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जब ट्रंप झुक गए जिनपिंग की लीडरशिप के आगे, वो ताकत है जिसे हासिल करना चाहते हैं ट्रंप
Authored By: Nishant Singh
Published On: Friday, November 7, 2025
Last Updated On: Friday, November 7, 2025
जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के शक्तिशाली नेता शी जिनपिंग मिले, तो यह मुलाकात सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि नेतृत्व की टक्कर थी. ट्रंप जिनपिंग की उस ताकत से इतने प्रभावित हुए कि बोले - “मुझे भी अपनी टीम में ऐसे लोग चाहिए.” असल में ट्रंप जिनपिंग की उस ‘काबू रखने वाली शक्ति’ को पाना चाहते हैं, जिससे पूरा चीन उनके इशारे पर चलता है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Friday, November 7, 2025
Trump Respects Xi Leadership: दुनिया की दो सबसे ताकतवर हस्तियां अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब एक ही टेबल पर बैठते हैं, तो यह सिर्फ मुलाकात नहीं होती, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय होती है. हाल ही में दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में हुई इन दोनों नेताओं की बैठक के बाद एक ऐसा दिलचस्प किस्सा सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया. ट्रंप ने जिनपिंग के बारे में ऐसी बात कही, जिससे साफ झलकता है कि वे चीन के इस नेता की ताकत और उसके नेतृत्व शैली से कितने प्रभावित हुए हैं.
जिनपिंग की टीम से डरे ट्रंप के विचार
ट्रंप ने अपनी पार्टी के रिपब्लिकन सीनेटरों के साथ बैठक के दौरान बताया कि जिनपिंग की मीटिंग में शामिल होने वाले अधिकारी इतने अनुशासित और डरे हुए थे कि उन्होंने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा. ट्रंप ने मजाकिया लहजे में कहा – “मुझे भी अपनी टीम में ऐसे डरपोक लेकिन वफादार लोग चाहिए.”
यह बयान भले ही हंसी-मजाक में कहा गया हो, लेकिन इसके पीछे ट्रंप की सोच साफ दिखती है. वे दरअसल जिनपिंग के नेतृत्व की ‘कमांडिंग पावर’ की तारीफ कर रहे थे. एक ऐसी ताकत जिससे पूरी टीम अपने नेता के इशारे पर बिना सवाल किए काम करती है.
ट्रंप की नज़र जिनपिंग की ‘काबू रखने की ताकत’ पर
शी जिनपिंग की सबसे बड़ी ताकत है – ‘कंट्रोल और कमांड’ की कला. वे अपने अधिकारियों, मीडिया, और पूरे सिस्टम पर इतनी मजबूत पकड़ रखते हैं कि उनकी नीतियों पर कोई सवाल उठाने की हिम्मत नहीं करता. ट्रंप इसी शक्ति से प्रभावित हुए.
उन्होंने कहा कि अमेरिकी टीम में भी ऐसा अनुशासन और एकजुटता होनी चाहिए. दरअसल, ट्रंप हमेशा से अमेरिकी सिस्टम की खुली आलोचना करते रहे हैं, जहां लोकतंत्र के नाम पर अक्सर अंदरूनी विरोध और सत्ता संघर्ष देखने को मिलता है. जबकि चीन में जिनपिंग का शासन केंद्रीकृत और अनुशासित है – यही बात ट्रंप को भा गई.
ट्रंप और जिनपिंग की ‘ट्रेड डिप्लोमेसी’
दोनों नेताओं की यह मुलाकात सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं रही. इसका असर वैश्विक व्यापार पर भी पड़ा. रिपोर्टों के अनुसार, मुलाकात के बाद चीन और अमेरिका के रिश्तों में सुधार दिखा.
- चीन ने अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू की.
- कई अमेरिकी उत्पादों पर से टैरिफ घटाए गए.
- अमेरिका ने भी कुछ चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करने का निर्णय लिया.
ट्रंप ने इस उपलब्धि को अपने तरीके से बयान करते हुए कहा – “अगर मैंने टैरिफ नहीं लगाए होते, तो यह समस्या कभी हल नहीं होती.” उनका यह बयान दिखाता है कि वे खुद को एक ‘स्मार्ट डील मेकर’ मानते हैं – ठीक उसी तरह जैसे जिनपिंग अपनी रणनीतिक जीत पर गर्व करते हैं.
रेयर अर्थ विवाद का निपटारा और ट्रंप का इशारा
ट्रंप ने अपने बयान में यह भी बताया कि कुछ महीने पहले पूरी दुनिया ‘रेयर अर्थ’ यानी दुर्लभ खनिजों की कमी से परेशान थी. लेकिन अब वह संकट खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने टैरिफ का रास्ता नहीं अपनाया होता, तो यह कभी संभव नहीं होता. यानी ट्रंप भी जिनपिंग की तरह यह मानते हैं कि कठोर नीति ही असली नेतृत्व की निशानी है – चाहे आलोचना हो या विरोध, परिणाम मायने रखता है.
जी-20 से दूरी और ट्रंप की नाराजगी
इसी बीच ट्रंप ने यह भी साफ किया कि वे दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा – “दक्षिण अफ्रीका को जी-20 में होना ही नहीं चाहिए. वहां जो हुआ है, वह बहुत बुरा है.” यह बयान एक बार फिर ट्रंप की अलग सोच को उजागर करता है, जहां वे वैश्विक संस्थाओं के खिलाफ जाकर खुद को ‘निर्भीक’ और ‘स्वतंत्र निर्णय लेने वाला नेता’ साबित करना चाहते हैं. यह वही गुण है जो वे जिनपिंग में देख चुके हैं और शायद उसी को अपनाने की कोशिश में हैं.
ट्रंप को जिनपिंग की जो ताकत चाहिए
असल में ट्रंप जिनपिंग की जिस ताकत से प्रभावित हैं, वह ‘डर से भरा सम्मान’ और ‘पूर्ण नियंत्रण’ है. जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की टीम न सिर्फ एकजुट है बल्कि हर निर्णय पर पूरी तरह वफादार भी. वहीं ट्रंप के लिए अमेरिकी लोकतंत्र की ढीली डोरें और आलोचनात्मक सिस्टम अक्सर सिरदर्द रहे हैं. इसलिए जब उन्होंने कहा – “मुझे भी अपनी टीम में ऐसे लोग चाहिए,” तो यह सिर्फ मजाक नहीं था, बल्कि एक संकेत था कि ट्रंप भी जिनपिंग जैसी ‘अडिग सत्ता’ की चाह रखते हैं, जहां आदेश सवालों से ऊपर होता है.
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