NDA बनाम महागठबंधन: कौन लाएगा फ्री बिजली, नौकरी और बदलाव का तूफ़ान? वादों का महामुकाबला

Authored By: Nishant Singh

Published On: Monday, November 3, 2025

Last Updated On: Monday, November 3, 2025

NDA vs Grand Alliance में चुनावी जंग तेज, फ्री बिजली और रोजगार के वादों से बढ़ी सियासी गर्मी.
NDA vs Grand Alliance में चुनावी जंग तेज, फ्री बिजली और रोजगार के वादों से बढ़ी सियासी गर्मी.

बिहार में चुनावी रण अपने चरम पर है - एक तरफ एनडीए का ‘विकास का वादा’, तो दूसरी तरफ महागठबंधन का ‘बदलाव का बिगुल’. दोनों ने जनता को लुभाने के लिए फ्री बिजली, रोजगार और महिलाओं को आर्थिक ताकत देने जैसे कई ऐलान किए हैं. लेकिन सवाल अब बड़ा है कि आख़िर किसके वादों पर बिहार की जनता करेगी यकीन? जानीए पूरी कहानी...

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Monday, November 3, 2025

NDA vs Grand Alliance: बिहार का चुनावी मौसम शुरू होते ही सियासी पारा चरम पर है. एनडीए और महागठबंधन, दोनों ने अपने-अपने घोषणा पत्र यानी ‘संकल्प पत्र’ और ‘प्रतिज्ञा पत्र’ जनता के सामने पेश कर दिए हैं. एक तरफ है सत्ता पक्ष का विकास और स्थिरता का दावा, तो दूसरी तरफ विपक्ष का बदलाव और रोजगार का वादा. सवाल अब यही है कि आखिर किसके राज में बिहार को ज्यादा फ्री बिजली, रोजगार और राहत मिलने वाली है? आइए जानते हैं, दोनों गठबंधनों के वादों की पूरी पड़ताल…

रोजगार का रण: कौन देगा ज्यादा नौकरियां?

बिहार की युवा आबादी के लिए रोजगार इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है. NDA के घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि राज्य में 1 करोड़ से अधिक रोजगार और सरकारी नौकरियां दी जाएंगी. हर जिले में मेगा स्किल सेंटर बनाकर युवाओं को आधुनिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे बिहार को “ग्लोबल स्किल हब” बनाया जा सके. इसके अलावा ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों को 4 लाख रुपये का जीवन बीमा और बिना गारंटी सस्ता वाहन ऋण देने का वादा भी किया गया है.

वहीं महागठबंधन ने अपने मेनिफेस्टो में बड़ा दांव खेला है, हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा. दावा है कि सरकार बनने के 20 महीने के भीतर रोजगार देना शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही, मनरेगा की मजदूरी बढ़ाकर ₹300 प्रतिदिन करने और लेबर सर्वे के जरिए नए अवसर सृजित करने की बात कही गई है.

महिलाओं के लिए कौन ज्यादा हितैषी?

महिलाओं को लेकर दोनों गठबंधनों ने लुभावने वादे किए हैं. NDA ने अपने संकल्प पत्र में “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” के तहत महिलाओं को ₹2 लाख तक की सहायता राशि देने और 1 करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य रखा है. यह योजना महिला सशक्तिकरण को आर्थिक मजबूती से जोड़ने का प्रयास दिखाती है.

वहीं महागठबंधन ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए सभी जीविका दीदियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का वादा किया है. उन्हें ₹30,000 मासिक वेतन मिलेगा. साथ ही “माई-बहिन मान योजना” के तहत प्रति माह ₹2,500 की आर्थिक सहायता दी जाएगी, यह सीधे महिलाओं की जेब में राहत पहुंचाने वाली स्कीम है.

अति पिछड़ा वर्ग: कौन करेगा असली सशक्तिकरण?

अति पिछड़ा वर्ग बिहार की राजनीति की रीढ़ है. NDA ने वादा किया है कि इन वर्गों के विभिन्न व्यावसायिक समूहों को ₹10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी. साथ ही एक हाई लेवल कमेटी गठित होगी, जो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करेगी. अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को हर महीने ₹2,000 की छात्रवृत्ति, और हर अनुमंडल में आवासीय विद्यालय खोलने की घोषणा भी की गई है.

दूसरी ओर महागठबंधन ने बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए कहा है कि “आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाई जाएगी” और इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा, यानी सामाजिक न्याय का एजेंडा विपक्ष की रीढ़ है.

बिजली के मैदान में किसका वादा ज्यादा चमकदार?

अब बात उस मुद्दे की जो हर घर को छूता है – बिजली बिल. NDA ने वादा किया है कि बिहार के हर परिवार को 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी.

वहीं महागठबंधन ने इससे भी बड़ा ऑफर दिया है कि हर परिवार को 200 यूनिट फ्री बिजली. यानि इस मोर्चे पर विपक्ष ने जनता को ज्यादा राहत देने की कोशिश की है. सवाल बस इतना है कि क्या ये वादे अमल में उतरेंगे?

शिक्षा के मोर्चे पर कौन करेगा बेहतर काम?

शिक्षा बिहार की पहचान रही है और दोनों दलों ने इस पर खास फोकस किया है. NDA ने घोषणा की है कि राज्य में केजी से पीजी तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी. एक “वर्ल्ड क्लास एजुकेशन सिटी” बनाने और ₹5000 करोड़ से जिला स्कूलों के कायाकल्प की योजना है.

जबकि महागठबंधन का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म और परीक्षा शुल्क को खत्म किया जाएगा. साथ ही छात्रों को परीक्षा केंद्र तक मुफ्त यात्रा सुविधा मिलेगी और हर अनुमंडल में महिला कॉलेज की स्थापना की जाएगी.

गरीबों के लिए कौन सी सरकार बनेगी मसीहा?

गरीब और जरूरतमंद तबके के लिए NDA ने “पंचामृत गारंटी” पेश की है. इसमें शामिल हैं –

  • मुफ्त राशन
  • 125 यूनिट फ्री बिजली
  • ₹5 लाख तक मुफ्त इलाज
  • 50 लाख पक्के मकान
  • सामाजिक सुरक्षा पेंशन

वहीं महागठबंधन ने गरीब परिवारों को ₹500 में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है. साथ ही कक्षा 8 से 12वीं तक के छात्रों को मुफ्त टैबलेट देने की योजना भी शामिल है, जिससे शिक्षा और टेक्नोलॉजी का संगम हो सके.

किसान – विकास की जड़ या वोट बैंक?

बिहार की राजनीति किसानों के बिना अधूरी है. NDA ने “कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि” शुरू करने का वादा किया है, जिसके तहत किसानों को हर साल ₹9,000 की सहायता मिलेगी. एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर में ₹1 लाख करोड़ निवेश, पंचायत स्तर पर एमएसपी पर खरीद और 5 मेगा फूड पार्क की योजना भी शामिल है.

वहीं महागठबंधन ने “किसान बीमा योजना” और “मखाना प्रसंस्करण उद्योग” की घोषणा की है. यानी, खेती-किसानी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दोनों गठबंधन अपने-अपने तरीके से कोशिश कर रहे हैं.

चुनावी मैदान में वादों की जंग, फैसला जनता के हाथ

बिहार की जनता के सामने अब एक बड़ा चुनावी सवाल है कि क्या वो विकास की निरंतरता को चुनेगी या बदलाव की नई दिशा को? एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों ने वादों का पुलिंदा खोल दिया है. एक तरफ फ्री बिजली, नौकरी और स्किल इंडिया की बात है, तो दूसरी ओर सामाजिक न्याय, आरक्षण और सीधी आर्थिक मदद का वादा.

अब देखना ये होगा कि 2025 में जनता किसके वादों पर यकीन जताती है कि विकास के नाम पर या बदलाव के नाम पर.

“बिहार की सियासत में घोषणापत्र अब सिर्फ वादे नहीं, जनता के सपनों की किताब बन चुके हैं और इस किताब का अगला पन्ना, जनता खुद लिखेगी.”

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निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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