Sunny Deol Famous Dialogue in Hindi: जब हर लफ़्ज़ बन गया था आंदोलन
Authored By: Sharim Ansari
Published On: Wednesday, July 23, 2025
Updated On: Wednesday, July 23, 2025
Sunny Deol के डायलॉग सिर्फ शब्द नहीं हैं — ये एक दौर की धड़कन हैं. 'तारीख पर तारीख' से लेकर 'ढाई किलो का हाथ' तक, हर डायलॉग में गूंजती है न्याय की पुकार, देशभक्ति का जोश और एक आम आदमी का संघर्ष. इस लेख में पढ़िए Sunny Deol famous Dialogue in Hindi जो आज भी उतने ही ताज़ा लगते हैं, जितने पर्दे पर पहली बार गूंजे थे. अगर आप सनी देओल के फैन हैं या 90s के सिनेमा की गर्माहट को महसूस करना चाहते हैं — तो ये लेख आपके लिए ही है.
Authored By: Sharim Ansari
Updated On: Wednesday, July 23, 2025
बॉलीवुड में कई अभिनेता आए और गए, लेकिन कुछ चेहरे और उनकी आवाज़ें ऐसी होती हैं जो दर्शकों के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं. ऐसे ही एक अभिनेता हैं सनी देओल. अपनी बुलंद आवाज़, गुस्से से भरे डायलॉग और जबरदस्त एक्शन के लिए मशहूर सनी देओल ने न सिर्फ 80 और 90 के दशक की फिल्मों को नई ऊर्जा दी, बल्कि डायलॉग अदायगी को भी एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया.
Sunny Deol Famous Dialogue in Hindi की बात करें, तो ये सिर्फ एक लाइन नहीं होती, ये एक एहसास होता है — कभी न्याय के लिए ललकार, कभी देशभक्ति की पुकार, तो कभी अपने प्यार के लिए लड़ने का जूनून.
इस लेख में हम उन्हीं मशहूर डायलॉग्स का ज़िक्र करेंगे जो आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं और जो हर दौर में प्रासंगिक लगते हैं.
धर्मेंद्र के अमर डायलाग

“झूठ और फ़रेब से जो जितनी भी ऊँचाई पर खड़ा होता है… उसे एक दिन उतना ही नीचे देखना पड़ता है.” — खेल (2003)
“मर्द मरता है तो अपनी आँखें तिरंगे की तरफ़ करके मरता है… और ये सोचता है कि फिर से इस देश के लिए कब पैदा होऊँ.” — जो बोले सो निहाल (2005)
“बली हमेशा बकरे की दी जाती है… शेर की नहीं.”— सिंह साब द ग्रेट (2013)
“मरते हुए को कभी रोकने का नहीं… दुश्मन ग़लती करे तो टोकने का नहीं… और यार की आइटम को कभी छूने का नहीं.”— डिशकियाऊँ (2014)
“चाहे हमें एक वक़्त की रोटी न मिले, बदन पर कपड़े न हों, सिर पर छत न हो… लेकिन जब देश की आन की बात आती है… तब हम जान की बाज़ी लगा देते हैं.” — इंडियन (2001)
“नो इफ़ नो बट… सिर्फ़ जट्ट.” — जो बोले सो निहाल (2005)
“तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़ मिलती रही है… लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला माय लॉर्ड, इंसाफ़ नहीं मिला… मिली है तो सिर्फ़ ये तारीख़.”— दामिनी (1993)
“हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है, और ज़िंदाबाद रहेगा!” — गदर: एक प्रेम कथा (2001)
“मर्द बनने का इतना शौक है… तो कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे.” — फ़िल्म: घातक (1996)
“अगर मैं अपने बीवी-बच्चों के लिए सर झुका सकता हूँ… तो मैं सबके सर काट भी सकता हूँ.”— गदर: एक प्रेम कथा (2001)
“एक कागज़ पर मुहर नहीं लगेगी… तो क्या तारा पाकिस्तान नहीं जाएगी?” — गदर: एक प्रेम कथा (2001)
“बरसात से बचने की हैसियत नहीं… और गोलीबारी की बात कर रहे हैं आप लोग.” — गदर: एक प्रेम कथा (2001)
“जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता है ना… तो आदमी उठता नहीं… उठ जाता है.”— दामिनी (1993)
“झक मारती है पुलिस, उतार कर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में… यू बास्टर्ड्स!”— घायल (1990)
“ये मज़दूर का हाथ है… लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है.”— घातक (1996)
“इन हाथों ने सिर्फ़ हथियार छोड़े हैं… चलाना नहीं भूले.” — जीत (1996)
“ऐसे खिलौने बाज़ार में बहुत बिकते हैं… मगर इससे खेलने के लिए जो जिगर चाहिए ना… वो दुनिया के किसी बाज़ार में नहीं बिकता… मर्द उसे लेकर पैदा होता है.”— दामिनी (1993)
“पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है.”— घातक (1996)
“मैदान में खुले शेर का सामना करोगे… तुम्हारे मर्द होने की ग़लतफ़हमी दूर हो जाएगी.”— दामिनी (1993)
“अगर आज ये जट्ट बिगड़ गया… तो सैकड़ों को ले मारेगा.”— गदर: एक प्रेम कथा (2001)
“ज़िंदगी का दूसरा नाम प्रॉब्लम है.”— बॉर्डर (1997)
“आने वाले चौबीस घंटों में तुम्हारे चौबीस टुकड़े करके… हर टुकड़े का अलग-अलग अंतिम संस्कार करूंगा.” — घायल (1990)
“जज ऑर्डर-ऑर्डर करता रहेगा… और तू पिटता रहेगा.” — दामिनी (1993)
“बली हमेशा बकरे की दी जाती है… शेर की नहीं.” — सिंह साब द ग्रेट (2013)
“हम ही हम हैं तो क्या हम हैं… तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो?”— बॉर्डर (1997)
“रिश्वतखोरी और मक्कारी ने तुम लोगों के जिस्म में मां के दूध का असर ही खत्म कर दिया है.” — घायल (1990)
“आदमी बड़ा हो या छोटा, कोई फ़र्क नहीं पड़ता… बस उसकी कहानी बड़ी होनी चाहिए.” — डिशकियाऊँ (2014)
“आज के बाद तेरी हर सांस के पीछे मैं मौत बनकर खड़ा हूँ.” — जीत (1996)
“पांच बजे के बाद देवा की अदालत शुरू होती है.” — जिद्दी (1997)
“इससे पहले कि मैं तुझे गद्दार करार देकर गोली मार दूं… भाग जा यहां से.”— बॉर्डर (1997)
“सर, आप अपनी फॉर्मेलिटीज़ पूरी कीजिए… मैं अपनी ड्यूटी पूरी करता हूं.” — माँ तुझे सलाम (2002)
“डराकर लोगों को वो जीतता है… जिसकी हड्डियों में पानी भरा होता है.”— घातक (1996)
“अंधे बहरों का शहर है ये… पत्थर हैं ये सब के सब… यहां तो बस सिर फोड़ा जा सकता है.”— घायल (1990)
“लाशें बिछा दूंगा… लाशें!”— जीत (1996)
“हम हाथ मिलाना भी जानते हैं, हाथ उखाड़ना भी… हम गांधीजी को भी पूजते हैं, चंद्रशेखर आज़ाद को भी… मैं भी पहले प्यार से समझाता हूं, फिर हथियार से.”— इंडियन (2001)/strong
“मैं तेरा वो हश्र करूंगा… कि तुझे अपने पैदा होने पर अफ़सोस होगा.” — घायल (1990)
“इंसानियत का मज़हब हर मज़हब से ऊंचा होता है.”— द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई (2003)
“जाकर दुम हिलाना उनके सामने… तलवे चाटना… बोटियाँ फेंकेंगे बोटियाँ!”— घायल (1990)
“चिल्लाओ मत… नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा… न तारीख़, न सुनवाई, सीधा इंसाफ़… वो भी ताबड़तोड़.”— दामिनी (1993)
“बिजली का वो झटका लगेगा… कि तू झटकना भूल जाएगा.” — दामिनी (1993)
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