Pappu Yadav Biography: बिहार की राजनीति को अपने इशारों पर चलाने वाला बाहुबली नेता

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Wednesday, August 6, 2025

Updated On: Wednesday, August 6, 2025

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Pappu Yadav Biography in Hindi: बिहार में जब भी बाहुबलियों की बात होती है तो एक-दो नहीं बल्कि कई नाम सामने आते हैं. इन्हीं में से एक नाम राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का है. आज लोगों के लिए मसीहा हैं तो कभी बाहुबली हुआ करते थे. ऐसे-ऐसे काम किए कि जेल तक जाना पड़ा. 17 साल तक उन्होंने जेल में समय बिताया है. हत्या, किडनैपिंग, मारपीट और बूथ कैप्चरिंग जैसे दर्जनों मामले पप्पू यादव के खिलाफ दर्ज हैं. देखा जाए तो पप्पू यादव के विवादों की फेहरिस्त उनके राजनीतिक करियर से बड़ी है. इस लेख में हम पप्पू यादव की बाहुबली छवि, राजनीतिक सफर, विवादों तथा संघर्षों को जानेंगे.



Authored By: Ranjan Gupta

Updated On: Wednesday, August 6, 2025

इस लेख में:

बिहार की राजनीति में पप्पू यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे कई बार सांसद रह चुके हैं और आपदाओं व सामाजिक मुद्दों पर उनके सक्रिय योगदान ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया. बिहार की सियासत में जहां जातीय समीकरण और बाहुबल की राजनीति प्रमुख रही है, वहां पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने कभी इन दोनों का इस्तेमाल किया, तो कभी इनके विरुद्ध भी खड़े हुए. उनकी छवि समय के साथ बदली और आज वे एक ऐसे नेता के रूप में देखे जाते हैं जो व्यवस्था को चुनौती देने का माद्दा रखते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पप्पू यादव से जुड़ा वह पहलू जिसमें बाहुबली छवि भी है, विवाद भी है और संघर्ष भी.

पप्पू यादव की संपूर्ण जीवनी का अवलोकन

Pappu Yadav's Complete Biography
विवरण जानकारी
पूरा नाम पप्पू यादव (राजेश रंजन)
उम्र 56 साल
जन्म तारीख 24 दिसंबर, 1967
जन्म स्थान खुर्दा, बिहार, भारत
शिक्षा बीए
कॉलेज बी एन मंडल विश्वविद्यालय
वर्तमान पद सांसद
व्यवसाय राजनीतिज्ञ, व्यापार
राजनीतिक दल स्वतंत्र
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पिता का नाम चंद्र नारायण प्रसाद
माता का नाम शांति प्रिया
पत्नी का नाम रंजीत रंजन

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पप्पू यादव का जन्म 24 दिसंबर 1967 को बिहार के मधेपुरा जिले के खुर्दा करवेली गांव में एक जमींदार और अमीर परिवार में हुआ था. उन्होंने आनंद मार्ग स्कूल,आनंद पल्ली (सुपौल) से पढ़ाई की. उन्होंने बी एन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा से राजनीति विज्ञान में स्नातक और इग्नू से आपदा प्रबंधन और मानवाधिकार में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रखी है. पप्पू यादव उनका निक नेम है जबकि राजेश रंजन उनका आधिकारिक नाम है लेकिन उपनाम पप्पू बचपन में उनके दादा ने दिया था.

राजनीतिक सफर

पहली बार बनें विधायक

पप्पू यादव का नाम राजनीति के गलियारों में सबसे पहली बार साल 1990 में सुनाई दिया. जब वे विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल किया. उसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा. मारधाड़ से भरपूर. तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे. हालांकि, पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी. पहली बार विधायक बनने वाले पप्पू यादव ने बहुत कम वक्त में कोसी बेल्ट के कई जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा लिया. उन्होंने मधेपुरा नहीं बल्कि पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, कटिहार जिलों में अपने समर्थकों का मजबूत नेटवर्क खड़ा कर लिया.

सांसद बनने पर फोकस

इस जीत के बाद पप्पू की राजनीति राज्य से ऊपर केंद्र पर केंद्रित हो गई और पप्पू ने 1991 का लोकसभा चुनाव हुआ तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ा. बाहुबली उम्मीदवार के नाम से विख्यात पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय ही जीत गए.

संसद सदस्यता रद्द

इसके बाद वो फिर से 1996 और 1999 में भी पूर्णिया से ही जीत कर सांसद बने. उन दिनों जब बिहार में लालू यादव का बोलबाला था, तब पप्पू यादव भी इस पार्टी में शामिल हो गए. बाद में 2004 में पप्पू यादव आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा और जीत कर चौथी बार सांसद बने. लेकिन वर्ष 2008 में उनपर चल रहे हत्या के मामले में फैसला आने के बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई और वो जेल चले गए. लेकिन वर्ष 2013 में उन्हें पटना हाई कोर्ट ने साक्ष्य नहीं होने के कारण हत्या के मामले में बेल दे दिया इससे पप्पू को फिर से राजनीति करने का अवसर मिल गया.

जन अधिकार पार्टी का गठन

पप्पू ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और 2014 का लोकसभा चुनाव फिर से आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से लड़ा और इस बार फिर जीत गए. पप्पू की यह पांचवी जीत थी. हालांकि 7 मई 2015 को लालू यादव ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था. उनके ऊपर आरोप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का था. इसके बाद पप्पू यादव की आजेडी से दुरी बढ़ने लगी और मात्र एक वर्ष बाद 2015 में पप्पू यादव आजेडी छोड़कर अपनी एक अलग पार्टी बना ली नाम रखा,- ‘जन अधिकार पार्टी’.

छठी बार बनें सांसद

पप्पू 2019 का लोकसभा चुनाव अपनी ही पार्टी से लड़ा पर इस बार वो हार गए. बाद में पप्पू ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया और फिर कांग्रेस के टिकट पर महागठबंधन से 2024 का लोकसभा चुनाव पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से लड़ा, जिसमें पप्पू यादव की जीत हुई. यह छठी बार है जब पप्पू यादव सांसद बनें. वैसे पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस से ही है और इस समय वह राज्यसभा सांसद है.

पप्पू यादव की राजनीतिक यात्रा पर एक दृष्टि

वर्ष निर्वाचन क्षेत्र पार्टी/स्थिति परिणाम विशेष विवरण
1990 सिंहेश्वर (विधानसभा) निर्दलीय विजयी पहली बार विधायक बने
1991 पूर्णिया (लोकसभा) निर्दलीय विजयी पहली बार सांसद बने
1996 पूर्णिया (लोकसभा) समाजवादी पार्टी विजयी दूसरी बार सांसद बने
1998 पूर्णिया (लोकसभा) समाजवादी पार्टी पराजित लोकसभा चुनाव हारे
1999 पूर्णिया (लोकसभा) निर्दलीय विजयी तीसरी बार सांसद बने
2004 मधेपुरा (लोकसभा) राष्ट्रीय जनता दल विजयी चौथी बार सांसद बने
2014 मधेपुरा (लोकसभा) राष्ट्रीय जनता दल विजयी पांचवीं बार सांसद बने
2019 मधेपुरा (लोकसभा) जन अधिकार पार्टी पराजित निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा
2024 पूर्णिया (लोकसभा) INDIA गठबंधन विजयी छठी बार सांसद बने

विवाद और चुनौतियां

अजीत सरकार की हत्या का आरोप

बाहुबली पप्पू यादव का विवादों से गहरा नाता रहा है. वह अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते है. पप्पू यादव पर साल 1998 में सीपीएम नेता अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया तथा साल 2008 में विशेष सीबीआई अदालत ने पप्पू यादव और दो अन्य को सीपीआई नेता की हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण पटना हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को मई 2013 में जेल से रिहा करने आदेश दे दिया.

आनंद मोहन और पप्पू यादव की अदावत

नब्बे के दशक में बिहार में दो बाहुबलियों का नाम काफी जोर-शोर से लिया जाता था. इनमें एक थे पप्पू यादव और दूसरे थे आनंद मोहन. एक बैकवर्ड का नेता थे, तो दूसरे फॉरवर्ड का नेता. यादवों और राजपूतों के वर्चस्व की जंग में एक दूसरे की जान के दुश्मन बने पप्पू यादव और आनंद मोहन के बीच कई बार भिड़ंत भी हुई. 1990 के विधानसभा चुनावों में पहली बार मधेपुरा से पप्पू यादव विधायक बने तो सहरसा से आनंद मोहन सिंह. मंडल कमीशन के विरोध के चलते आनंद मोहन सिंह सवर्णों के लीडर के तौर पर उभरे तो उधर पप्पू यादव मंडल कमीशन के समर्थन के चलते बैकवर्ड कम्यूनिटी के लीडर के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब हुए. हालांकि, समय बदला और दोनों के राह अलग हो गए. फ़िलहाल आनंद मोहन सिवान के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में आजीवन सजा काट रहे है.

अपहरण का केस

पप्पू यादव साल 2015 में भी चर्चा में आए. इस बार उनकी चर्चा एक एयरहोस्टेस को चप्पल से पीटने की वजह से हुई तो मई 2021 में 32 साल पुराने एक अपहरण केस में उनका नाम खूब उछला. यही नहीं उन्हें कोरोना काल में COVID-19 मानदंडों के उल्लंघन के आरोप में भी गिरफ्तार किया गया था. उस समय वह एंबुलेंस के कुप्रबंधन को लेकर बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिए थे.

“बाहुबली छवि के लिए लालू यादव जिम्मेदार” 

कभी लालू यादव के बेहद करीबी रहने वाले और अपने आप को लालू का राजनीतिक उत्तराधिकारी बताने वाले पप्पू यादव ने अपनी इस बाहुबली छवि के लिए सीधे लालू यादव को दोषी ठहराया था. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, ‘मैं तो एक साधारण छात्र था. लालू का प्रशंसक था. उनको अपना आदर्श मानता था, लेकिन लालू मेरे साथ बार-बार छल करते गए. मुझे बिना अपराध किए ही कुर्सी का नाजायज फायदा उठाते हुए कुख्यात और बाहुबली बना दिया.

निजी जीवन

कभी लालू यादव के बेहद करीबी रहने वाले और अपने आप को लालू का राजनीतिक उत्तराधिकारी बताने वाले पप्पू यादव ने अपनी इस बाहुबली छवि के लिए सीधे लालू यादव को दोषी ठहराया था. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, ‘मैं तो एक साधारण छात्र था. लालू का प्रशंसक था. उनको अपना आदर्श मानता था, लेकिन लालू मेरे साथ बार-बार छल करते गए. मुझे बिना अपराध किए ही कुर्सी का नाजायज फायदा उठाते हुए कुख्यात और बाहुबली बना दिया.

निष्कर्ष

भले ही पप्पू यादव कई बार विवादों में रहे हों, लेकिन उनकी सामाजिक सक्रियता, सेवा भावना और दबंग अंदाज ने उन्हें लोगों के बीच एक विशेष पहचान दी है. वे आज भी बिहार की राजनीति में एक मजबूत विकल्प और जनभावनाओं के प्रतिनिधि माने जाते हैं. भविष्य में यदि बिहार की राजनीति में कोई नई धारा उभरती है, तो उसमें पप्पू यादव की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

FAQ

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सांसद और जन अधिकार पार्टी के संस्थापक हैं.

हां, वे 6 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं.

हां, 1998 के एक हत्याकांड में वे दोषी पाए गए थे लेकिन बाद में बरी हो गए.

जन अधिकार पार्टी जो उन्होंने 2015 में स्थापित की थी.

उन्होंने कोविड और अन्य आपदाओं में राहत कार्य, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर उल्लेखनीय काम किया है.



About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
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