Vindhyachal Dham: विंध्याचल मंदिरों की दान पेटिकाओं से निकले 33.72 लाख रुपये

Vindhyachal Dham: विंध्याचल मंदिरों की दान पेटिकाओं से निकले 33.72 लाख रुपये

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, December 5, 2024

Updated On: Thursday, December 5, 2024

vindhyachal temple financial collections
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शास्त्रों के अनुसार, विंध्याचल शहर को देवी दुर्गा का निवास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी ने राक्षस महिषासुर का वध करने के बाद रहने के लिए विंध्यांचल को चुना था।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, December 5, 2024

लगभग 46 वर्ष बाद भक्तों और आम जनता की मांग पर इस साल ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर (Jagannath Puri Temple) का रत्न भंडार खोला गया। यहां रत्न भंडार में तीनों भाई-बहन श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के आभूषण सहेज कर रखे जाने की परम्परा रही है। इसके अलावा, भक्तों द्वारा दान किए गए अकूत धन को भी संग्रहीत कर रखा जाता है। श्रीजगन्नाथ पुरी की तर्ज़ पर विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर (Ma Vindhyavasini Temple) और अन्य मंदिरों में रखी गई दान पेटिकाओं को खोला गया। इन पेटिकाओं में लाखों रूपये की दानराशि (Vindhyachal Dham) की गणना की गई।

 मां विंध्यवासिनी की दान राशि की गणना

प्रयागराज के पास मीर्जापुर में है विंध्याचल (Vindhyachal Dham)। विंध्याचल विंध्याचल पर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। मां विंध्यवासिनी देवी दुर्गा के 108 शक्तिपीठ में से एक हैं। विंध्य विकास परिषद द्वारा मां विंध्यवासिनी के अलावा देवी काली खोह और अष्टभुजा देवी मंदिर परिसर में भी दान पेटिकाएं लगाई गई हैं। अभी हाल में इन दान पेटिकाओं को नायब तहसीलदार की उपस्थिति में खोला गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मां विंध्यवासिनी मंदिर की छत पर बने श्री विव्य पंडा समाज कार्यालय में दानराशि की गणना की गई।

दान पेटिकाओं से निकली 30 लाख से भी अधिक राशि (Daan Rashi)

दान पेटिकाओं से कुल 33 लाख 72 हजार 30 रुपये निकले। मां विंध्यवासिनी मंदिर परिसर में 11, काली खोह मंदिर और अष्टभुजा देवी मंदिर परिसर में एक-एक दान पेटिका लगाई गई थीं। प्राप्त दानराशि को जिला अधिकारी के खाते में भारतीय स्टेट बैंक, विंध्याचल शाखा में जमा किया गया। यह दानराशि नवरात्र मेले के बाद गणना के लिए खोली गई।

देवी दुर्गा का निवास है विंध्याचल शहर (Vindhyachal Town)

विंध्याचल मंदिर को मां विंध्यवासिनी मंदिर ( Maa Vindhyavasini Temple) और विंध्याचल धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल में गंगा नदी के तट पर स्थित मां देवी विंध्यवासिनी को समर्पित मंदिर है। यह भारत के शक्तिपीठ मंदिरों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार, विंध्याचल शहर को देवी दुर्गा का निवास माना जाता है। इस स्थान के पास अन्य देवताओं को समर्पित कई मंदिर पाए जाते हैं। उनमें से अष्टभुजी देवी मंदिर और काली खोह मंदिर प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी ने राक्षस महिषासुर का वध करने के बाद रहने के लिए विंध्यांचल को चुना था।

सती के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सती की मृत्यु हुई, तो भगवान शिव उनके शरीर को लेकर विश्व भ्रमण पर निकल पड़े। आने वाले दिनों में जब शरीर सड़ने लगा, तो वह टूट-टूट कर गिरने लगा। मान्यता है कि सती के बाएं पैर का अंगूठा उस स्थान पर गिरा था, जहां विंध्यवासिनी का वर्तमान मंदिर स्थित है।

(हिन्दुस्थान समाचार इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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