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अमेरिका, रूस और चीन को लेकर घोषणा, ट्रंप ने किया बड़ा ऐलान, अब दुनिया बनेगी ‘न्यूक्लियर फ्री’?
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Thursday, November 6, 2025
Last Updated On: Thursday, November 6, 2025
दुनिया फिर से एक बड़े भूचाल के मुहाने पर खड़ी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा ऐलान किया है जिसने वाशिंगटन से लेकर बीजिंग और मॉस्को तक हलचल मचा दी है. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका, रूस और चीन अब मिलकर परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कदम बढ़ाएंगे. यानी हथियार नहीं, अब शांति की तैयारी. लेकिन क्या वाकई तीनों महाशक्तियां एक साथ आ पाएंगी… या ये भी बन जाएगा सिर्फ एक राजनीतिक दांव? जानिए आगे…
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Thursday, November 6, 2025
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अब एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका, रूस और चीन अब मिलकर परमाणु निरस्त्रीकरण (Nuclear Disarmament) की दिशा में काम करेंगे. यानी दुनिया के तीन सबसे बड़े परमाणु शक्ति संपन्न देश अब हथियारों की संख्या घटाने या खत्म करने की तैयारी में हैं. ये कदम न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि पूरी वैश्विक राजनीति को बदल देने वाला साबित हो सकता है.
न्यूक्लियर टेस्ट से लेकर निरस्त्रीकरण तक का ट्रंप का सफर
ट्रंप अपने बयानों और फैसलों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. कुछ ही दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे देश गुपचुप तरीके से न्यूक्लियर टेस्ट कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया था – “जब बाकी सब टेस्ट कर रहे हैं, तो अमेरिका क्यों पीछे रहे?” उन्होंने यहां तक कहा था कि अमेरिका भी फिर से न्यूक्लियर परीक्षण शुरू करेगा.
लेकिन अब वही ट्रंप एक बड़ा यू-टर्न लेते हुए कह रहे हैं कि दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त किया जाए. उन्होंने कहा – “अब वक्त आ गया है कि हम सब एक साथ मिलकर इस खतरनाक दौड़ को खत्म करें और दुनिया को सुरक्षित बनाएं.”
परमाणु निरस्त्रीकरण का मतलब क्या है?
साधारण शब्दों में परमाणु निरस्त्रीकरण का मतलब होता है – परमाणु हथियारों की संख्या को कम करना या पूरी तरह से खत्म कर देना. इसका उद्देश्य है एक ऐसी दुनिया बनाना जहां परमाणु हथियारों का डर न हो और किसी देश की सुरक्षा इन हथियारों पर निर्भर न करे. इस पहल का मकसद ये है कि कोई भी देश दूसरे पर परमाणु हमले की धमकी न दे सके. अगर ट्रंप की ये योजना सच में अमल में आती है, तो ये मानव इतिहास का सबसे बड़ा कदम हो सकता है.
ट्रंप की नई योजना – “ग्लोबल डिसआर्मामेंट इनिशिएटिव”
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने अपनी नई पहल को “ग्लोबल डिसआर्मामेंट इनिशिएटिव” नाम दिया है. इसमें अमेरिका, रूस और चीन मिलकर एक साझा नीति पर काम करेंगे.
इस योजना के तीन प्रमुख बिंदु माने जा रहे हैं:
- हथियारों की गिनती घटाना – तीनों देश अपने परमाणु भंडार की संख्या में धीरे-धीरे कटौती करेंगे.
- नई तकनीक पर नियंत्रण – नई परमाणु तकनीकों के विकास और परीक्षण पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ाई जाएगी.
- विश्वव्यापी सुरक्षा समझौता – संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में एक समझौता तैयार होगा जिससे कोई भी देश एकतरफा परमाणु परीक्षण न कर सके.
यह कदम न सिर्फ हथियारों की दौड़ को रोकने में मदद करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्थायी भविष्य दे सकता है.
पहले भी उठ चुकी है निरस्त्रीकरण की चर्चा
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर बात की हो. साल की शुरुआत में भी उन्होंने कहा था – “परमाणु हथियारों पर बहुत ज्यादा खर्च किया जा रहा है. अब वक्त आ गया है कि हम सोचे कि क्या वास्तव में ये हथियार ज़रूरी हैं?” ट्रंप ने पहले भी कहा था कि अगर दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश एक साथ बैठें और समझदारी दिखाएं, तो ‘न्यूक्लियर फ्री वर्ल्ड’ बनाना असंभव नहीं है.
चुनौतियां भी कम नहीं हैं
हालांकि ट्रंप की यह पहल जितनी बड़ी लगती है, उतनी ही जटिल भी है.
- रूस और चीन दोनों के लिए परमाणु हथियार सुरक्षा कवच की तरह हैं.
- अमेरिका के सैन्य ठेकेदार और लॉबी समूह ऐसे किसी कदम का विरोध कर सकते हैं.
- इसके अलावा, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देश जो पहले ही प्रतिबंधों की चपेट में हैं, इस प्रक्रिया में शामिल होंगे या नहीं, ये बड़ा सवाल है. फिर भी, अगर तीनों महाशक्तियां ईमानदारी से आगे बढ़ती हैं, तो वैश्विक शांति की नई इबारत लिखी जा सकती है.
दुनिया की प्रतिक्रिया: उम्मीद और सवाल दोनों
ट्रंप के इस ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ विशेषज्ञ इसे “वर्ल्ड पीस की दिशा में ऐतिहासिक कदम” मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि ये सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी है. यूरोप के कई देशों ने इसे सराहा है, वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप इस घोषणा के जरिए राजनीतिक फायदा भी लेना चाहते हैं, खासकर चुनावी माहौल में.
क्या सच में दुनिया ‘न्यूक्लियर-फ्री’ बन पाएगी?
ट्रंप का यह ऐलान दुनिया के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है. लेकिन इतिहास गवाह है कि परमाणु निरस्त्रीकरण की राह आसान नहीं होती. इसके लिए सिर्फ समझौते नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और पारदर्शिता की जरूरत होती है.
अगर अमेरिका, रूस और चीन वास्तव में आगे बढ़ते हैं, तो ये मानव सभ्यता के लिए एक नया युग होगा, जहां सुरक्षा हथियारों से नहीं, भरोसे से तय होगी. अब सबकी निगाहें इसी पर टिकी हैं कि क्या ट्रंप की ये पहल इतिहास बदल देगी या फिर एक और अधूरी घोषणा बनकर रह जाएगी… जानिए आने वाले दिनों में क्या मोड़ लेती है ये ‘न्यूक्लियर क्रांति’.
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