Special Coverage
अमेरिका-ताइवान हथियार सौदा: क्या ताइवान चीन के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Thursday, December 18, 2025
Last Updated On: Thursday, December 18, 2025
अमेरिका, ताइवान को 11.1 बिलियन डॉलर का बेचेगा. ट्रंप प्रशासन ने इसकी मंज़ूरी दे दी है. यह हथियार सौदा संकेत देता है कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव कम होने के बजाय और बढ़ने है. अमेरिका का समर्थन, ताइवान की बढ़ती सैन्य तैयारियां और चीन की कड़ी आपत्तियों के बीच यह इलाका आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति का एक प्रमुख केंद्र बना रह सकता है.
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Thursday, December 18, 2025
US-Taiwan arms deal: अमेरिका ने 17 दिसंबर को ताइवान के लिए 11.1 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंज़ूरी देकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया है. ताइवान के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा अमेरिकी हथियार पैकेज है. पिछले कुछ दिनों से चीन-ताइवान के बीच तल्खी बढ़ रहा है. चीन लगातार ताइवान पर सैन्य और राजनयिक दबाव बढ़ा रहा है. चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है. जबकि ताइवान सरकार बीजिंग के संप्रभुता के दावे को साफ़ तौर पर खारिज करती है.
अमेरिका द्वारा ताइवान को यह हथियार बिक्री राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मौजूदा कार्यकाल के दौरान दूसरी बड़ी मंज़ूरी है. इससे स्पष्ट होता है कि तमाम अटकलों और आशंकाओं के बावजूद वाशिंगटन फिलहाल ताइवान के सुरक्षा समर्थन से पीछे हटने के मूड में नहीं है.
हथियार पैकेज में क्या-क्या
ताइवान रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के प्रस्तावित हथियार सौदे में कुल आठ प्रमुख श्रेणियों के सैन्य उपकरण को शामिल किया गया है. इनमें अमेरिकी निर्मित HIMARS (हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम), आधुनिक हॉवित्ज़र तोपें, जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें, अल्टियस लोइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन और अन्य सैन्य प्रणालियों के अहम पुर्ज़े शामिल हैं.
रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अमेरिका ताइवान को आत्मरक्षा करने के लिए मदद करता रहेगा. यह पैकेज ताइवान की सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने और युद्ध रणनीति अपनाने में सक्षम बनाएगा. इसमें ऐसे मोबाइल, छोटे और अपेक्षाकृत सस्ते हथियारों का इस्तेमाल किया जाना है, जो बड़े और ताकतवर दुश्मन को भी प्रभावी नुकसान पहुंचा सके. मसलन, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और सटीक हमले करने वाले हथियार.
प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस में लंबित
प्रस्तावित हथियार पैकेज अभी अमेरिकी कांग्रेस में लंबित है. ट्रंप प्रशासन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पास बिक्री को रोकने या उसमें बदलाव करने का अधिकार होता है. वहीं ताइवान का कहना है कि उसे इस मुद्दे पर अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों का व्यापक समर्थन हासिल है.
अमेरिका का तर्क और रणनीति
पेंटागन ने इस पर कई अलग-अलग बयान दिए हैं. पेंटागन ने अपने बयानों में कहा है कि यह हथियार बिक्री ताइवान के सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षमता को मज़बूत करने के अमेरिकी प्रयासों का हिस्सा है. इससे ताइवान के राष्ट्रीय, आर्थिक और सुरक्षा हित पूरे होंगे।
वॉशिंगटन लंबे समय से ताइवान को सलाह देता रहा है कि वह अपने सैन्य ढांचे को इस तरह बदले और मजबूत करे कि वह चीन जैसे बड़े सैन्य बल का सामना कर सके. इसी कारण से ताइवान अब पारंपरिक भारी हथियारों की बजाय ऐसे सिस्टम पर ध्यान दे रहा है, जो तेज़ी से तैनात किए जा सकें और दुश्मन को अचंभित कर सकें.
- अमेरिका ने ताइवान के लिए $11.1 बिलियन के हथियार पैकेज को मंज़ूरी दी.
- ताइवान के लिए सबसे बड़े अमेरिकी हथियार पैकेज में HIMARS, हॉवित्ज़र, ड्रोन शामिल हैं.
- ताइवान अमेरिकी समर्थन से युद्ध की तैयारी कर रहा है.
- अमेरिका-ताइवान हथियार बिक्री से अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव.
- ताइवान ने अतिरिक्त रक्षा खर्च में $40 बिलियन की योजना बनाई है.
ताइवान की प्रतिक्रिया
ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता करेन कुओ ने हथियार बिक्री के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया है. साथ ही कुओ ने कहा कि उनका देश रक्षा सुधारों को आगे बढ़ाता रहेगा. हम पूरे समाज की रक्षा को मज़बूत करेंगे, अपनी रक्षा करने के संकल्प को दिखाएंगे और ताकत के ज़रिए शांति की रक्षा करेंगे.
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते पहले ही 40 अरब डॉलर के एक सप्लीमेंट्री डिफेंस बजट की घोषणा कर चुके हैं. यह 2026 से 2033 तक चलेगा. राष्ट्रपति लाई का स्पष्ट कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
चीनी आपत्ति और क्षेत्रीय तनाव
चीन ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है. वह इस तरह की हथियार बिक्री को अपनी संप्रभुता में हस्तक्षेप के रूप में देखता है. हालांकि इस ताज़ा घोषणा पर चीन के विदेश मंत्रालय ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन अतीत में बीजिंग ऐसी हर डील पर कड़ा विरोध जताता रहा है. अमेरिका और चीन के बीच यह मुद्दा लंबे समय से तनाव का एक बड़ा कारण रहा है.
राजनीतिक संदेश
यूएस-ताइवान बिज़नेस काउंसिल के अध्यक्ष रूपर्ट हैमंड के अनुसार, HIMARS जैसे हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन ने रूस के खिलाफ प्रभावी ढंग से किया है. यह किसी भी संभावित चीनी हमले को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. यह अमेरिकी पैकेज न सिर्फ चीन से बढ़ते खतरे का जवाब है, बल्कि ट्रंप प्रशासन की उस रणनीति का भी हिस्सा है, जिसमें उनका मानना है कि सहयोगी देश अपनी रक्षा के लिए अधिक ज़िम्मेदारी उठाएं.
इस हथियार सौदे की घोषणा से ठीक पहले ताइवान के विदेश मंत्री लिन चिया-लंग ने बिना सार्वजनिक घोषणा के अमेरिका की यात्रा की थी. वहां उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की. उन बैठकों के एजेंडे को सार्वजनिक भी नहीं किया गया था. अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उस दौरे में हथियार बिक्री पर चर्चा अवश्य हुई होगी.
यह भी पढ़ें :- Trump-Venezuela Controversy: क्या दुनिया एक और युद्ध की ओर बढ़ रही है?















