मेडिटेशन सें बढ़ाएं आत्मबल, संबंधों में आएगी मजबूती : बीके शिवानी
मेडिटेशन सें बढ़ाएं आत्मबल, संबंधों में आएगी मजबूती : बीके शिवानी
Authored By: बीके शिवानी
Published On: Wednesday, October 9, 2024
Updated On: Thursday, May 1, 2025
नवरात्र चल रहे हैं। स्त्री शक्ति की आराधना की जा रही है। परंतु स्त्री-पुरुष के संबंधों में आ रही दरार इशारा कर रही है कि इंसान का मन कितना कमजोर हो गया है। छोटी-छोटी बातों पर विवाद होना, संबंध-विच्छेद होना आम हो गया है। कैसे बचाएं अपने रिश्ते को, कैसे बनाएं मन को, स्वयं को शक्तिशाली, इस पर प्रकाश डाल रही हैं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मोटिवेशनल स्पीकर एवं राजयोग प्रशिक्षक बीके शिवानी...
Authored By: बीके शिवानी
Updated On: Thursday, May 1, 2025
हमें सर्वप्रथम यह समझना होगा कि कोई भी संबंध, फिर चाहे वह स्त्री-पुरुष के बीच का हो या बच्चों-अभिभावकों का, वह हमारे बनाए हुए ढांचे से कहीं ऊपर होता है। कोई भी संबंध दो आत्माओं के बीच होता है। वह आपस में किस प्रकार की ऊर्जा का आदान-प्रदान करते हैं, संबंध की मधुरता इस पर निर्भर करती है। हर आत्मा का आंतरिक गुण होता है- देना। इसलिए हमें संबंधों में दूसरों को शांति, खुशी, क्षमा, करुणा देना होता है। आजकल इसके विपरीत हो रहा है। अधिकांश लोग इस पर फोकस करते हैं कि हमें दूसरों से क्या मिल रहा है? संबंध भी इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि कुछ प्राप्त कर सकें। जब लगता है कि हमें दूसरों से वह सब नहीं मिल रहा है, तो हम निराश हो जाते हैं और रिश्तों में मतभेद अथवा मनमुटाव आने शुरू हो जाते हैं।
छोड़नी होगी मांगने की प्रवृत्ति
इंसान की इच्छाएं-महत्वकांक्षाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। पति-पत्नी दोनों कामकाजी हो रहे। उन्हें घर के साथ कार्यस्थल पर अपने मन का ध्यान रखना होता है। लेकिन जब वे दफ्तर में तनाव, चिंता या क्रोध उत्पन्न करते हैं और उसी स्थिति में घर जाते हैं, तो वहां भी नकारात्मक ऊर्जा साथ जाती है। दोनों लोगों को चिड़चिड़ाहट होती है। छोटी-सी बात उन्हें निराश व दुखी कर देती है। जैसे, पति कहते हैं पत्नी से कि उन्हें समझने की कोशिश करें। वे थक गए हैं। इस पर पत्नी का जवाब होता है कि उसे भी कोई समझे। उनका दिन भी बहुत खराब गया। इसका मतलब है कि दोनों एक-दूसरे से शांति, सम्मान, विश्वास एवं एक-दूसरे को समझने की मांग कर रहे होते हैं। जब दोनों ही मांगेंगे, तो फिर देगा कौन? इससे ही रिश्तों में दूरियां बढ़ रही हैं। वे टूट रहे हैं। हम किसी को तभी कुछ दे सकते हैं, जब हमारे पास वह चीज हो।
व्यवहार-सोच में लाएं लचीलापन
मल्टीटास्किंग करने वाली महिलाओं के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि वे जीवन में लचीलापन लाने का प्रयास करें। यह उनके अपने हाथों में है। याद रखें कि वह न ट्रैफिक व्यवस्था को बदल सकती हैं, न मौसम को, न अपने बच्चों अथवा पति के व्यवहार को। वे शांत या अराजक कुछ भी हो सकते हैं। जब सोच में लचीलापन नहीं होता या कम होता है, तो छोटा-सा तनाव भी बड़ा बन जाता है। लिहाजा, दबाव को नियंत्रित करने की बजाय अपने व्यवहार एवं सोच में लचीलापन लाएं। तनाव अपने आप कम होने लगेगा। सभी शांति, खुशी, सफलता का अनुभव करेंगे। खुद का खयाल रखने से दूसरों का भी पूरा ध्यान रख सकेंगे।
पहले दें स्व पर ध्यान
हम पौधा उगाने के लिए पहले बीज रोपण करते हैं। उसमें समयानुसार पानी एवं खाद डालते हैं। जितनी देखभाल करते हैं, पौधा उतना सुंदर रूप लेता है। उसकी जड़ें उतनी मजबूत होती हैं। मानवीय संबंध भी ऐसे ही हैं। हम स्वयं एक बीज हैं और हमारा परिवार जड़। शेष सब कुछ जो हम करते हैं, वह वृक्ष की भांति दिखाई देता है। बीज का खयाल रखते हैं, तो तना, पत्ते एवं फूल भी स्वस्थ होते हैं। उन्हें जल देने की आवश्यकता नहीं होती है। आज हम बीज में जल डालने की बजाय हर पत्ते एवं तने को जल देने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो परिवार व करियर के आगे स्व की जरूरत का ध्यान रखना भूल गए हैं। हमारी प्राथमिकता का क्रम वृक्ष, जड़ व बीज नहीं, बल्कि बीज, जड़ एवं वृक्ष होनी चाहिए। यानी स्व, परिवार एवं करियर।
सुबह की शुरुआत करें मेडिटेशन से
हमारा पूरा दिन ऊर्जा एवं खुशी से भरपूर हो। इसके लिए सुबह में अगर हम अपने मन की स्थिति को ठीक कर लेते हैं और पूरा दिन थोड़ा-थोड़ा उसका ध्यान रखते रहते हैं, तो कैसी भी परिस्थिति आने पर हम उसका स्थिर रहकर सामना कर पाते हैं। मेडिटेशन से ऐसा करना संभव है। रोजाना मेडिटेशन करने से हमारे पास दूसरों को सकारात्मक ऊर्जा देने का बल मिलता है। हम दूसरों से अपेक्षा नहीं रखते हैं, बल्कि उनकी खुशियों एवं आवश्यकताओं का ख्याल रखते हैं। इससे रिश्ते अपनेआप सुंदर बनते जाते हैं।
यह भी पढ़ें

news via inbox
समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।