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क्या है अब्राहम अकॉर्ड्स जिसके तहत एक और मुस्लिम देश इजराइल को देगा मान्यता
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Friday, November 7, 2025
Last Updated On: Friday, November 7, 2025
Abraham Accords: अब्राहम अकॉर्ड्स 2020 में अमेरिका की मध्यस्थता से शुरू हुआ एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसने मिडिल ईस्ट की दशकों पुरानी कूटनीतिक दूरियों को मिटाया. अब कजाकिस्तान के इस समझौते में शामिल होने के बाद एक और मुस्लिम देश इजरायल को औपचारिक मान्यता देने जा रहा है. यह कदम अमेरिका, इजरायल और अरब देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों की नई शुरुआत माना जा रहा है.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Friday, November 7, 2025
Abraham Accords: मिडिल ईस्ट में ट्रंप के शांति प्रयासों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. दुनिया का एक और बड़ा मुस्लिम देश अब इजरायल को मान्यता देने जा रहा है. इस कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
दरअसल, कजाकिस्तान ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह अब्राहम अकॉर्ड्स (Abraham Accords) में शामिल होगा. यह वही समझौता है जिसकी शुरुआत साल 2020 में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हुई थी. तब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन जैसे प्रमुख अरब देशों ने इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने का फैसला किया था. अब कजाकिस्तान के जुड़ने से इस समझौते की चर्चा फिर तेज हो गई है. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है अब्राहम अकॉर्ड्स, और इसका उद्देश्य क्या है?
क्या है अब्राहम अकॉर्ड्स?
साल 2020 में अमेरिका की मध्यस्थता में अब्राहम अकॉर्ड्स पर हस्ताक्षर हुए. 2017 में डोनाल्ड ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने, तभी उन्होंने इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों को सुधारने की पहल शुरू की थी. उसी पहल का नतीजा था अब्राहम अकॉर्ड्स.
यह समझौता सबसे पहले इजरायल, यूएई और बहरीन के बीच हुआ. बाद में सूडान और मोरक्को भी इससे जुड़ गए. अमेरिका ने इस पूरी प्रक्रिया में मध्यस्थ की भूमिका निभाई. 13 अगस्त 2020 को इस समझौते के औपचारिक ऐलान के साथ ही मिडिल ईस्ट की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ. जहां पहले इजरायल और अरब देशों के बीच तनाव आम बात थी, वहीं अब दोनों के बीच औपचारिक राजनयिक रिश्ते बनने लगे.
इसका क्या है उद्देश्य?
इस समझौते का सबसे बड़ा उद्देश्य था मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति स्थापित करना. इसके तहत इजरायल और इस्लामिक देशों के बीच पुराने मतभेदों को दूर कर एक नए दौर की शुरुआत की गई. इस पहल से अरब देशों और इजरायल के बीच व्यापार, तकनीक और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग के रास्ते खुले. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप का मकसद साफ था मिडिल ईस्ट को लगातार चल रहे संघर्षों से निकालकर स्थिरता की दिशा में ले जाना.
क्यों रखा गया इसका नाम ‘अब्राहम अकॉर्ड्स?
इस समझौते का नाम ‘अब्राहम’ रखा गया क्योंकि यह यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों अब्राहमिक धर्मों से जुड़ा है. माना जाता है कि हज़रत इब्राहिम (Abraham) इन तीनों धर्मों के साझा पूर्वज हैं. वे यहूदी और इस्लाम, दोनों में पैगंबर माने जाते हैं.
इसलिए इस समझौते का नाम अब्राहम रखना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एकता का संदेश भी देता है. इसका मतलब है ‘तीनों धर्मों की साझा जड़ों से एक नई शुरुआत.’ अमेरिका, मुस्लिम देश और इजरायल तीनों पक्ष इस बात के हिस्सेदार हैं कि आपसी भरोसे और समझ से ही मिडिल ईस्ट में शांति लाई जा सकती है.
यह समझौता मिडिल ईस्ट की राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव माना जाता है, जिसने दशकों पुराने टकराव को बातचीत और सहयोग के रास्ते पर लाने की दिशा दिखाई.
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