नेपाल में राजनीतिक संकट: भारत-नेपाल संबंधों पर क्या होगा असर?
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, September 9, 2025
Last Updated On: Tuesday, September 9, 2025
नेपाल में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ काठमांडू समेत कई हिस्सों में भड़के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया है. राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल की राजनीति में नया समीकरण बनता दिख रहा है. काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह, जिन्हें आमतौर पर बालेन शाह कहा जाता है, अब प्रधानमंत्री पद के नए चेहरे के रूप में तेजी से उभर रहे हैं.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Tuesday, September 9, 2025
Nepal Political Crisis India Relations: ओली के इस्तीफे से उपजे इस सत्ता शून्य ने नेपाल की राजनीति को एक बार फिर अनिश्चितता और नए समीकरणों के दौर में खड़ा कर दिया है.विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप किए बिना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और स्थिरता को समर्थन देना चाहिए. आने वाले समय में काठमांडू की घटनाएं दिल्ली की कूटनीतिक प्राथमिकताओं पर गहरा असर डाल सकती हैं.
सेना और शीर्ष अधिकारियों की संयम की अपील
नेपाल में जेनजी आंदोलन के चलते हालात बेहद जटिल होते जा रहे हैं. इसी बीच, देश के शीर्ष सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है. प्रधानसेनापति अशोकराज सिग्देल, मुख्य सचिव एकनारायण अर्याल, प्रहरी महानिरीक्षक चन्द्रकुवेर खापुङ, राष्ट्रीय अनुसन्धान विभाग के प्रमुख हुतराज थापा, सशस्त्र प्रहरी महानिरीक्षक राजु अर्याल और गृह सचिव गोकर्णमणी दुवाडी ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा स्वीकार हो चुका है और अब नागरिकों को संयम बरतना चाहिए.
बालेन शाह बने युवाओं की पहली पसंद
सिर्फ 33 वर्षीय बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर युवाओं के आंदोलन को खुला समर्थन दिया. उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा, “मैं पूरी तरह युवाओं के साथ खड़ा हूं और राजनीतिक दलों के नेताओं को चेतावनी देता हूं कि इस आंदोलन का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश न करें.” उनकी यह स्पष्ट और निर्भीक बात युवाओं को खूब भा गई. अब कई युवा उन्हें पारंपरिक राजनीति से अलग एक नए विकल्प के रूप में देखने लगे हैं.
बयान में कहा गया
कल से काठमांडू समेत देश के विभिन्न हिस्सों में हुए प्रदर्शनों में भारी जन-धन की हानि हुई है. हम उन सभी व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने अपनी जान गंवाई है और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. चूंकि प्रधानमंत्री का इस्तीफा स्वीकार हो चुका है, इसलिए इस कठिन परिस्थिति में आगे किसी भी प्रकार की जन-धन की क्षति न हो, इसके लिए सभी नागरिक संयम बरतें.”
संवाद से समाधान पर जोर
शीर्ष अधिकारियों ने अपील की है कि देश की मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को संवाद का रास्ता अपनाना होगा. उनका कहना है कि केवल आपसी बातचीत और समझदारी से ही इस संकट का समाधान निकाला जा सकता है.
संघीय संसद राष्ट्रीय मुद्दों का समाधान करने में विफल रही है और अब इसकी वैधता समाप्त
रास्वपा के कार्यवाहक सभापति डीपी अर्याल ने कहा कि वर्तमान संघीय संसद राष्ट्रीय मुद्दों का समाधान करने में विफल रही है और अब इसकी वैधता समाप्त हो चुकी है. पार्टी ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे, न्यायिक जांच आयोग गठन और संविधान संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने सहित पाँच सूत्री मांगें रखी हैं.
रास्वपा के कार्यवाहक सभापति डीपी अर्याल ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पार्टी ने पाँच सूत्री मांगों के साथ यह कदम उठाया है. उनका कहना है कि वर्तमान संघीय संसद राष्ट्रीय मुद्दों का समाधान करने में विफल रही है और इसकी वैधता समाप्त हो चुकी है.
रास्वपा की प्रमुख मांगें:
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए.
- घटना की निष्पक्ष जांच के लिए उच्चस्तरीय न्यायिक जांच आयोग का गठन हो.
- सर्वपक्षीय अंतरिम नागरिक सरकार का गठन किया जाए.
- प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, संचारमंत्री और काठमांडू के प्रमुख जिला अधिकारी को बर्खास्त कर हिरासत में लिया जाए तथा दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो.
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए.
विज्ञप्ति में रास्वपा ने हाल ही में मारे गए जेनजी योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी और घायल नागरिकों के शीघ्र व निशुल्क उपचार की मांग की. साथ ही पार्टी ने देश की प्रमुख संपत्ति माने जाने वाले जेनजी समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करने और उनके आंदोलन को समर्थन देने का संकल्प दोहराया.
इस इस्तीफे से नेपाल की सत्ता संतुलन पर गहरा असर पड़ना तय है. सरकार पर राजनीतिक दबाव और बढ़ेगा. वहीं विपक्ष को भी नए गठजोड़ की संभावनाएं तलाशने का मौका मिलेगा. अंतरिम सरकार की मांग नेपाल के राजनीतिक भविष्य को और अनिश्चित बना सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप किए बिना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और स्थिरता को समर्थन देना चाहिए. आने वाले समय में काठमांडू की घटनाएं दिल्ली की कूटनीतिक प्राथमिकताओं पर गहरा असर डाल सकती हैं.350
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