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किडनी रोग से युवा हो रहे सबसे ज्यादा प्रभावित
किडनी रोग से युवा हो रहे सबसे ज्यादा प्रभावित
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Thursday, November 28, 2024
Updated On: Thursday, November 28, 2024
एक्यूट किडनी रोग (AKI) अब युवाओं में तेजी से फैल रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में बदलाव और समय पर बीमारी की पहचान इस रोग को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है। आइए जानते हैं इस अध्ययन की प्रमुख बातें...
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Updated On: Thursday, November 28, 2024
हाइलाइट्स
- आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली के एक अध्ययन में हुआ खुलासा
- इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित
- नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार, युवाओं में इस बीमारी का मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली, खराब खान-पान, और संक्रमण हैं।
आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली के एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि एक्यूट किडनी रोग (AKI) अब युवाओं में तेजी से फैल रहा है। 60.7% पीड़ित 18 से 45 वर्ष की उम्र के हैं, जबकि 26.1% रोगी 46-60 वर्ष और केवल 13.1% 61 वर्ष से अधिक उम्र के पाए गए। इस अध्ययन के अनुसार, रोगियों में से 27.9% पहले से मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से पीड़ित थे। करीब 56.2% को किडनी रोग का तीसरा चरण (स्टेज-3) था, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, इलाज के बाद 40.6% रोगी पूरी तरह ठीक हो गए। एक्यूट किडनी रोग (AKI) अब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, खासकर युवाओं में। यह अध्ययन हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में बदलाव और समय पर बीमारी की पहचान इस रोग को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है। आरएमएल अस्पताल का यह अध्ययन साफ तौर पर बताता है कि एक्यूट किडनी रोग केवल वृद्धों तक सीमित नहीं रहा। युवाओं में इसके बढ़ते मामलों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और नियमित जांच कराने से इस रोग से बचा जा सकता है। नेफ्रोलॉजिस्ट का कहना है कि युवाओं में इस बीमारी का मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली, खराब खान-पान, और संक्रमण हैं। समय पर इलाज और नियमित जांच से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। एक्यूट किडनी रोग गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्थिति है, यदि समय पर ध्यान दिया जाए। बीमारी के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें। नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर किडनी की सेहत को बनाए रखा जा सकता है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है।
अध्ययन की मुख्य बातें
अध्ययन में 283 मरीजों का डेटा शामिल किया गया।
आयु वर्ग के अनुसार:
- 18-45 वर्ष के रोगी: 60.7%
- 46-60 वर्ष के रोगी: 26.1%
- 61 वर्ष और अधिक आयु के रोगी: 13.1%
- 40.6% मरीज पूरी तरह ठीक हो गए, जबकि 30.4% की मृत्यु हुई।
- 24.4% मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ी।
किडनी रोग का प्रमुख कारण
डॉक्टरों ने बताया कि एक्यूट किडनी रोग में संक्रमण और गंभीर बीमारी प्रमुख कारण हैं। अध्ययन में सामने आया कि:
- 27.9% मरीज पहले से डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे।
- 56.2% मरीजों को किडनी रोग का तीसरा चरण (स्टेज-3) था, जो अत्यंत गंभीर स्थिति मानी जाती है।
मौत का खतरा और रिकवरी
- जिन मरीजों को शुरुआती अवस्था में इलाज मिला, उनमें ठीक होने की संभावना अधिक रही।
- मृत्यु दर सबसे अधिक उन मरीजों में थी, जिनकी स्थिति पहले से बिगड़ी हुई थी।
कैसे बचा जा सकता है
- स्वस्थ आहार: नमक और चीनी का संतुलित सेवन करें।
- पानी की मात्रा बढ़ाएं: शरीर को हाइड्रेट रखें।
- जांच करवाएं: शुरुआती लक्षणों जैसे सूजन, थकान, और मूत्र संबंधी समस्या को नजरअंदाज न करें।
क्या है एक्यूट किडनी रोग ?
एक्यूट किडनी रोग (AKI) किडनी की वह स्थिति है, जिसमें किडनी अचानक काम करना बंद कर देती है। यह समस्या शरीर में पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य विषाक्त पदार्थों के संतुलन को बिगाड़ देती है। यह एक आपातकालीन स्थिति है और समय पर इलाज न मिलने पर घातक साबित हो सकती है।
एक्यूट किडनी रोग के कारण
एक्यूट किडनी रोग कई कारणों से हो सकता है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- पानी की कमी (डिहाइड्रेशन): शरीर में पानी की कमी के कारण रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
- संक्रमण: जैसे सेप्सिस या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI)।
- खून का कम बहाव: रक्तचाप कम होने पर किडनी तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचता।
- दवाओं का दुष्प्रभाव: दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाओं का अधिक सेवन।
- पेशाब मार्ग में अवरोध: पथरी, ट्यूमर, या बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण पेशाब का प्रवाह रुकना।
- किडनी में चोट या बीमारी: किडनी को चोट लगना या पहले से कोई क्रॉनिक किडनी डिजीज।
एक्यूट किडनी रोग के लक्षण
इस रोग के लक्षण शुरुआत में मामूली हो सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकते हैं।
- थकान और कमजोरी
- पेशाब की मात्रा में कमी या बंद होना
- शरीर में सूजन (हाथ, पैर या चेहरे पर)
- जी मिचलाना और उल्टी
- सांस लेने में कठिनाई
- चमड़ी का पीलापन या खुजली
- मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन
- ब्लड प्रेशर कम या अधिक होना
कैसे करें बचाव?
एक्यूट किडनी रोग से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय कारगर हो सकते हैं:
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: खासतौर पर गर्मी और व्यायाम के दौरान।
- संक्रमण से बचाव: शरीर को साफ रखें और किसी भी संक्रमण का समय पर इलाज कराएं।
- दवाओं का उपयोग सावधानी से करें: डॉक्टर की सलाह के बिना दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन न करें।
- नियमित जांच: यदि डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है, तो नियमित रूप से किडनी की जांच कराएं।
- स्वस्थ आहार लें: नमक और प्रोटीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
- वजन नियंत्रित रखें: मोटापा किडनी की कार्यक्षमता पर दबाव डाल सकता है।
- पेशाब रोकने से बचें: पेशाब को अधिक समय तक रोकना किडनी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
एक्यूट किडनी रोग का इलाज
इस रोग का इलाज रोगी की स्थिति और बीमारी के कारण पर निर्भर करता है। मुख्य उपचार विधियां निम्नलिखित हैं:
- डायलिसिस: गंभीर स्थिति में खून को साफ करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए डायलिसिस की जरूरत होती है।
- दवाएं: संक्रमण और सूजन को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं दी जाती हैं।
- पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन: ड्रिप या दवाओं के जरिए शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बहाल किया जाता है।
- सर्जरी: पेशाब मार्ग में अवरोध (जैसे पथरी या ट्यूमर) को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
- लाइफस्टाइल मैनेजमेंट: क्रॉनिक किडनी डिजीज वाले मरीजों को खान-पान और जीवनशैली में सुधार लाने की सलाह दी जाती है।
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