तालिबानी दूतावास और महिलाओं की एंट्री: क्यों फेल हुई भारत सरकार की ताकत? क्या है Vienna Convention?

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Thursday, October 16, 2025

Last Updated On: Thursday, October 16, 2025

Taliban Embassy Women Entry को लेकर भारत सरकार की प्रतिक्रिया और Vienna Convention की जानकारी.
Taliban Embassy Women Entry को लेकर भारत सरकार की प्रतिक्रिया और Vienna Convention की जानकारी.

अफगानिस्तान के तालिबानी दूतावास में महिला पत्रकारों को एंट्री न मिलने के विवाद ने मोदी सरकार को घेर दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता? इसका कारण है वियना कन्वेंशन 1961, जो दूतावासों को सुरक्षा और संप्रभुता देता है. यही कानून तय करता है कि किसी देश के दूतावास में मेज़बान देश सीधे कानून लागू नहीं कर सकता.

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Last Updated On: Thursday, October 16, 2025

Taliban Embassy Women Entry: हाल ही में अफगानिस्तान के तालिबानी दूतावास में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं देने की घटना ने भारत में राजनीतिक बहस छेड़ दी. विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह महिला विरोधी रवैया है और सरकार महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी कर रही है. लेकिन इस पूरे विवाद के पीछे एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कानून है- वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961, जिसे भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देशों ने मान्यता दी है.

दूतावास क्या है और उसका अधिकार क्षेत्र

जब किसी देश में कोई विदेशी दूतावास होता है, तो वह दूतावास उस देश का संप्रभु हिस्सा माना जाता है. इसका मतलब यह है कि उस दूतावास की गतिविधियों में मेज़बान देश की सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती. यही कारण है कि भारत सरकार अफगानी दूतावास में महिलाओं की एंट्री पर रोक लगाने या उसे बदलने में सक्षम नहीं थी.

वियना कन्वेंशन 1961 क्या है?

वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस 1961 का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच राजनयिक संबंधों को सुरक्षित और प्रभावी बनाना है. यह कानून दूतावासों को विशेषाधिकार देता है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो. इसमें यह प्रावधान है कि दूतावास की गतिविधियों में मेज़बान देश की सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

भारत और अफगानिस्तान का मामला

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के भारत दौरे के दौरान दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. इसके दौरान तालिबानी सरकार ने अपने दूतावास में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया. विपक्ष ने इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भारत में महिलाओं के अधिकारों के साथ भेदभाव हो रहा है. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस मामले में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है.

दूतावास में क्या कानून चलता है?

रिटायर्ड राजदूत अनिल त्रिगुणायत कहते हैं, “कोई भी दूतावास एक संप्रभु राष्ट्र का हिस्सा होता है. वहां की गतिविधियों में मेज़बान देश की सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती. तालिबान की विचारधारा महिलाओं को लेकर कैसी है, यह उनकी आंतरिक समस्या है. वियना कन्वेंशन दूतावास को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न से बचाता है. भारत अपने दूतावासों में नियम लागू करता है, लेकिन जब अन्य देशों के दूतावास हमारी भूमि पर हों, तो उनके कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.”

वियना कन्वेंशन की खासियत

वियना कन्वेंशन दो देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करता है और दूतावासों तथा उनके अधिकारियों को सुरक्षा और सम्मान प्रदान करता है. यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी देश का दूतावास स्वतंत्र रूप से काम कर सके और दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बना रहे.

भारत वियना कन्वेंशन का हिस्सा

भारत वियना कन्वेंशन 1961 का हिस्सा है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के रूप में मान्यता देता है. इस कानून के कारण ही भारत सरकार अफगानी दूतावास में महिलाओं की एंट्री को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती थी, भले ही यह देश के भीतर हुई हो.

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गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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