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क्या होता है ब्लू कॉर्नर नोटिस? रेड कॉर्नर नोटिस से कितना है अलग, जानें इसका मतलब और ताकत
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Wednesday, December 10, 2025
Last Updated On: Wednesday, December 10, 2025
गोवा क्लब हादसे के बाद सौरभ और गौरव लूथरा के थाईलैंड भागने की खबर ने इंटरपोल को एक्टिव कर दिया. दोनों पर ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हुआ है. आखिर क्या होता है ब्लू कॉर्नर नोटिस और कितना पावरफुल होता है इंटरपोल का ये अलर्ट? आइए जानते हैं.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Wednesday, December 10, 2025
Blue Corner Notice: गोवा के एक नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर दिया. 6 दिसंबर 2025 की देर रात आग लग गई थी. इस हादसे में 25 लोगों की जान चली गई. अब यह हादसा अब एक बड़े अंतरराष्ट्रीय खोज अभियान में बदल चुका है. क्लब के मालिक सौरभ और गौरव लूथरा के थाईलैंड भागने की खबर के बाद पुलिस ने इंटरपोल से मदद ली, और दोनों पर ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया गया. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ब्लू कॉर्नर नोटिस होता क्या है? इसकी ताकत क्या होती है? यह लुकआउट नोटिस और रेड कॉर्नर नोटिस से कैसे अलग है? इंटरपोल के नोटिस सिस्टम को समझना आज इसलिए जरूरी है क्योंकि यह किसी भी बड़े अपराध की जांच का सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय टूल है. यहां जानिए ब्लू कॉर्नर नोटिस से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
लुक आउट नोटिस
लुकआउट नोटिस को लुकआउट सर्कुलर भी कहा जाता है. यह नोटिस आमतौर पर फरार अपराधियों के खिलाफ जारी होता है. कई बार इसका इस्तेमाल उन लोगों पर भी होता है जिन पर देश छोड़कर विदेश भागने का शक होता है. इस केस में लूथरा ब्रदर्स थाईलैंड भाग गए. अजय गुप्ता को छोड़कर बाकी सभी बाहर चले गए. इसी वजह से सीबीआई ने इंटरपोल से ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करवाया.
गृह मंत्रालय के नियम साफ कहते हैं कि लुकआउट नोटिस लगने के बाद आरोपी को किसी भी एयरपोर्ट, सीपोर्ट, रेलवे स्टेशन या बस अड्डे से रोका जा सकता है. पुलिस, सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां भी यह नोटिस जारी करा सकती हैं. यह नोटिस देश के सभी एयरपोर्ट के इमिग्रेशन अधिकारियों को भेजा जाता है. इसके अलावा बंदरगाहों और सीमाओं पर तैनात अधिकारियों को भी इसकी कॉपी दी जाती है.
ब्लू कॉर्नर नोटिस
ब्लू कॉर्नर नोटिस उस देश को भेजा जाता है जहां से आरोपी के जुड़े होने की जानकारी मिलती है. इस नोटिस का उद्देश्य आरोपी की गतिविधियों का पता लगाना होता है. यह जांच के लिए जारी किया जाता है. इसमें किसी व्यक्ति की लोकेशन, पहचान और उसके मूवमेंट्स पर नजर रखी जाती है. सीधे शब्दों में कहें तो ब्लू नोटिस तलाश और निगरानी के लिए जारी किया जाने वाला इंटरपोल अलर्ट है.
रेड कॉर्नर नोटिस
इंटरपोल अपनी वेबसाइट पर रेड कॉर्नर नोटिस के बारे में स्पष्ट जानकारी देता है. रेड नोटिस दुनिया के सभी सदस्य देशों की पुलिस एजेंसियों से एक औपचारिक अनुरोध है. इसमें कहा जाता है कि किसी वांछित आरोपी को ढूंढकर अस्थायी रूप से गिरफ्तार किया जाए. आगे चलकर उसी गिरफ्तारी के आधार पर extradition, surrender या अन्य कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है. यानी रेड कॉर्नर नोटिस एक तरह का इंटरपोल अलर्ट होता है. यह लगभग अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जैसा काम करता है. इस नोटिस की आधारशिला उस देश की न्यायिक अथॉरिटी द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट या कोर्ट ऑर्डर होती है. इसमें आरोपी के खिलाफ ठोस जानकारी होती है.
सदस्य देश अपने कानून, समझौतों और प्रक्रियाओं के आधार पर तय करते हैं कि नोटिस में बताए गए आरोपी को गिरफ्तार करना है या नहीं. रेड नोटिस में आरोपी की पहचान का पूरा विवरण दिया जाता है जैसे नाम, जन्मतिथि, राष्ट्रीयता, पता, बाल-आंखों का रंग, फोटो और अगर उपलब्ध हों तो फिंगरप्रिंट. इसके साथ-साथ उसके द्वारा किए गए अपराध का विवरण भी शामिल होता है.
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