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चीनी, गुड़, खजूर, शहद या स्टीविया? ऑक्सफोर्ड सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया सबसे हेल्दी ऑप्शन
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Monday, October 27, 2025
Last Updated On: Monday, October 27, 2025
पोषण विशेषज्ञ सुमन का कहना है कि खजूर का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. उन्होंने बताया कि चीनी की जगह स्टीविया या मोंक फ्रूट जैसे प्राकृतिक और सुरक्षित मीठे विकल्पों का इस्तेमाल करना बेहतर है. ये न केवल स्वाद बनाए रखते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं. जानें कौन है सबसे हेल्दी ऑप्शन?
Authored By: Galgotias Times Bureau
Last Updated On: Monday, October 27, 2025
चीनी को अक्सर ‘मूक हत्यारा’ कहा जाता है, क्योंकि इसका ज़्यादा सेवन मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, लिवर की समस्या और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. इन खतरों से बचने के लिए लोग अक्सर गुड़, शहद, खजूर, मोंक फ्रूट और स्टीविया जैसे मीठे विकल्पों की ओर रुख करते हैं, क्योंकि इन्हें ज़्यादा सेहतमंद माना जाता है, लेकिन क्या ये वाकई चीनी से बेहतर हैं? एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हर विकल्प के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि हम समझदारी से चुनें कि कौन-सा मीठा हमारे शरीर और सेहत के लिए सही है.
कौन ज़्यादा हेल्दी है- चीनी या उसके विकल्प?
ऑक्सफ़ोर्ड-प्रमाणित सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट और फिटनेस एक्सपर्ट सुमन अग्रवाल ने 25 अक्टूबर को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि चीनी और उसके विकल्पों में से कौन-सा हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. सुमन ने अपने पोस्ट के कैप्शन में लिखा, ‘आइए इस बहस को हमेशा के लिए खत्म करते हैं, आपके और आपके परिवार के लिए असल में क्या ज़्यादा सेहतमंद है: चीनी, गुड़, खजूर या स्टीविया?’
चीनी
पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, चीनी सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला मीठा पदार्थ है, लेकिन यह बहुत ज़्यादा प्रोसेस की जाती है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) 65 से 75 के बीच होता है, यानी यह रक्त शर्करा के स्तर को तेज़ी से बढ़ाती है. 100 ग्राम चीनी में लगभग 390 कैलोरी होती है, लेकिन इसमें कोई पोषक तत्व नहीं होते. यही वजह है कि इसे ‘खाली कैलोरी’ कहा जाता है और इसका ज़्यादा सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
गुड़
पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, गुड़ को आमतौर पर चीनी का एक सेहतमंद विकल्प माना जाता है. यह कम प्रोसेस किया जाता है और इसमें थोड़ी मात्रा में आयरन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. हालांकि, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 60 से 84 के बीच होता है, जिसका मतलब है कि यह भी रक्त शर्करा के स्तर को तेज़ी से बढ़ा सकता है. इसके अलावा, 100 ग्राम गुड़ में लगभग 380 कैलोरी होती हैं, इसलिए इसे भी सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए.
शहद
सुमन के अनुसार, शहद सबसे कम प्रोसेस किया गया प्राकृतिक मीठा पदार्थ है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं, और यह पाचन तंत्र यानी आंतों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 45 से 69 के बीच होता है, यानी यह रक्त शर्करा को धीरे-धीरे बढ़ाता है. 100 ग्राम शहद में लगभग 240 से 330 कैलोरी होती हैं, इसलिए इसे भी संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए.
खजूर
खजूर एक संपूर्ण और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, जो आयरन और फाइबर से भरपूर होता है. पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 40 से 55 के बीच होता है, यानी यह रक्त शर्करा को धीरे-धीरे बढ़ाता है. 100 ग्राम खजूर में लगभग 314 कैलोरी होती हैं.
इन चारों मीठे विकल्पों की तुलना करते हुए, सुमन ने कहा कि सिर्फ चीनी छोड़ देने का मतलब यह नहीं है कि आप बाकी विकल्पों का ज़्यादा सेवन कर सकते हैं. उन्होंने सलाह दी कि रोज़ाना दो से ज़्यादा खजूर न खाएँ.
जब बात आती है उन प्राकृतिक स्वीटनर्स की, जिनमें लगभग शून्य कैलोरी होती है, जैसे स्टीविया और मोंक फ्रूट, तो पोषण विशेषज्ञ ने इनके बारे में भी अपनी राय दी.
स्टीविया
स्टीविया एक प्राकृतिक मिठास देने वाला पदार्थ है, जो चीनी से 100 से 200 गुना ज़्यादा मीठा होता है. हालांकि, इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, इसलिए हर किसी को यह पसंद नहीं आता. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें लगभग कोई कैलोरी नहीं होती और यह रक्त शर्करा के स्तर को नहीं बढ़ाता.
मोंक फ्रूट
मोंक फ्रूट एक प्राकृतिक मीठा पदार्थ है, जो चीनी से लगभग 250 से 300 गुना ज़्यादा मीठा होता है. इसका स्वाद हल्का फलों जैसा होता है, इसलिए यह कई लोगों को पसंद आता है.
पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, मोंक फ्रूट और स्टीविया दोनों एस्पार्टेम और सुक्रालोज जैसे कृत्रिम स्वीटनर्स की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ऐसे मीठे पदार्थों से आपकी कुल कैलोरी का 10% से ज़्यादा नहीं आना चाहिए. सुमन ने सलाह दी कि इन्हें भी सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें, दिन में दो चम्मच से ज़्यादा नहीं.

















