नंद किशोर यादव की जीवनी: जन्म, शिक्षा, परिवार, राजनीतिक करियर, छात्र राजनीति से बिहार विधानसभा अध्यक्ष तक का सफर
Authored By: Nishant Singh
Published On: Tuesday, August 5, 2025
Updated On: Tuesday, August 5, 2025
Nand Kishore Yadav Biography in Hindi: नंद किशोर यादव, जो 1953 में पटना में जन्मे, बिहार की राजनीति में एक अहम नाम हैं. सात बार विधायक चुने गए, वे कई बार मंत्री और 2024 में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष बने. उनके सादगीपूर्ण जीवन और जनसेवा के जुनून ने उन्हें जनता का प्रिय नेता बनाया. क्या आप जानते हैं, उनका राजनीतिक सफर कैसे एक छात्र नेता से शुरू होकर विधानसभा अध्यक्ष तक पहुंचा? इस लेख में पढ़ें उनके प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक संघर्ष, बड़ी उपलब्धियां और समाज के प्रति उनका समर्पण. जानिए कैसे उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Tuesday, August 5, 2025
नंद किशोर यादव, बिहार की राजनीति का एक ऐसा नाम है, जो न केवल संगठन में, बल्कि जनसेवा और नेतृत्व में भी मिसाल बन चुका है. पटना सिटी में 26 अगस्त 1953 को जन्मे यादव जी बचपन से ही राष्ट्र सेवा की भावना से ओत-प्रोत थे. छात्र जीवन में RSS से जुड़ाव और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी ने उनके राजनीतिक सफर की नींव रखी. वे सात बार पटना साहिब से विधायक चुने गए और कई बार बिहार सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. फरवरी 2024 में वे निर्विरोध बिहार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए. उनका सादगीपूर्ण जीवन, स्पष्ट विचारधारा और मजबूत नेतृत्व उन्हें बिहार की राजनीति का एक भरोसेमंद चेहरा बनाते हैं.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नंद किशोर यादव का जन्म 26 अगस्त 1953 को पटना सिटी के एक मध्यमवर्गीय यादव परिवार में हुआ. उनके पिता पन्ना लाल यादव एक छोटे व्यवसायी थे, जिन्होंने अपने बेटे में अनुशासन और सेवा का संस्कार डाला. बचपन से ही नंद किशोर में नेतृत्व की झलक दिखने लगी थी. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मारवाड़ी हाई स्कूल, पटना से पूरी की और मगध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. कॉलेज के दिनों में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और समाज सेवा की राह पकड़ ली. शिक्षा के साथ उनका झुकाव राजनीति की ओर बढ़ने लगा.
नंद किशोर यादव का व्यक्तिगत विवरण

विवरण | जानकारी |
---|---|
पूरा नाम | नंद किशोर यादव |
जन्मतिथि | 26 अगस्त 1953 |
जन्मस्थान | खाजेकलां, पटना, बिहार, भारत |
माता का नाम | राजकुमारी देवी |
पिता का नाम | पन्ना लाल यादव |
शिक्षा | बी.एससी. (द्वितीय वर्ष तक), मगध विश्वविद्यालय |
विवाह | किरण देवी (विधवा; पत्नी का निधन हो चुका है) |
बच्चे | दो पुत्र – नितिन कुमार और आदित्य राज |
प्रमुख पद | – विधायक (पटना साहिब से 7 बार) – बिहार सरकार में मंत्री (पथ निर्माण, स्वास्थ्य) – बिहार विधानसभा अध्यक्ष (2024 से वर्तमान) |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
उनका परिवार हमेशा सामाजिक मूल्यों और शिक्षा के प्रति जागरूक रहा है, जिससे उन्हें समाजसेवा की प्रेरणा मिली.
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
नंद किशोर यादव की राजनीतिक यात्रा 1971 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ने के साथ शुरू हुई. 1974 में वे जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े. उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और पटना सिटी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष बने. 1978 में वे पटना नगर निगम के पार्षद चुने गए और 1982 में उप महापौर बने.
प्रमुख राजनीतिक उपलब्धियां

वर्ष | पद/भूमिका | क्षेत्र/विभाग |
---|---|---|
1978 | पटना नगर निगम पार्षद | पटना |
1982 | उप महापौर | पटना नगर निगम |
1995 | पहली बार विधायक निर्वाचित | पटना साहिब (पूर्व: पूर्वी पटना) |
2005-2020 | लगातार सात बार विधायक | पटना साहिब |
2005-2008 | पर्यटन मंत्री, बिहार सरकार | बिहार |
2005-2008, 2010-2013, 2017-2020 | पथ निर्माण मंत्री, बिहार सरकार | बिहार |
2008-2010 | स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार | बिहार |
2013-2015 | नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान सभा | बिहार |
2024 | अध्यक्ष, बिहार विधान सभा | बिहार |
राजनीतिक सफर के मुख्य पड़ाव
नंद किशोर यादव का राजनीतिक सफर 1970 के दशक में जेपी आंदोलन से शुरू हुआ. 1978 में वे पटना नगर निगम के पार्षद बने और धीरे-धीरे भाजपा में अपनी पकड़ मजबूत की. 1995 में पहली बार विधायक चुने गए और पटना साहिब से लगातार सात बार विजयी रहे. वे बिहार सरकार में पथ निर्माण, स्वास्थ्य और पर्यटन मंत्री रहे. 2024 में उन्हें सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया, जो उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का प्रमाण है.
- छात्र राजनीति: 1971 में ABVP से जुड़े, 1974 में जेपी आंदोलन में भागीदारी.
- स्थानीय निकाय: 1978 में पटना नगर निगम के पार्षद, 1982 में उप महापौर.
- विधानसभा: 1995 से लगातार सात बार पटना साहिब से विधायक निर्वाचित.
- मंत्री पद: पर्यटन, पथ निर्माण, स्वास्थ्य जैसे विभागों के मंत्री रहे.
- नेता प्रतिपक्ष: 2013-2015 के बीच बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष.
- विधान सभा अध्यक्ष: 2024 में सर्वसम्मति से बिहार विधान सभा के अध्यक्ष चुने गए.
सामाजिक और संगठनात्मक भूमिका

नंद किशोर यादव ने भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न पदों पर कार्य किया. वे भाजपा के पटना महानगर अध्यक्ष, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष भी रहे. वे आरएसएस के सक्रिय स्वयंसेवक हैं और समाजसेवा में हमेशा अग्रणी रहे हैं.
व्यक्तिगत जीवन एवं विचार
नंद किशोर यादव का जीवन सादगी, ईमानदारी और जनसेवा के मूल्यों पर आधारित है. वे अपने निजी व्यवहार में अत्यंत सरल और जनता के प्रति संवेदनशील हैं. समाज के हर वर्ग से संवाद बनाए रखना और कार्यकर्ताओं से आत्मीय संबंध रखना उनकी पहचान है. वे समस्याओं का हल धरातल पर खोजने में विश्वास रखते हैं. उनका दृष्टिकोण व्यावहारिक है और भाषणों में स्पष्टता एवं सरलता होती है, जिससे वे जनता के और अधिक करीब महसूस होते हैं.
प्रमुख योगदान और उपलब्धियां

- पटना नगर निगम में रहते हुए शहर की सफाई, जल निकासी, बिजली व्यवस्था में सुधार.
- पथ निर्माण मंत्री के रूप में बिहार में सड़कों के विकास में उल्लेखनीय योगदान.
- स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार.
- पर्यटन मंत्री के रूप में बिहार में पर्यटन को बढ़ावा दिया.
- विधान सभा अध्यक्ष के रूप में निष्पक्षता और सदस्यों के अधिकारों की रक्षा का संकल्प.
सम्मान और पहचान
- बिहार की राजनीति में सात बार विधायक चुने जाने का रिकॉर्ड.
- सर्वसम्मति से विधान सभा अध्यक्ष चुने जाने वाले विरले नेताओं में शामिल.
- समाज के सभी वर्गों में लोकप्रियता और सम्मान.
बिहार विधान सभा अध्यक्ष के रूप में नंद किशोर यादव

2024 में नंद किशोर यादव को सर्वसम्मति से बिहार विधान सभा का अध्यक्ष चुना गया. यह चयन न केवल उनके व्यापक अनुभव और राजनीतिक संतुलन को दर्शाता है, बल्कि सभी दलों द्वारा उनमें व्यक्त किए गए भरोसे का प्रतीक भी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया, जो लोकतांत्रिक मर्यादा और आपसी सम्मान का सुंदर उदाहरण था. उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही सदन की गरिमा बनाए रखने, सभी दलों को समान अवसर देने और विधायी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने का संकल्प लिया.
- 15 फरवरी 2024 को सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुने गए.
- सभी दलों के नेताओं का समर्थन मिला, राजनीतिक सद्भावना का उदाहरण.
- निष्पक्ष संचालन, युवा विधायकों को अवसर देने पर ज़ोर.
- विधानसभा की गरिमा, अनुशासन और जनहित में चर्चाओं को प्राथमिकता दी.
- लोकतंत्र की मजबूती के लिए नियमों का पालन और सदन में संतुलन बनाए रखने की नीति अपनाई.
बिहार की राजनीति में योगदान
- सामाजिक न्याय, विकास और सुशासन की दिशा में कार्य.
- सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति.
- युवाओं को राजनीति और समाजसेवा के लिए प्रेरित करना.
- बिहार के बुनियादी ढांचे के विकास में अग्रणी भूमिका.
विचार और दृष्टिकोण

नंद किशोर यादव का मानना है कि राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि सत्ता का. वे लोकतांत्रिक मूल्यों, पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च मानते हैं. उनका लक्ष्य बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है. वे हमेशा युवाओं को प्रेरित करते हैं कि वे समाज और देश के लिए आगे आएं.
तथ्य और अन्य झलकियां
- RSS से दीर्घकालिक जुड़ाव (1969 से)
- जेपी आंदोलन में जेल जाना—राजनीतिक जागृति का प्रारंभ
- यादव जाति से प्रभाव—बिहार में यादव समुदाय ~21% मतदाता
- मेरे पार्श्व राजनीति: भाजपा में राज्य अध्यक्ष 1998–2003; विपक्ष के नेता 2013–15
- “विकास के प्रतिमान” के रूप में पुस्तक रैक में समर्पित—‘नंद किशोर यादव विकास के प्रतिमान’ (राकेश प्रवीर, 2024)
- दृष्टिकोण: “संघर्ष सड़क पर और बहस हाउस में भिन्न” उक्तशब्द; कार्यशैली जमीनी सचेत एवं व्यवस्थित
- मुख्यमंत्री-संपर्क: नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जे.पी. नड्डा एवं नीतीश कुमार—सम्मानजनक सहयोग
चुनौतियां एवं आलोचनाएं

- कुछ आलोचकों ने आरोप लगाया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रोजेक्ट सीमित संसाधन एवं भ्रष्टाचार से बाधित हुए, हालांकि यादव पार्टियों पर जवाबदेही से अपनी भूमिका निभाते रहे.
- विकास परियोजनाओं की अव्यवस्था एवं समय‑सीमा की चुनौतियां—जिन्हें उन्होंने कार्य दल व निगरानी समितियों से नियंत्रित करने की कोशिश की. स्पीकर रहते विधानसभा की कार्यवाही में पारदर्शिता और समयबद्ध बंदोबस्ती पर जोर दिया.
निष्कर्ष
नंद किशोर यादव का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है. छात्र राजनीति से लेकर विधान सभा अध्यक्ष बनने तक की उनकी यात्रा बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. वे आज भी समाज और प्रदेश के विकास के लिए सक्रिय हैं और उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. उनका राजनीतिक सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श है.