महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति का आदेश वापस लिया, संजय राउत ने उठाया सवाल
महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति का आदेश वापस लिया, संजय राउत ने उठाया सवाल
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, June 30, 2025
Updated On: Monday, June 30, 2025
महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी को लागू करने को लेकर उठे विरोध के बीच राज्य सरकार ने तीन भाषा नीति पर जारी किए गए दो सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया है. सरकार के इस फैसले को विपक्ष के दबाव के बाद लिया गया कदम माना जा रहा है, जहां सरकार पर हिंदी "थोपने" का आरोप लगाया गया था.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, June 30, 2025
राज्य मंत्रिमंडल ने रविवार को इस मुद्दे पर चर्चा के बाद निर्णय लिया कि तीन भाषा नीति को लेकर 8 जून और 13 जून को जारी आदेशों को रद्द किया जाएगा. इस नीति के अंतर्गत राज्य के सभी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी, अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भी अनिवार्य बनाने की बात कही गई थी.
विपक्ष का विरोध: “छात्रों पर हिंदी थोपने की कोशिश”
विपक्षी दलों ने सरकार पर छात्रों पर जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगाया. शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य की भाषा नीति में जबरन बदलाव करने की कोशिश की जा रही है, जो महाराष्ट्र की पहचान और संस्कृति के खिलाफ है.
संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भाजपा के लोग झूठ बोल रहे हैं कि उद्धव ठाकरे सरकार ने माशेलकर समिति की रिपोर्ट स्वीकार की थी. अगर ऐसा था तो उस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?” उन्होंने भाजपा को चुनौती दी कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वास्तव में यह नीति लागू की थी, तो इसका सबूत सामने लाया जाए.
भाजपा पर तंज: “झूठ बोलना राष्ट्रीय नीति बन गई है”
राउत ने कहा कि झूठ बोलना भाजपा की राष्ट्रीय नीति बन गई है. राज्य की मौजूदा सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि हिंदी को अनिवार्य बनाना किसकी सिफारिश पर किया जा रहा था.
क्या थी माशेलकर समिति की भूमिका?
माशेलकर समिति को राज्य में तीन भाषा नीति लागू करने की सिफारिश के लिए गठित किया गया था. भाजपा का दावा है कि इस समिति की सिफारिशों को महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान स्वीकार किया गया था. लेकिन उद्धव ठाकरे खेमे का कहना है कि ऐसी कोई रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई और यह केवल भाजपा द्वारा फैलाया गया भ्रम है.
नई समिति करेगी ‘तीन भाषा नीति’ पर फैसला
महाराष्ट्र सरकार ने आगामी मॉनसून सत्र में संभावित विपक्षी हंगामे की आशंका को देखते हुए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने संबंधी दो सरकारी आदेशों को रद्द करने का फैसला लिया है. ये आदेश क्रमशः 16 अप्रैल और 17 जून 2024 को जारी किए गए थे, जिनमें कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा बनाने की बात कही गई थी.
पहले आदेश में हिंदी को अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने की बात थी, जबकि दूसरे आदेश में इसे वैकल्पिक भाषा के रूप में रखने का प्रस्ताव रखा गया था. इन आदेशों को लेकर विपक्ष और मराठी भाषा प्रेमियों ने तीखी आपत्ति जताई थी और सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया था.
फडणवीस ने किया नई समिति का ऐलान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को जानकारी दी कि सरकार ने यह तय किया है कि अब एक नई समिति बनाई जाएगी, जो तीन भाषा नीति को लेकर अंतिम सुझाव देगी. उन्होंने कहा, “राज्य सरकार की ओर से डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी. यह समिति तय करेगी कि ‘तीन भाषा नीति’ किस कक्षा से लागू की जाए और किस ढंग से इसे राज्य के छात्रों के लिए उपयुक्त बनाया जाए.” डॉ. जाधव योजना आयोग के पूर्व सदस्य और पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके हैं, जिनका शिक्षा और नीति निर्माण में व्यापक अनुभव है.
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