UNICEF Report: थाली में जंक फ़ूड अधिक होने से भारत पाकिस्तान के बच्चे हो रहे मोटापे के शिकार
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, September 12, 2025
Last Updated On: Friday, September 12, 2025
यूनिसेफ और भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि भारत और पाकिस्तान में बच्चे हेल्दी फ़ूड की बजाय बर्गर पिज्जा जैसे जंक फ़ूड अधिक खा रहे हैं. इसके कारण इन दोनों देशों के बच्चों और किशोरों में मोटापा महामारी का रूप ले रहा है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, September 12, 2025
UNICEF Report: यूनिसेफ और भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, मोटापा एक नयी महामारी बन कर उभर रहा है. दक्षिण एशिया में किये गये सर्वे के मुताबिक, 77% किशोरों को घर में पका हुआ खाना तो मिलता है, लेकिन केवल 49% को ताजी सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं. इसके उलट 61% पैकेज्ड स्नेक्स-फ़ूड, 55% फास्ट फूड और 55% शुगर-ड्रिंक्स बच्चों के लिए आसानी से सुलभ हैं. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में हालात और चिंताजनक हैं. यहां स्कूलों के भीतर भी जंक फूड और ब्रांड्स का प्रचार दिखाते हैं कि 2005-06 से 2019-21 के बीच भारत में पांच साल से कम उम्र के मोटे बच्चों की संख्या 127% बढ़ी है. ज्यादातर बच्चे जंक फ़ूड खाकर बड़े हो रहे हैं.
सर्वेक्षण बताते हैं कि बच्चे दाल-चावल की जगह स्नैक्स ले रहे हैं. फास्ट फूड की आसान उपलब्धता ने स्कूल कैफेटेरिया और डिजिटल मार्केटिंग में जंक फूड की भरमार कर दी है. इसके कारण लड़कियों में मोटापा की वृद्धि 125% और लड़कों में 288% तक रही. वयस्क भी इससे अछूते नहीं रहे. महिलाओं में मोटापा 91% और पुरुषों में 146% तक बढ़ा है. अनुमान है कि 2030 तक भारत में 2.7 करोड़ से अधिक बच्चे और किशोर मोटापे से जूझ रहे होंगे, जो
हर 5 में से 1 बच्चा या किशोर ओवरवेट
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की कुल आबादी का लगभग 11% बच्चों को मोटापा है. चिंताजनक आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में हर 20 में से 1 बच्चा (5%) जिसकी उम्र उम्र 5 साल से कम है और हर 5 में से 1 बच्चा या किशोर (20%) जिसकी से 19 साल है, ओवरवेट है.
- बच्चों की सेहत पर बुरा असर – इसके कारण टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, कैसर का खतरा हो सकता है.
- मानसिक स्वास्थ्य पर असर – मोटापे ने कम वजन को पीछे छोड़ दिया है. आज करीब 18.8 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे की चपेट में हैं. भारत समेत कई देशों में यह समस्या विकराल रूप ले रही है. यह बदलाव सिर्फ शरीर के आकार का नहीं, बल्कि दिल, दिमाग और अन्य भाग पर भी पड़ता है
- यूनिसेफ की चेतावनी – आने वाले भविष्य पर यह गहरा असर डालने वाला संकट है. यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाये गये तो आने वाले सालों में मोटापा बच्चों के लिए गंभीर बीमारियों का सबसे बड़ा कारण बन जायेगा.
- क्यों होते हैं बच्चे मोटापे के शिकार – बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें बच्चे का वज़न उसकी लंबाई के हिसाब से सामान्य से ज़्यादा होता है. इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी कई बीमारी हो सकती हैं. इसका निदान उम्र के हिसाब से बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के प्रतिशत के आधार पर किया जाता है. यह अक्सर अस्वास्थ्यकर खान-पान, शारीरिक गतिविधि की कमी और अपर्याप्त नींद के संयोजन का परिणाम होता है.
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