क्यों इंजीनियर का पैर छूने पर उतारू दिख रहे थे सीएम नीतीश कुमार

क्यों इंजीनियर का पैर छूने पर उतारू दिख रहे थे सीएम नीतीश कुमार

Authored By: सतीश झा

Published On: Wednesday, July 10, 2024

bihar cm nitish kumar
bihar cm nitish kumar

हाल के दिनों में कई पुलों के धराशायी होने के बाद बिहार में पुल पर सियासत गरमाई हुई है। मानसून झमाझम बरस रही है। एक सरकारी आयोजन में जब एक विभागीय इंजीनियर का पैर छूने को उठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वीडियो वायरल हो रहा है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसको लेकर तंज कसा है।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Friday, July 26, 2024

अपनी अदाओं को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) एक बार फिर चर्चा में हैं। एक सरकारी इंजीनियर का पैर छूने की बात वो कर रहे हैं। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में नीतीश कुमार को एक इंजीनियर से सवाल करते हुए देखा जा सकता है, जिसमें वो कहते हैं, “मुझे बताओ, क्या मुझे आपके पैर छूने चाहिए?” जैसे ही वह आगे बढ़ते हैं, इंजीनियर पीछे हट जाता है और विनम्रता से मना कर देता है।

दरअसल, नीतीश कुमार बिहार की राजधानी पटना में जेपी गंगा पथ पर गाय घाट से कंगना घाट तक 3.4 किलोमीटर लंबे पुल के उद्घाटन में शामिल हो रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पुलों के निर्माण में हो रही देरी पर अपनी नाराजगी जताई। यह घटना यह दर्शाती है कि नीतीश कुमार अपने प्रशासनिक कामकाज और विकास परियोजनाओं की प्रगति को लेकर कितने गंभीर हैं।

तेजस्वी ने सीएम नीतीश को लेकर कही ये बात

बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने कहा कि बिहार में बढ़ते अपराध, बेलगाम भ्रष्टाचार, पलायन एवं प्रशासनिक अराजकता का मुख्य कारण यह है कि एक कर्मचारी तक (अधिकारी तो छोड़िए) मुख्यमंत्री की नहीं सुनता? क्यों नहीं सुनता और क्यों नहीं आदेशों का पालन करता, यह विचारनीय विषय है? हालाँकि इसमें कर्मचारी व अधिकारियों का अधिक दोष भी नहीं है। पूरे विश्व में इतना असहाय,अशक्त,अमान्य,अक्षम, विवश,बेबस,लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा जो BDO, SDO, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?राजद नेता तेजस्वी यादव का यह भी कहना है कि एक कमजोर बेबस मुख्यमंत्री के कारण “बिहार में होना वही है जो “चंद” सेवारत और “सेवानिवृत्त” अधिकारियों ने ठाना है” क्योंकि अधिकारी भी जानते है कि ये 43 सीट वाली तीसरे नंबर की पार्टी के मुख्यमंत्री है। जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे तब उसे सिद्धांत,जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है। बहरहाल हमें कुर्सी की नहीं बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है।

इसका सकारात्मक पक्ष है ये

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का पूरा पालन करना चाहिए और उन्हें अपने कार्यों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समानता और विनम्रता में विश्वास करते हैं। उन्होंने यह जताया कि कोई भी व्यक्ति अपने कर्तव्यों से ऊपर नहीं है, चाहे वह किसी भी पद पर हो।

यह घटना न केवल प्रशासनिक कार्यों की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अधिकारियों से किस प्रकार का अनुशासन और समर्पण की अपेक्षा रखते हैं। यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे एक नेता अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए अपने अधीनस्थों को प्रेरित और अनुशासित कर सकता है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य राज्य खबरें