Manmohan Singh Death: भारत में आर्थिक उदारीकरण के जनक ने कहा अलविदा

Manmohan Singh Death: भारत में आर्थिक उदारीकरण के जनक ने कहा अलविदा

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Friday, December 27, 2024

former pm dr manmohan singh death
former pm dr manmohan singh death

भारत के आर्थिक उदारीकरण के जनक, भारत में आर्थिक सुधार करने वाला योद्धा एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का देर रात निधन हो गया। वे 92 वर्ष थे। देश भर में एक सप्ताह का राजकीय शोक।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Friday, December 27, 2024

हाइलाइट्स

  • मनमोहन सिंह दस सालों (2004-14) तक लगातार भारत के प्रधानमंत्री रहे।
  • नब्बे के दशक में उन्होंने भारत में आर्थिक उदारवाद का दौर शुरू किया।
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया था।
  • उन्हें भारत में आर्थिक सुधार का जनक माना जाता है।
  • दिल्ली एम्स में उन्होंने ली अंतिम सांस।

पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ( Dr. Manmohan Singh) का कल (26 दिसंबर) रात दिल्ली एम्स में निधन हो गया। कल शाम ही वे अचानक बेहोश हो गए। तब उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। रात करीब दस बजे उनके निधन की खबर आई। वे 92 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर सुनकर पूरा देश शोकग्रस्त हो गया।

डॉ मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक उदारवाद का जनक माना जाता है। उन्हें भारत में आर्थिक सुधार का योद्धा भी कहा जाता है। वर्ष 1991 में उनके वित्त मंत्रित्व काल में ही भारत का बाजार दुनिया के लिए खोला गया। वे अप्रैल 2024 में राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए थे। देर रात दिल्ली एम्स ने एक बयान जारी कर कहा कि 92 वर्षीय प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है।

सात दिन का राजकीय शोक

उनकी मौत की खबर आने पर केंद्र सरकार ने आज 11 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है। सूत्रों बताते हैं कि कैबिनेट बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा करेगी। सरकार ने आज के सभी कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। साथ ही मोदी सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने की घोषणा की है।

कांग्रेस ने सभी कार्यक्रम रद्द किए

डॉ मनमोहन सिंह प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे। वे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद भी थे। वे लगातार दो बार, दस साल (2004-14) तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने इस दस साल तक यूपीए सरकार का नेतृत्व किया। उनके निधन पर कांग्रेस ने भी अपने सभी कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। कांग्रेस पार्टी अगले सात दिनों तक कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करेगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक जताया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने डॉ सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने मनमोहन सिंह को एक दुर्लभ राजनेता कहा है। उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने शिक्षा और प्रशासन की दुनिया में समान सहजता से काम किया। डॉ सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, उनके बेदाग राजनीतिक जीवन और उनकी अत्यंत विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।’

प्रधानमंत्री मोदी ने भी जताया शोक

pm modi paying tribute to manmohan singh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी उन्हें याद किया। मोदी ने सोशल मीडिया पर उनके साथ के कई फोटो शेयर किए और उन्हें प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री कहा। उन्होंने कहा कि डॉ सिंह ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए। भारत अपने सबसे प्रतिष्ठि नेताओं में से एक डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर शोक माना रहा है। लंबे समय तक हमारी आर्थिक नीति पर उन्होंने गहरी छाप छोड़ी।

कांग्रेस नेताओं ने भी जताया शोक

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि डॉ सिंह ने भारत का नेतृत्व बहुत बुद्धिमत्ता और ईमानदारी के साथ किया है। मैंने अपना एक मार्गदर्शक खो दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह शब्दों के बजाय काम करने वाले व्यक्ति थे। बहुत ही विनम्र राजनेता थे।

आर्थिक सुधार के जनक

डॉ मनमोहन सिंह 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में भारत के आर्थिक उदारीकरण के वास्तुकार थे। प्रधानमंत्री के रूप में सिंह के कार्यकाल में अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ। इसने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया। इन्होंने मनरेगा और सूचना का अधिकार अधिनियम जैसे ऐतिहासिक सामाजिक सुधारों की शुरुआत की।

वित्त मंत्री के रूप में उनकी भूमिका को देश के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। भुगतान संतुलन के मुद्दे और घटते विदेशी भंडार जैसे गंभीर आर्थिक संकट का भारत सामना कर रहा था। इन्होंने परिवर्तनकारी सुधार पेश किए। इससे अर्थव्यवस्था उदार हुई। निजीकरण को बढ़ावा मिला और भारत को वैश्विक बाजारों में एकीकृत किया गया। इन उपायों ने न केवल आर्थिक संकट को टाला, बल्कि भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर भी खड़ा किया।

परमाणु समझौता और भ्रष्टाचार का आरोप

उन्होंने ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर भी बातचीत की। इसके बाद भारत के दशकों के परमाणु अलगाव का अंत हुआ। हालांकि उनका कार्यकाल अंतिम समय में विवादों में भी रहा। उन्हें मौन रहने वाला और कठपुतली प्रधानमंत्री भी कहा गया। उनका कार्यकाल 2जी स्पेक्ट्रम मामले, राष्ट्रमंडल घोटाला और कोयला ब्लॉक आवंटन विवाद जैसे भ्रष्टाचार-घोटालों से भी प्रभावित रहा।

कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे

डॉ सिंह ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बनने से पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976) सहित कई प्रमुख पदों पर काम किया है। वे 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-1987) के रूप में भी कार्य किया था। इन सार्वजनिक सेवाओं से पहले उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में काम किया।

आज के पाकिस्तान में हुआ था जन्म

डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव गाह में हुआ था। उनका जन्म स्थान अब पाकिस्तान में है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया था। पारिवारिक उथल-पुथल के बावजूद उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण किया। वे पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन किया। 1957 में अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त की। 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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