जेड आंदोलन ने की नए चुनाव की मांग
सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल (Ashok Raj Sigdel) ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, “हम प्रदर्शनकारी समूह से अपील करते हैं कि वे अपने विरोध कार्यक्रम रोक दें और राष्ट्र के लिए शांतिपूर्ण समाधान हेतु बातचीत के लिए आगे आएँ. हमें ऐतिहासिक धरोहरों, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की रक्षा करनी है और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है.”
उधर, जेन-जेड (Gen Z) आंदोलन ने एक घोषणा पत्र जारी कर नेपाल में बड़े राजनीतिक सुधारों की मांग की है. इसमें कहा गया है कि यह संघर्ष किसी पार्टी या व्यक्ति से जुड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य के लिए है. आंदोलनकारियों ने मृतकों को शहीद घोषित करने और उनके परिवारों को सम्मान व सहायता देने की घोषणा की है. साथ ही, नए चुनाव कराने और तत्काल राजनीतिक कार्रवाई की मांग भी उठाई है.
भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा कड़ी, व्यापार ठप, मोदी-योगी सतर्क
नेपाल में राजनीतिक संकट गहराने के साथ ही उसका सीधा असर भारत-नेपाल सीमा पर देखा जा रहा है. सिलिगुड़ी, रक्सौल और पिथौरागढ़ जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया है. सैकड़ों मालवाहक ट्रक रुके पड़े हैं, व्यापार ठप है और नेपाल के नागरिक खाद्य सामग्री लेने भारत की ओर आ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के सात सीमावर्ती ज़िलों— पिलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज—में सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी गई है. 73 से अधिक चेकपोस्ट्स पर सघन तलाशी और चौकसी की जा रही है. भारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि नेपाल की अस्थिरता का फायदा उठाकर असामाजिक या आतंकी तत्व सीमा क्षेत्रों में सक्रिय न हो जाएँ.
भारत के लिए यह भी रणनीतिक चुनौती है कि नेपाल में बनने वाली नई सरकार किस ओर झुकेगी. यदि सरकार भारत-समर्थक होगी तो सीमा सुरक्षा, जल संसाधन, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में स्थिर सहयोग संभव होगा. लेकिन यदि चीन-समर्थक ताक़तें हावी होती हैं, तो यह भारत की उत्तर-पूर्वी और गंगा-मैदानी सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात पर त्वरित प्रतिक्रिया दी है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीमावर्ती ज़िलों में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ कर दी है. 24 घंटे गश्त, कड़े प्रवेश बिंदु जाँच और प्रशासनिक सतर्कता सुनिश्चित की जा रही है, ताकि नेपाल की अस्थिरता का असर भारत की जनता तक न पहुँचे.
विशेषज्ञ मानते हैं कि नेपाल का संकट भारत के लिए केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि सुरक्षा, आर्थिक और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़ा प्रश्न है. मोदी और योगी की रणनीति यही है कि नेपाल की परिस्थितियों का प्रतिकूल असर भारत की सीमा के भीतर अस्थिरता न फैलाए.
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