
About Author: सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
Posts By: सतीश झा
भारत में अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल अक्सर मुसलमानों के संदर्भ में किया जाता है, लेकिन क्या वास्तव में अल्पसंख्यक सिर्फ मुसलमान ही हैं? सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय भी संविधान द्वारा अल्पसंख्यक माने गए हैं, लेकिन राजनीतिक विमर्श में अक्सर चर्चा सिर्फ मुसलमानों तक ही सीमित क्यों रहती है? वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) को लेकर जिस प्रकार से नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे अल्पसंख्यक को लेकर नया विमर्श शुरू हो गया है.
संसद में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) पेश किया गया. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रियों ने इसकी जरूरत और खूबियां बताईं. सरकार में शामिल दलों ने उसी सुर में बात की. विपक्षी दलों के नेताओं को इस विधेयक में केवल और केवल खामियां ही नजर आ रही हैं. ऐसे में बिहार के लिए बड़ा सवाल है कि कुछ महीने बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में क्या इसको लेकर चुनावी मंचों से नेताओं के व्यंग्य-वाण चलेंगे ? अल्पसंख्यक समुदाय के लिए यह अहम मुद्दा होगा ? इस पर राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी राय दी है.
दिल्ली की एक अदालत के हालिया आदेश ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को लेकर कपिल मिश्रा की भूमिका पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पहली घटना के संबंध में आगे की जांच आवश्यक है, क्योंकि शिकायतकर्ता ने संज्ञेय अपराध का खुलासा किया है. अदालत ने कहा कि कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच जरूरी है, क्योंकि प्रथम दृष्टया यह संज्ञेय अपराध का मामला प्रतीत होता है.
वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दिल्ली से लेकर कई राज्यों में इस पर घमासान मचा हुआ है. और अब बिहार की राजनीति में भी इस मुद्दे को लेकर हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस पर अपनी अलग राय रखते हुए नया सियासी मोड़ दे दिया है. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता इस बिल को लेकर एक सुर में नहीं बोल रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक बड़ा सवाल यह है कि पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा ? भाजपा के रणनीतिकारों के बीच इसको लेकर विचार-मंथन का दौर जारी है. स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत (Dr Mohan Bhagwat) से 30 मार्च को नागपुर में कई घंटों की मुलाकात कर चुके हैं. माना जा रहा है कि घंटों की मुलाकात में अगले अध्यक्ष के संभावित नामों को लेकर मंथन हुआ. अब इसकी घोषणा 6 अप्रैल को हो सकती है.
बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की और साफ तौर पर कहा कि वे दोबारा सरकार बनाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बिहार दौरे के दौरान गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने एकस्वर में कहा कि वे मिलकर 2025 के चुनाव में जीत हासिल करेंगे और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का बिहार दौरा राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा. उनके आगमन से भाजपा कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ. इस दौरे ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Election 2025) के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने जा रही है.
नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन तेज हो गए हैं. पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे सरकार और राजशाही समर्थकों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि सरकार को कई शीर्ष नेताओं और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी करनी पड़ी, जबकि पूर्व राजा को उनके निवास स्थान निर्मल निवास में नजरबंद कर दिया गया है. नेपाल में जारी इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा?
बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए सियासी माहौल गरमाने लगा है. राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें तेज हो गई हैं. इस बीच, एक बार फिर "जंगलराज" की वापसी का मुद्दा चर्चा में है. सत्ता पक्ष लगातार मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि यदि विपक्ष सत्ता में आता है, तो बिहार में एक बार फिर अराजकता का दौर लौट सकता है.
ईद (Eid- Ul-Fitr)के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा घोषित नई योजना 'सौगात-ए-मोदी' ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. इस योजना की घोषणा के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम करार दिया. भाजपा ने इसे सबका साथ, सबका विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल बताया.