बिहार : चाचा भतीजा की लड़ाई फिर हुई तेज, पशुपति पारस गए हाइकोर्ट, क्या करेंगे चिराग पासवान

बिहार : चाचा भतीजा की लड़ाई फिर हुई तेज, पशुपति पारस गए हाइकोर्ट, क्या करेंगे चिराग पासवान

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, July 11, 2024

Chirag Paswan and Pashupati Paras
Chirag Paswan and Pashupati Paras

रामविलास पासवान के मरने कुछ ही दिनों बाद लोकजनशक्ति पार्टी को टूट का सामना करना पड़ा। मामला चुनाव आयोग और कोर्ट तक गया। पुत्र चिराग पासवान ने लोजपा रामविलास बनाया और दूसरे धड़े को लेकर भाई पशुपति पारस ने अलग पार्टी बनाई। 18वीं लोकसभा में मोदी सरकार में चाचा को हटाकर भतीजे को केंद्रीय मंत्री की कुर्सी दी गई। चाचा को यह नागवार गुजरा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के जरिए करोड़ों लोगों को एकजुट किया था। उनके मरने के बाद ही पार्टी में बिखराव हुआ और उनके भाई पशुपति पारस और बेटे चिराग पासवान की लड़ाई देशवासियों ने देखी। एक बार फिर लोक जनशक्ति पार्टी की संपत्ति को लेकर चाचा पशुपति पारस ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

क्यों मामला पहुंचा हाईकोर्ट (High Court)

ताजा घटनाक्रम में वर्चस्व की लड़ाई पटना स्थित कार्यालय को लेकर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय परिसर के आवंटन रद्द करने एवं खाली कराने के आदेश के विरुद्ध पटना हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका पार्टी के उपाध्यक्ष अम्बिका प्रसाद ने अपने अधिवक्ता आशीष गिरी के माध्यम से दायर किया है।

याचिका में कहा गया है कि पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय परिसर का आवंटन हाउस नम्बर 1, व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग, पटना में किया गया था। इस कार्यालय परिसर को राज्य स्तर के एक दल के रूप में मान्यता दी गई थी, जिसे बाद में पार्टी दो भागों में बांट गई, लेकिन कार्यालय का आवंटन पहले दिए गए थे।  पार्टी बाद में दो भाग में बंट गई। इस राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को राज्य स्तर के एक दल के रूप में मान्यता दी गई।

पारस (Paras) की ओर से किया गया यह दावा

भारतीय चुनाव आयोग ने 2 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के इस कार्यालय को मान्यता दी थी। याचिका में दावा किया गया है कि इसके बाद से इस परिसर में पार्टी कार्यालय का संचालन लगातार हो रहा था। इसके बावजूद, मनमाने तरीके से भवन निर्माण विभाग ने 27 जुलाई 2023 को इस कार्यालय के नवीनीकरण के आवेदन को रद्द कर दिया था।

सत्ता से दूर होने पर बढ़ी है बेचैनी

पटना में आम चर्चा है कि पशुपति मारस को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब केंद्रीय मंत्री बनाया गया था, तो वो सहज थे। लेकिन, हाल के महीनों में जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को अधिक महत्व दिया गया, उससे पशुपति पारस खिन्न होते गए। हद तो तब हो गई, जब मोदी के तीसरे कार्यकाल में चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। खास बात यह रही कि चिराग को वही मंत्रालय दिया गया, जो पशुपति पारस के पास है। इससे भी पशुपति पारस और उनके लोग सकते में हैं।

पुरानी है चाचा-भतीजे (Uncle-Nephew) की रंजिश

पशुपति पारस और चिराग पासवान की रंजिश अब कई साल पुरानी हो गई है। कहने के लिए यूं तो दोनों ही नेता एनडीए के साथ हैं, लेकिन संबंध असहज हैं। दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई न केवल बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका राजनीतिक माहौल पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। चिराग पासवान ने अपने नेतृत्व में लोजपा को मजबूत करने का लगातार प्रयास किया है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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