‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर संसद में होगी सियासी नोंकझोंक, पूरे दिन रहेगी इस पर नजर

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर संसद में होगी सियासी नोंकझोंक, पूरे दिन रहेगी इस पर नजर

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, December 17, 2024

One Nation, One Election
One Nation, One Election

संसद के शीतकालीन सत्र में आज 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश, एक चुनाव) के मुद्दे पर जोरदार बहस होने की संभावना है। यह विषय भारतीय लोकतंत्र के ढांचे में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, और इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक देखने को मिल सकती है।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Tuesday, December 17, 2024

केंद्र सरकार इस प्रणाली को लागू करने के लिए आवश्यक संवैधानिक और कानूनी संशोधनों पर चर्चा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर होने वाले खर्च और समय की बचत हो सकेगी।

विपक्ष की आपत्तियां

विपक्षी दल इस प्रणाली को भारतीय संघीय ढांचे के लिए खतरा मान रहे हैं। उनका कहना है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) देश की विविधता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है। विपक्षी दलों ने इसे राज्यों के अधिकारों का हनन बताते हुए इस पर आपत्ति जताई है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “ये संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है। संविधान की जो मूलभूत भावना है कि हमारा जो संघीय ढांचा है वो संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य बराबर के हिस्सेदार हैं ये बिल पूरी तरह से इसके खिलाफ है इसलिए हम शुरू से इसका विरोध करते आ रहे हैं।”

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, “हम इस विधेयक का कड़ा विरोध करते हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने 17 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का विरोध क्यों और किस कारण कर रही हैं। हम वन नेशन, वन इलेक्शन के विधेयक को संविधान के खिलाफ मानते हैं…लोकतंत्र को हटाने के लिए यह चलाया जा रहा है…वन नेशन, वन इलेक्शन संविधान बदलने का एक बिगुल है।”

सरकार का पक्ष

सरकार का दावा है कि यह प्रणाली देश के विकास को तेज करने में मदद करेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बार-बार चुनाव कराने से शासन में बाधा आती है और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से यह समस्या दूर होगी। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ देश चाहता है कांग्रेस बिना बात का मुद्दा बना रहे हैं। कांग्रेस कहता है कि ये असंवैधानिक है तो देश को जब आजादी मिली थी तब वन नेशन-वन इलेक्शन’ से ही शुरू किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी इतने लंबे समय तक पीएम रहें तो क्या कांग्रेस कहना चाहती है कि नेहरू जी असंवैधानिक पीएम थे? कांग्रेस बताए? उनको समझ नहीं आ रहा कि क्या मुद्दा बनाए।”

भाजपा सांसद संजय जयसवाल ने कहा, “…इस देश के पूर्व राष्ट्रपति के अध्यक्षता में एक समिति बनी। उस समिति ने सभी लोगों से बात करके एक निर्णय पर पहुंची है और उसको कैबिनेट ने मंजूरी दी। मुझे लगता है हर सांसद को खुले दिल से  विचार करना चाहिए। संसद बनी ही है कि हम कानून को ढंग से लागू कर सके….वो लोग क्यों विरोध कर रहे हैं इस पर बात करें।”

क्या है चुनौतियां?

  • संविधान में संशोधन: इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी।
  • लॉजिस्टिक और प्रशासनिक तैयारी: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव एक साथ कराने के लिए संसाधनों की भारी जरूरत होगी।
  • राज्यों की सहमति: यह प्रणाली तभी सफल हो सकती है, जब सभी राज्य इसे स्वीकार करें।

पूरे दिन रहेगी नजर

संसद में इस मुद्दे पर तीखी बहस के साथ-साथ कानूनी, राजनीतिक और संवैधानिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच इस पर क्या सहमति बनती है या यह एक लंबे सियासी मुद्दे के रूप में उभरता है।

देशभर के राजनीतिक विशेषज्ञ और जनता की निगाहें इस बहस पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह भारतीय राजनीति के भविष्य को आकार देने वाला अहम मुद्दा साबित हो सकता है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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