Mahakumbh 2025 : धर्म ध्वज का है धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

Mahakumbh 2025 : धर्म ध्वज का है धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, November 26, 2024

spiritual significance of religious flag
spiritual significance of religious flag

धर्म ध्वज अनुष्ठान के दौरान ध्वज को एक ऊंचे लकड़ी के तने पर औपचारिक रूप से फहराया जाता है, जिसे चारों तरफ से कई मोटी रस्सियों से सुरक्षित किया जाता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, December 13, 2024

अभी कुछ दिन पहले महाकुंभ की तैयारी में प्रयागराज में जूना अखाड़े ने मेला क्षेत्र में उन्हें आवंटित भूमि पर ‘धर्म ध्वज’ स्थापित करने की रस्म निभाई।धार्मिक ध्वज स्थापित करना एक प्रमुख कदम है, जिसके बाद अखाड़ों की ‘छावनी’ (शिविर) स्थापित करने का काम शुरू होता है। इसके बाद अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और किन्नर अखाड़े ने भी धर्म ध्वज स्थापित किए। महाकुंभ मेला 2025 (Mahakumbh 2025) मकर संक्रांति स्नान के साथ 14 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ समाप्त होगा।

महाकुंभ 2025 की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो चुकी है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जूना अखाड़े ने हाल में मेला क्षेत्र में अपनी आवंटित भूमि पर ‘धर्म ध्वजा’ (धार्मिक ध्वज) स्थापित करने का पवित्र अनुष्ठान किया। इस औपचारिक ध्वजारोहण से अखाड़ों के शिविरों की स्थापना की शुरुआत होती है। इन्हें ‘छावनी’ के रूप में जाना जाता है। इसके बाद अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और किन्नर अखाड़े सहित अन्य प्रमुख अखाड़ों ने भी अपने-अपने धर्म ध्वज स्थापित किए। अनुष्ठान में जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और महाकुंभ प्रभारी महंत मोहन भारती सहित प्रतिष्ठित संतों और गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

धर्म ध्वज के माध्यम से छावनी प्रवेश

महाकुंभ को अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा पवित्र समागम माना जाता है। अनुष्ठान के दौरान ध्वज को एक ऊंचे लकड़ी के तने पर औपचारिक रूप से फहराया जाता है, जिसे चारों तरफ से कई मोटी रस्सियों से सुरक्षित किया जाता है। आने वाले दिनों में निरंजनी और बड़ा उदासीन सहित अन्य अखाड़े भी धर्म ध्वजा अनुष्ठान करेंगे।
एक बार छावनी तैयार हो जाने के बाद, संबंधित अखाड़े अपने वर्तमान आश्रम निवासों से एक जुलूस के माध्यम से मेला क्षेत्र में भव्य प्रवेश करेंगे, जिसे पेशवाई या छावनी प्रवेश के रूप में जाना जाता है।

तेरह हैं प्रमुख अखाड़े

महाकुंभ की विशाल व्यवस्थाओं की देखभाल करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही सीमांकन पूरा कर लिया है। सरकार की ओर से अन्य धार्मिक हितधारकों के साथ 13 प्रमुख अखाड़ों को 100 बीघा से अधिक भूमि आवंटित कर दी गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में निर्मोही, निर्वाणी, दिगंबर और अन्य सहित 13 प्रमुख अखाड़े शामिल हैं। इन अखाड़ों को भूमि आवंटित करने के बाद, अन्य संस्थाओं, जैसे दंडी बाड़ा, आचार्य बाड़ा और खालसाओं के लिए वितरण शुरू होगा। महाकुंभ मेला 2025 मकर संक्रांति स्नान के साथ 14 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ समाप्त होगा। 40 दिनों की अवधि में दुनिया भर से लाखों भक्त यहां संगम तट पर आयेंगे।

महाभारत काल में धर्म ध्वज की महत्ता

महाभारत में एक भावपूर्ण शब्द है, धर्म ध्वजा। यह उन लोगों के लिए एक अपमानजनक शब्द है, जो अपनी पूजा का दिखावा करते हैं। यह धर्म या संस्था के प्रति आस्था का संकेत है। धर्म ध्वजा शब्द उन लोगों को संदर्भित करता है, जो धर्म के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए ध्वज की बहुत अधिक परवाह करते हैं।बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म में भी यह महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं में भी इसके बहुत अधिक सन्दर्भ मिलते हैं।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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