100 जिलों की बदलेगी तक़दीर, पीएम धन-धान्य योजना से 1.7 करोड़ किसानों को मिलेगा सीधा फायदा और नई उड़ान
100 जिलों की बदलेगी तक़दीर, पीएम धन-धान्य योजना से 1.7 करोड़ किसानों को मिलेगा सीधा फायदा और नई उड़ान
Authored By: Nishant Singh
Published On: Sunday, July 20, 2025
Updated On: Sunday, July 20, 2025
'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' देश के 100 पिछड़े कृषि जिलों में व्यापक बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसका वार्षिक बजट 24,000 करोड़ रुपये है और इसे अगले छह वर्षों तक लागू किया जाएगा. यह योजना खेती से जुड़ी 36 योजनाओं को एकीकृत कर किसानों को सिंचाई, भंडारण, प्राकृतिक खेती और वित्तीय सहायता जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी. 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. स्थानीय जरूरतों के अनुसार जिला-स्तरीय योजनाएं तैयार होंगी और एक डिजिटल डैशबोर्ड के ज़रिए निगरानी की जाएगी. यह पहल कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Sunday, July 20, 2025
PM Farmers Scheme: कभी सोचा है कि जिन खेतों से हमारा पेट भरता है, वहीं किसान खुद भूखे क्यों सो जाते हैं? क्यों आज भी देश के कई जिलों में खेती घाटे का सौदा बन चुकी है? क्यों मेहनत की मिट्टी, सोना नहीं बन पा रही? ये सवाल सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि हकीकत बनकर हमारे गांवों की धड़कनों में गूंजते हैं. लेकिन अब तस्वीर बदलने वाली है. एक नई किरण फूटी है, एक नई पहल ने दस्तक दी है. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना. ये कोई साधारण योजना नहीं, बल्कि 100 पिछड़े कृषि जिलों की तकदीर बदलने वाला एक मिशन है. सरकार की ये नई सोच किसानों के सपनों को जमीन देने निकली है. अब सिर्फ खेती नहीं होगी, खेती का भविष्य भी लिखा जाएगा और वो भी सुनहरे अक्षरों में.
ऐतिहासिक पहल: खेती के नक्शे पर बदलाव की नई कहानी
देश की कृषि व्यवस्था में व्यापक सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दी. इस योजना का उद्देश्य देश के 100 निम्न-प्रदर्शन वाले कृषि जिलों में सतत विकास को सुनिश्चित करना है. योजना का वार्षिक परिव्यय 24,000 करोड़ रुपए रखा गया है और यह अगले छह वर्षों तक लागू की जाएगी. यह महत्वाकांक्षी योजना केंद्रीय बजट 2025-26 में पहली बार घोषित की गई थी. इसका फोकस केवल कृषि ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी सभी गतिविधियों जैसे सिंचाई, भंडारण, प्राकृतिक खेती और ऋण सुविधा पर केंद्रित है. योजना का लक्ष्य उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और किसानों को वित्तीय एवं तकनीकी मदद उपलब्ध कराना है.
36 योजनाओं का महासंगम: एक मॉडल, अनेक लाभ
इस योजना की खास बात यह है कि यह केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को संतृप्ति-आधारित मॉडल के तहत एकीकृत करती है. इसका उद्देश्य दोहराव से बचना और योजनाओं के समन्वित क्रियान्वयन से अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित करना है. इस योजना से अनुमानतः 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. इस परिवर्तनकारी पहल में राज्यों की योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी महत्व दिया गया है. प्रत्येक चयनित जिले में ‘जिला धन-धान्य कृषि योजना समिति’ बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता जिला अधिकारी या ग्राम पंचायत प्रमुख करेंगे. समिति में प्रगतिशील किसान, विशेषज्ञ और विभागीय अधिकारी शामिल होंगे. यह समिति जिला कृषि योजना तैयार करेगी, जो स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी, फसल पैटर्न और किसानों की जरूरतों के अनुरूप होगी.
निगरानी में नयापन: टेक्नोलॉजी से होगी पारदर्शिता की खेती
योजना की प्रगति की निगरानी एक केंद्रीय डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से की जाएगी. प्रत्येक जिले को 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर ट्रैक किया जाएगा. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ‘किसान ऐप’ और जिला रैंकिंग प्रणाली भी लागू की जाएगी. योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर निगरानी टीमें गठित की जाएंगी. इनमें केंद्रीय स्तर पर मंत्री और सचिव स्तर की दो टीमें, राज्य स्तर पर निगरानी टीमें और जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारी एवं नोडल अधिकारी की व्यवस्था है.
जमीनी हकीकत का मूल्यांकन: हर जिले में बदलाव की निगरानी
टीमें योजनाओं की प्रगति की मासिक समीक्षा करेंगी, चुनौतियों की पहचान करेंगी और समाधान सुनिश्चित करेंगी. प्रत्येक जिले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी क्षेत्रीय भ्रमण के माध्यम से जमीनी हकीकत का मूल्यांकन करेंगे. यह योजना केंद्र सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता से प्रेरित है. यह एक समन्वित, सहभागी और परिणाम-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ ग्रामीण भारत में कृषि सुधारों की नई लहर लाने का वादा करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि कृषि क्षेत्र को टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगी.
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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