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Narges Mohammadi: 13 गिरफ्तारियां, दशकों की सज़ा और नोबेल सम्मान: कौन हैं ईरान की विद्रोही नरगिस
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Saturday, December 13, 2025
Last Updated On: Saturday, December 13, 2025
पिछले एक साल में नरगिस मोहम्मदी ने अनिवार्य हेडस्कार्फ़ (हिजाब) पहनने से इनकार कर दिया था. वह लगातार अन्य कार्यकर्ताओं से मिलती रहीं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ईरान में हो रहे दमन की बात रखती रहीं. उन्होंने ‘टाइम’ पत्रिका में लिखा, ‘ईरानी नागरिकों का जीवन निगरानी, सेंसरशिप, मनमानी गिरफ्तारी और यातना के साए में बीत रहा है. इसके बाद उन्हें पुनः गिरफ्तार किया गया.
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Saturday, December 13, 2025
ईरान (Iran) में मानवाधिकारों और महिलाओं की आज़ादी के लिए दशकों से संघर्ष कर रहीं नरगिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi) आज पूरी दुनिया में प्रतिरोध और साहस की पहचान बन चुकी हैं. दो साल पहले, वर्ष 2023 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष की मान्यता है, बल्कि ईरान में चल रहे ‘महिला, जीवन, स्वतंत्रता’ आंदोलन की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति भी है. नोबेल सम्मान देने वाली समिति ने उन्हें महिलाओं के खिलाफ सिस्टमैटिक भेदभाव (Systematic Discrimination) और उत्पीड़न (Harassment) के विरुद्ध लड़ने वाली ‘स्वतंत्रता सेनानी’ (Freedom Fighter) बताया था.
51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी का जीवन लगातार गिरफ्तारी, मुकदमों और जेल की यातनाओं के बीच बीता है. वर्ष 2010 से वे लगभग निरंतर कारावास में रही हैं. अब तक उन्हें 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है. यही नहीं उन्हें पांच मामलों में दोषी ठहराया गया है और करीब 36 वर्षों तक की जेल तथा 154 कोड़ों की सज़ा सुनाई गई है.
इंजीनियर से बनी मानवाधिकार कार्यकर्ता (Human Rights Activist)
नरगिस मोहम्मदी का जन्म 1972 में हुआ हैं. वह पेशे से इंजीनियर रहीं हैं. बाद में वह पूरी तरह मानवाधिकार आंदोलन से जुड़ गईं. वह ईरान के प्रसिद्ध डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (DHRC) की उपाध्यक्ष हैं. इस सेंटर की स्थापना नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने की थी. इसी संगठन के ज़रिए मोहम्मदी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी, राजनीतिक कैदियों के अधिकार और महिलाओं पर हो रहे दमन के खिलाफ लगातार अभियान चलाया.
मृत्युदंड के खिलाफ मोहम्मदी
मोहम्मदी महिला आधिकारों के अलावा ईरान में मृत्युदंड के खिलाफ अपने संघर्ष के लिए जानी जाती हैं. ईरान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां फांसी की सज़ा सबसे अधिक दी जाती है. वह बार-बार इसे ‘राज्य प्रायोजित हिंसा’ बताते हुए इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती रही है. इसके साथ महिलाओं पर सिस्टमैटिक भेदभाव, अनिवार्य हिजाब, और सुरक्षा बलों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों को वह खुलकर विरोध करती रही हैं.
डेढ़ दशक और 13 गिरफ्तारियां
इस संघर्ष की उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. पिछले डेढ़ दशक में मोहम्मदी को 13 बार गिरफ्तार किया गया है. अब तक उन्हें पांच बार दोषी ठहराया गया है. वर्ष 2010 के बाद से वह लगभग लगातार किसी न किसी रूप में जेल में रही हैं. वर्तमान 13 दिसंबर को उन्हें ‘राज्य के खिलाफ प्रचार’ जैसे आरोपों में फिर से गिरफ्तार किया गया.
जेल में भी आंदोलन
तेहरान की कुख्यात एविन जेल में बंद रहते हुए भी मोहम्मदी की आवाज़ खामोश नहीं हुई. उन्होंने जेल के अंदर से पत्र लिखकर महिला कैदियों के साथ हो रहे यौन और शारीरिक दुर्व्यवहार का खुलासा किया. तीन साल पहले सितंबर 2022 में 22 वर्षीय महसा अमीनी की हिरासत में मौत के बाद ईरान में ‘महिला, जीवन, स्वतंत्रता’ आंदोलन उभरा. उस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार की गई महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का विवरण उन्होंने जेल में रहते हुए दुनिया के सामने लाया.
एक लेखिका नरगिस मोहम्मदी
नरगिस मोहम्मदी ने अपने अनुभवों को किताब का रूप भी दिया. उनकी चर्चित किताब ‘व्हाइट टॉर्चर’ (White Torture) ईरानी महिला कैदियों के साथ इंटरव्यू में अकेले कारावास की अमानवीय यातना को दर्ज किया गया है. इसमें उन्होंने अपने सहित 12 महिला कैदियों के अनुभव साझा किए हैं. इनमें मोहम्मदी ने लिखा है कि एकांत कारावास ‘क्रूर और अमानवीय सज़ा’ है और जब तक इसे समाप्त नहीं किया जाता, वह चैन से नहीं बैठेंगी.
उनके पति और बच्चे
मोहम्मदी के संघर्ष का उनके निजी जीवन पर भी गहरा असर पड़ा है. उनके पति, प्रसिद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता ताघी रहमानी, अपने दो बच्चों के साथ पेरिस में निर्वासन में रहते हैं. वर्षों से पति-पत्नी एक-दूसरे को देख तक नहीं पाए हैं. ताघी रहमानी के अनुसार, नरगिस सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि ईरान में आज़ादी और प्रतिरोध के पूरे आंदोलन की प्रतीक बन चुकी हैं.
दिसंबर 2024 में नरगिस मोहम्मदी को मेडिकल कारणों से तीन सप्ताह के लिए अस्थायी रिहाई मिली थी, लेकिन इसके बाद एक बार फिर उनकी गिरफ्तारी हो गई. उन्हें पूर्वी शहर मशहद में एक स्मारक समारोह के दौरान हिंसक तरीके से हिरासत में लिया गया. यह समारोह एक वकील खोसरो अलीकोर्डी की संदिग्ध मौत के बाद आयोजित किया गया था. इस गिरफ्तारी पर नोबेल समिति ने भी गहरी चिंता जताई है. समिति ने ईरानी अधिकारियों से बिना शर्त मोहम्मदी की रिहाई की मांग की है.
महिला स्वतंत्रताओं की प्रतीक
नरगिस मोहम्मदी आज केवल एक मानवाधिकार कार्यकर्ता नहीं, बल्कि ईरान में लोकतंत्र, महिलाओं की स्वतंत्रता और मानव गरिमा की लड़ाई का प्रतीक बन चुकी हैं. बार-बार की गिरफ्तारियों और कठोर सजाओं के बावजूद उनका संघर्ष यही दिखाता है कि सत्ता चाहे जितनी भी कठोर क्यों न हो, सत्य और प्रतिरोध की आवाज़ को हमेशा कैद नहीं किया जा सकता.















