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देश में सर्पदंश का बड़ा खतरा, केंद्र सरकार ने उठाए कड़े कदम
देश में सर्पदंश का बड़ा खतरा, केंद्र सरकार ने उठाए कड़े कदम
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Saturday, November 30, 2024
Updated On: Saturday, November 30, 2024
भारत में सर्पदंश से मरने वालों कीबड़ी संख्या हमेशा से चिंता का विषय रही है। समय पर इलाज न मिल पाने या झाड़ फूंक के चक्कर में ज्यादातर लोग अपनी जान गंवा देते हैं। अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराने का प्रावधान है, पर अगंभीरता और लापरवाही के कारण दूर दराज के इलाकों में ज्यादातर लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। इस स्थिति और चिंता को देखते हुए ही अब केंद्र सरकार ने 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है...
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Updated On: Saturday, November 30, 2024
हाइलाइट्स
- भारत में सालाना करीब 58 हजार लोगों की मौत सांप के काटने से होती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
- भारत में सांपों की 272 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से चार का जहर जानलेवा है।
- भारत में 90 फीसदी सर्पदंश के मामले कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर नामक सांप की प्रजाति के काटने से आते हैं।
देश में सर्पदंश के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। अब सर्पदंश के हर मामले को दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि सर्पदंश को उल्लेखनीय बीमारी की श्रेणी में रखा जाए और इसे राज्य जन स्वास्थ्य अधिनियम के तहत दर्ज किया जाए। केंद्र सरकार का यह कदम सर्पदंश की समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कदम से सर्पदंश के मामलों का सही आकलन हो सकेगा और प्रभावी उपचार मुहैया कराया जा सकेगा। साथ ही, इस कदम से सर्पदंश से होने वाली मौतों में कमी लाने में मदद मिलेगी।
सभी अस्पतालों में होगा पंजीकरण
इस निर्णय के बाद देश के सभी अस्पतालों (केंद्र व राज्यों के) को सर्पदंश के संदिग्ध या पुष्ट मामलों का पंजीकरण करना होगा। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि इस संबंध में अस्पतालों के लिए तत्काल आदेश जारी किए जाएं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सर्पदंश को भारत के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बताते हुए सभी राज्यों को आदेश जारी किए हैं।
सर्विलांस के जरिए सही आंकड़े
इस तरह के सर्विलांस के जरिए सर्पदंश के सही मामलों के बारे में पहचान हो सकेगी। केंद्र सरकार ने 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मामले का सर्विलांस बहुत जरूरी है।
केंद्रीय नोडल अधिकारी को भेजी जाएगी जानकारी
राज्यों के स्वास्थ्य सचिव को जारी आदेश के मुताबिक केंद्रीय स्तर पर नियुक्त नोडल अधिकारी को प्रत्येक महीने आने वाले सर्पदंश के सभी मामलों की जानकारी भेजना अनिवार्य है। केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ एक फॉर्मेट भी साझा किया है जिसे हर अस्पताल को प्रत्येक माह के अंत में भरकर भेजना जरूरी है।
भारत में सर्पदंश की स्थिति
भारत में सालाना करीब 58 हजार लोगों की मौत सांप के काटने से होती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। हालांकि, सर्पदंश की घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है, जिससे इलाज में दिक्कत आती है और आंकड़ों का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता। भारत में सांपों की 272 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से चार का जहर जानलेवा है।
सर्पदंश से होने वाली मौतें
ज्यादातर सर्पदंश से होने वाली मौतें सोते समय (30%), खेलते समय (30%) और मैदान या बाहरी गतिविधियों के दौरान (28%) होती हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की दूरी, सांप रोधी जहर की कमी, खराब स्वास्थ्य सेवाएं, पारंपरिक उपचार और परिवहन की कमी जैसे कई कारण मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत में 90 फीसदी सर्पदंश के मामले कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर नामक सांप की प्रजाति के काटने से आते हैं।
मुख्य बिंदु:
- सर्पदंश अब उल्लेखनीय बीमारी
- सभी अस्पतालों में होगा पंजीकरण
- 2030 तक मौतों में 50% की कमी का लक्ष्य
- केंद्रीय नोडल अधिकारी को भेजी जाएगी जानकारी
- भारत में सालाना 58 हजार मौतें
- ज्यादातर मौतें सोते समय होती हैं