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जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के नेताओं का महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनावों पर क्यों टिकीं हैं नजरें
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के नेताओं का महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनावों पर क्यों टिकीं हैं नजरें
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Saturday, October 19, 2024
Updated On: Saturday, October 19, 2024
भारतीय राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि चुनाव पूर्व गठबंधन के दल सरकार बनने पर उसमें शामिल नहीं हुआ है। अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने पर कहीं कांग्रेस को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में नुकसान का तो डर नहीं सता रहा।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Saturday, October 19, 2024
जम्मू-कश्मीर में सरकार का गठन हो गया है। उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) जम्मू-कश्मीर के दूसरी बार और नए एवं केंद्रशासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। उन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण कर कार्य शुरू कर दिया है। इन सब के बीच केंद्रशासित प्रदेश में दो मुद्दे काफी चर्चा में है। एक मुद्दे की चर्चा देश भर में हो रही है कि आखिर चुनाव पूर्व गठबंधन में शामिल कांग्रेस अब्दुल्ला सरकार में क्यों नहीं है।
लेकिन पहले चर्चा उमर अब्दुल्ला सरकार के उपमुख्यमंत्री की। जम्मू-कश्मीर में उपमुख्यमंत्री कोई पहली बार नहीं बना है। जम्मू-कश्मीर में अब तक सात उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनमें पांच हिंदू उपमुख्यमंत्री रहे हैं। पिछली पीडीपी-भाजपा (PDP-BJP) सरकार में निर्मल सिंह और कवीन्द्र गुप्ता उपमुख्यमंत्री रहे थे। लेकिन इस बार के उपमुख्यमंत्री कुछ खास हैं।
केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर के पहले उपमुख्यमंत्री
नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन (NC- Congress Alliance) को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 90 में से 49 सीटों पर जीत मिली। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42, कांग्रेस के 6 और एक कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक हैं। लेकिन इन 49 में एक मात्र हिंदू विधायक है। वह हैं सुरिंदर कुमार चौधरी (Surinder Kumar Chowdhary)।
सुरिंदर चौधरी नौसेरा से नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर चुनाव जीते हैं। कांग्रेस जम्मू संभाग के 43 में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ी। लेकिन उनके एक भी हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए। इसलिए भी सुरिंदर चौधरी का चुनाव जितना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उमर अब्दुल्ला ने उन्हें इनका इनाम भी दिया। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया।
भाजपा अध्यक्ष को हराया
सुरिंदर चौधरी ने नौसेरा से भाजपा के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रवींद्र रैना (Ravindra Raina) को चुनाव में परास्त किया है। हालांकि 2014 के चुनाव में सुरिंदर चौधरी इन्हीं से चुनाव हार गए थे। तब उन्होंने पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बाद में वे पीडीपी को छोड़कर भाजपा में आए और फिर भाजपा से नेशनल कांफ्रेंस में गए।
कांग्रेस क्यों सरकार में नहीं हुई शामिल
अब जो सबसे ज्यादा चर्चा में है वह यह कि चुनाव पूर्व गठबंधन में लड़ी कांग्रेस आखिर अब्दुल्ला सरकार में शामिल क्यों नहीं है। यह भारतीय राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि चुनाव पूर्व गठबंधन के दल सरकार बनने पर उसमें शामिल नहीं हुआ।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को जीत मिलने के बाद गठबंधन की सरकार नहीं बनी थी। क्योंकि शिवसेना जीत के बाद भाजपा गठबंधन से अलग हो गई थी। लेकिन यहां तो कांग्रेस अब्दुल्ला सरकार को समर्थन भी दे रही है।
महाराष्ट्र-झारखंड में हार का डर
कांग्रेस नेताओं का सिर्फ इतना कहना है कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए लड़ाई लड़ेंगे। जबकि अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक इसे सही नहीं मानते। उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद वहां अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने पर हार का डर सता रहा है। क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370, 35ए बहाल करने जैसे कई विवादित मुद्दों को शामिल किया है। भाजपा इन चुनावों में इसे मुद्दा बना सकती है। इसलिए कांग्रेस महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव तक अब्दुल्ला सरकार से दूर ही रहना चाहती है।
बाद में हो सकती है शामिल
कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने जम्मू-कश्मीर के अपने नेताओं को सब्र रखने का सलाह दिया है। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद पार्टी अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने पर फैसला ले सकती है।