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आदिवासियों के दिल में जगह बना पाएगी BJP, बाबूलाल बने विधायक दल के नेता
आदिवासियों के दिल में जगह बना पाएगी BJP, बाबूलाल बने विधायक दल के नेता
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, March 6, 2025
Updated On: Thursday, March 6, 2025
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने धनवार विधायक और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को विधानसभा में विधायक दल का नेता नियुक्त किया है. पार्टी की बैठक में सर्वसम्मति से उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई. इस फैसले को भाजपा के झारखंड में अपनी पकड़ मजबूत करने और विशेष रूप से आदिवासी समुदाय को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Thursday, March 6, 2025
भाजपा की रांची में आयोजित बैठक में बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिससे राज्य में भाजपा के नेतृत्व को और मजबूती मिली है. इस फैसले से पहले भाजपा संसदीय बोर्ड ने बुधवार को विधायक दल के नेता के चुनाव की निगरानी के लिए दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया था. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण को इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) का चयन भाजपा की झारखंड में आगामी राजनीतिक चुनौतियों के लिए मजबूत रणनीति का संकेत देता है.
आदिवासी वोटबैंक और भाजपा की रणनीति
बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं और आदिवासी समुदाय के प्रमुख नेता माने जाते हैं. उनकी नियुक्ति को झारखंड में आदिवासी मतदाताओं को भाजपा से जोड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. झारखंड में आदिवासी वोट बैंक का बड़ा प्रभाव है और भाजपा इसे मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है. मरांडी की नियुक्ति ऐसे समय हुई है, जब राज्य में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस (Congress) और राजद (RJD) का गठबंधन सरकार चला रहा है, लेकिन भाजपा लगातार विपक्ष के रूप में मजबूती दिखाने की कोशिश कर रही है.
आगे की रणनीति
भाजपा के लिए बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) का विधायक दल का नेता बनना महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम माना जा रहा है. पार्टी झारखंड में अपनी पकड़ मजबूत करने और आगामी राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए संगठन को सक्रिय करने में जुट गई है. बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) के नेतृत्व में भाजपा की आगे की रणनीति क्या होगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
जिसके साथ आदिवासी, उसे ही मिलती है सत्ता की चाबी
झारखंड की राजनीति में आदिवासी समुदाय की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है. राज्य की सत्ता की चाबी उन्हीं के पास होती है, जिनके साथ आदिवासियों का भरोसा जुड़ा होता है. यही कारण है कि हर राजनीतिक दल आदिवासी मतदाताओं को साधने की पूरी कोशिश करता है. आदिवासियों के मुद्दे, उनकी संस्कृति और उनकी अपेक्षाएं हमेशा चुनावी रणनीति का केंद्र बिंदु रही हैं. चाहे वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) हो, भारतीय जनता पार्टी (BJP) हो या फिर कांग्रेस, सभी दलों की सफलता आदिवासी समुदाय के समर्थन पर निर्भर करती है. झारखंड विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल के नेता के रूप में बाबूलाल मरांडी की नियुक्ति को भी इसी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं और उनका आदिवासी समुदाय में मजबूत जनाधार है.
राज्य के इतिहास पर नजर डालें तो जब भी किसी दल ने आदिवासी नेतृत्व को प्राथमिकता दी, उसे सत्ता तक पहुंचने में आसानी हुई. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में JMM को भी यही लाभ मिला, क्योंकि उन्होंने आदिवासी समुदाय के हितों की बात की और उन्हें अपने पक्ष में लामबंद किया. झारखंड में सत्ता का संतुलन आदिवासी समुदाय के झुकाव के अनुसार तय होता है. यही वजह है कि हर चुनाव में राजनीतिक दल आदिवासियों के मुद्दों पर विशेष ध्यान देते हैं.
विधानसभा सत्र में भाजपा का विरोध प्रदर्शन
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बुधवार को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला, जब भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने विधानसभा अध्यक्ष पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ दे रहे हैं और विपक्षी विधायकों को बार-बार टोक रहे हैं. मरांडी ने कहा, “आज जब भाजपा विधायक नीरा यादव बोल रही थीं, तब सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उन्हें बार-बार रोका. इसके बावजूद, अध्यक्ष ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया बल्कि सत्ता पक्ष का बचाव किया. हमने व्यवधान के कारण अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। यह घोर अन्याय और मनमानी है.”