कैसे इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के बाद Asrani को मिला था बड़ा ब्रेक? जब एक शिकायत ने बदल दी अभिनेता की पूरी किस्मत
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Tuesday, October 21, 2025
Updated On: Tuesday, October 21, 2025
असरानी ने बताया था कि उन्हें बड़ा मौका इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के बाद मिला. उस समय उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से कहा था कि एफटीआईआई के प्रशिक्षित कलाकारों को काम दिया जाए. इस फैसले से असरानी समेत कई नए कलाकारों के लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए और उनका करियर आगे बढ़ा.
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Updated On: Tuesday, October 21, 2025
Asrani Career Story: वरिष्ठ अभिनेता और मशहूर कॉमेडियन गोवर्धन असरानी, जिन्हें सभी प्यार से असरानी कहते थे, का 20 अक्टूबर को 84 साल की उम्र में मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में निधन हो गया. असरानी ने अपने लंबे करियर में पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय तक काम किया और 350 से अधिक फ़िल्मों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं. वे अपनी शानदार अभिनय और हास्य शैली के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. जीवन के अंतिम दिनों में असरानी ने अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि वे उनकी विदाई को सादगी और शांति से करें, दूर रखें तमाम शोहरत और भीड़-भाड़ से.
असरानी का संघर्ष और इंदिरा गांधी का सहारा
असरानी का स्टारडम तक का सफर आसान नहीं था. उन्होंने 1964 में पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से अभिनय की ट्रेनिंग ली, लेकिन औपचारिक प्रशिक्षण के बावजूद मुंबई में उन्हें बार-बार ठुकराया गया. एक इंटरव्यू में असरानी ने बताया कि कैसे वे अपना सर्टिफिकेट लेकर प्रोड्यूसरों के पास जाते थे, लेकिन उन्हें कह दिया जाता था, ‘अभिनय के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती. बड़े सितारों ने कभी ट्रेनिंग नहीं ली. ‘
उनके करियर का रुख तब बदला जब इंदिरा गांधी ने हस्तक्षेप किया. उस समय सूचना और प्रसारण मंत्री रहते हुए, उन्होंने एफटीआईआई के प्रशिक्षित कलाकारों को बढ़ावा देने की पहल की, जिससे असरानी सहित कई नए कलाकारों को बॉलीवुड में मौका मिला.
असरानी ने बताया था, ‘एक दिन इंदिरा गांधी पुणे आईं. उस समय वह सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. हमने उनसे अपनी परेशानी बताई कि हमारे पास एफटीआईआई का सर्टिफिकेट है, लेकिन कोई हमें काम नहीं देता. बाद में जब वह मुंबई गईं, तो उन्होंने फिल्म निर्माताओं से कहा कि प्रशिक्षित कलाकारों को मौका दिया जाए. इसके बाद मुझे और जया भादुड़ी को फिल्म गुड्डी में काम मिला. जब गुड्डी हिट हुई, तो लोगों ने एफटीआईआई के कलाकारों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया और हमारे लिए नए दरवाजे खुल गए. ‘
इंदिरा गांधी का समर्थन और असरानी का चमकता सफर
इंदिरा गांधी के समर्थन ने असरानी को न सिर्फ उनका पहला बड़ा ब्रेक दिलाया, बल्कि उस फिल्म इंडस्ट्री में प्रशिक्षित कलाकारों को भी पहचान दिलाई, जहाँ अक्सर शिक्षा से ज्यादा अनुभव और किस्मत पर भरोसा किया जाता था. गुड्डी (1971) उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुई. इसके बाद असरानी हर तरह की भूमिकाओं में छा गए, गंभीर किरदारों से लेकर हास्य भूमिकाओं तक.
उनकी सबसे यादगार भूमिका शोले (1975) के सनकी जेलर की रही, जिसकी मशहूर लाइन, ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं!’ आज भी लोगों की ज़ुबान पर है. इस किरदार ने उन्हें भारतीय सिनेमा की पॉप संस्कृति में अमर बना दिया. उन्होंने चुपके चुपके, छोटी सी बात और रफू चक्कर जैसी क्लासिक फिल्मों में भी दर्शकों को खूब हंसाया.
बाद के दशकों में असरानी ने हेराफेरी और भागम भाग जैसी फिल्मों में अपने बेमिसाल हास्य और टाइमिंग से फिर साबित किया कि असली कलाकार कभी पुराने नहीं होते. अपनी प्रसिद्धि के बावजूद, असरानी हमेशा एक सादगीभरे इंसान रहे, जो बस इतना चाहते थे कि लोग उन्हें अपने जैसा ही समझें और प्यार से याद रखें.
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