भारत का पहला प्राइवेट स्पेस रॉकेट विक्रम-1 क्या है? जान लीजिए खासियत और कैसे करेगा काम
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Thursday, November 27, 2025
Updated On: Thursday, November 27, 2025
भारत का पहला प्राइवेट ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-1 आज लॉन्च हो गया. PM मोदी ने हैदराबाद में स्कायरूट एयरोस्पेस के नए इन्फिनिटी कैंपस में इसकी पहली झलक दिखाई. कार्बन-फाइबर बॉडी, 3D-प्रिंटेड इंजन और 300 किलो पेलोड क्षमता इस रॉकेट को खास बनाती है.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Thursday, November 27, 2025
Vikram-1 Private Space Rocket: भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक दिन देखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में स्कायरूट एयरोस्पेस के इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया और कंपनी के पहले ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-1 का वर्चुअल अनावरण किया. यह वही क्षण है जिसका इंतजार देश के स्पेस स्टार्टअप्स कई वर्षों से कर रहे थे. विक्रम-1 सिर्फ एक रॉकेट नहीं, बल्कि भारत में प्राइवेट स्पेस मिशन की नई शुरुआत है. कार्बन-फाइबर से बना यह हल्का और बेहद ताकतवर लॉन्च व्हीकल 300 किलो तक का पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट तक ले जा सकता है. इसमें 3D-प्रिंटेड लिक्विड इंजन लगे हैं और इसकी पूरी असेंबली सिर्फ 24 घंटे में तैयार हो सकती है. स्कायरूट का दावा है कि यह रॉकेट दुनिया के उन चुनिंदा सिस्टम्स में शामिल है, जो तेज, किफायती और भरोसेमंद स्पेस एक्सेस दे सकते हैं.
यह भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसे तीन साल पहले उद्यमियों के लिए खोला गया था. स्कायरूट इससे पहले नवंबर 2022 में विक्रम-एस लॉन्च कर चुका है, जो भारत का पहला निजी तौर पर विकसित सब-ऑर्बिटल रॉकेट था. गौरतलब है कि यह भारत का पहला निर्जी ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है. इसका नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत के पास स्पेस सेक्टर में ऐसी क्षमताएं हैं, जो फिलहाल दुनिया के कुछ ही देशों के पास हैं.
क्या है विक्रम-I?
विक्रम-I स्काईरूट एयरोस्पेस का एक मल्टी-स्टेज लॉन्च व्हीकल है. इसका नाम भारत के स्पेस प्रोग्राम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. यह कार्बन फाइबर से बना हल्का और बेहद मजबूत रॉकेट है. यह करीब 300 किलो पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट तक पहुंचा सकता है.
रॉकेट में 3D-प्रिंटेड लिक्विड इंजन लगे हैं. इसकी ऊंचाई भी लगभग सात मंजिला इमारत के बराबर है. स्काईरूट का दावा है कि विक्रम-I को सिर्फ 24 घंटे में असेंबल कर किसी भी लॉन्च साइट से लॉन्च किया जा सकता है. इससे ग्राहकों को तेज और कम खर्च में स्पेस तक पहुंच मिलती है.
यह उन चुनिंदा रॉकेट्स में शामिल है जो ऑर्बिटल सैटेलाइट्स को तैनात करने की क्षमता रखते हैं. कंपनी इसे इस साल लॉन्च करने की तैयारी में है. इसके सभी स्टेज देश के अलग-अलग टेस्टिंग सेंटरों में जांच से गुजर रहे हैं.
विक्रम-I के चार स्टेज
पहला स्टेज (कलाम-1200): यह 10 मीटर लंबा कार्बन-फाइबर मोटर है. यह 80–100 सेकंड तक करीब 120 टन का थ्रस्ट बनाता है. यही स्टेज रॉकेट को लॉन्चपैड से 50 किमी से ज्यादा ऊंचाई तक ले जाता है.
दूसरा स्टेज (कलाम-250): यह भी एक फ्यूल मोटर है. पहला स्टेज अलग होने के बाद यही रॉकेट को आगे बढ़ाता है.
तीसरा स्टेज (कलाम-100): यह स्टेज वैक्यूम में 108 सेकंड तक 100 kN का थ्रस्ट पैदा करता है. इसमें कार्बन एब्लेटिव नोजल का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे और ज्यादा सक्षम बनाता है.
चौथा स्टेज (रमन इंजन): यह हाइपरगोलिक इंजन है. इसमें दो केमिकल संपर्क में आते ही तुरंत इग्निशन होता है. हर इंजन 3.4 kN का थ्रस्ट देता है. यही स्टेज रॉकेट को उसके तय कक्षा यानी टारगेट ऑर्बिट में पहुंचाता है.
विक्रम-I के प्रमुख फीचर्स
- स्काईरूट द्वारा विकसित मल्टी-स्टेज लॉन्च व्हीकल
- नाम विक्रम साराभाई के सम्मान में रखा गया
- 300 किलो तक का पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट में भेज सकता है
- पूरा स्ट्रक्चर कार्बन-फाइबर का, हल्का और मजबूत
- 3D-प्रिंटेड लिक्विड इंजन, आधुनिक तकनीक से लैस
- ऊंचाई करीब 7 मंजिला बिल्डिंग जितनी
- केवल 24 घंटे में असेंबल होकर लॉन्च के लिए तैयार
- ऑर्बिटल सैटेलाइट डिप्लॉयमेंट में सक्षम
- लॉन्च से पहले सभी स्टेज कई भारतीय सुविधाओं में टेस्ट हो रहे हैं
- स्काईरूट की शुरुआत 2018 में पूर्व इसरो वैज्ञानिकों ने की थी
स्काईरूट क्यों है खास?
स्काईरूट भारत की प्रमुख निजी स्पेस कंपनी है. इसे पवन चंदना और भरत ढाका ने शुरू किया था. दोनों IIT से पढ़े हैं और ISRO में भी काम कर चुके हैं. साल 2022 में स्काईरूट ने विक्रम-S लॉन्च कर इतिहास बनाया. यह भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बनी जिसने अपने रॉकेट को स्पेस में भेजा.
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