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राजनीति में कैसे बनाएं करियर

राजनीति में कैसे बनाएं करियर

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Wednesday, April 17, 2024

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

pm modi speech on 78th independence day
pm modi speech on 78th independence day

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश की जनता को संबोधित करते हुए देश के युवाओं से एक बार फिर राजनीति में आने का आह्वान किया। इसके लिए उन्होंने ‘माई भारत मिशन’ के लक्ष्य के तहत एक लाख होनहार युवाओं को जनप्रतिनिधि के तौर पर पंचायतों, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं, विधानसभाओं और लोकसभा में आने की अपील की। आखिर देश को विकसित भारत की राह पर तेजी से आगे बढ़ाने और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाने के लिए युवाओं का राजनीति में आना क्यों है जरूरी और इसके लिए उन्हें किस तरह कदम आगे बढ़ाना चाहिए, आइए जानते हैं...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से फिर किया आह्वान, ‘माई भारत मिशन’ के तहत देश के एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना चाहते हैं आगे’।

  • इससे देश की राजनीति को परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति मिलेगी तथा लोकतंत्र समृद्ध होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) राजनीति को जातिवाद और परिवारवाद से मुक्ति दिलाने के लिए समय-समय पर युवाओं से राजनीति में आने का आह्वान करते रहे हैं। 78वीं स्वाधीनता दिवस (15 अगस्त, 2024) पर लगातार 11वीं बार (अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार) लाल किले (दिल्ली) पर तिरंगा फहराते हुए प्रधानमंत्री ने देश की जनता को दिए गए अपने रिकॉर्ड 98 मिनट के संबोधन में एक बार फिर देश के एक लाख सामान्य युवाओं से राजनीति में आने का आह्वान किया। आइए जानें, प्रधानमंत्री ने युवाओं से राजनीति में आने की अपील क्यों की और युवा इस दिशा में किस तरह कदम बढ़ा सकते हैं…

‘माई भारत मिशन’ युवाओं को करेगा राजनीति में आने को प्रेरित

युवाओं से राजनीति में आने का आह्वान करते हुए उन्होंने इसे एक नए मिशन का नाम भी दिया… माई भारत मिशन। इस बारे में उन्होंने परिवारवाद और जातिवाद से लोकतंत्र को बहुत नुकसान होने की बात करते हुए राजनीति को इन दोनों से मुक्ति दिलाने की बात भी कही। इस लक्ष्य के लिए प्रधानमंत्री ने ‘माई भारत मिशन’ की चर्चा करते हुए कहा कि जल्द ही देश के राजनीतिक जीवन में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नवजवानों को आगे लाना चाहते हैं, जिनके परिवार में किसी की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि न रही हो। ऐसे होनहार नवजवान देश की ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं के साथ-साथ विधानसभा और लोकसभा में आएं। इससे देश की राजनीति को जातिवाद और परिवारवाद से मुक्ति मिल सकेगी। इससे हमारा लोकतंत्र भी समृद्ध होगा। उनके अनुसार, जरूरी नहीं कि सभी युवा एक ही राजनीतिक दल में जाएं, उन्हें जो दल पसंद हो, उसमें जाएं।

पीएम पहले भी कर चुके हैं अपील

प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी युवाओं से राजनीति में आने की अपील करते रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के बीच भी इसकी खूब चर्चा हुई थी। दरअसल, अभी तक राजनीति को पावर, पैसा और सामाजिक रुतबे की नजर से ही देखा जाता रहा है। होनहार युवा अभी तक इसमें शायद ही कभी करियर बनाने के बारे में सोचते थे। पर प्रधानमंत्री की अपील के बाद देश के प्रतिभाशाली युवाओं को भी इस बारे में सोचने को मजबूर होना पड़ा है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश के लोकतंत्र को समृद्ध व मजबूत करने के लिए ईमानदार व समर्पित युवाओं का राजनीति में आना आवश्यक समझा जा रहा है। उनके आने से न केवल परिवारवार व जातिवादवाद को राजनीति में बढ़ावा देने से रोका जा सकेगा, बल्कि आगे को माना जा रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ऐसे युवाओं का राजनीति में आना आवश्यक है, जो देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हों।

लीडर बनने की राह पर कैसे बढ़ें आगे

पहले के जमाने में कहा जाता था कि लीडर्स बनाए नहीं जाते, वे जन्मजात होते हैं यानी उनके भीतर नेतृत्व करने के गुण जन्म से ही होते हैं, पर यह धारणा अब बदल रही है। लोग अब समुचित पढ़ाई करके, कोर्स करके और प्रशिक्षण लेकर लीडरशिप या राजनीति के लिए आगे आ रहे हैं। दरअसल, नई संभावनाओं के साथ आज की राजनीति युवाओं को पेशेवर रूप से नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में भी मदद कर रही है। राजनीति, सरकार और समाज कैसे कार्य करता है, यह सीखने और विश्लेषण करने में रुचि रखने वालों के लिए यह क्षेत्र सबसे अच्छा विकल्प है।

पिछले 20-25 वर्षों में राजनीति में बहुत बदलाव आ गया है। आज की राजनीति दिखावे की ज्‍यादा हो गई है। परिवारवाद और पूंजीवाद के बीच का गठजोड़ अब राजनीति में ज्‍यादा हावी हो गया है। इससे विचारधारा की राजनीति एक तरह से हाशिए पर हो गई है। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो गया है कि देश को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाने की ईमानदार सोच रखने वाले युवा राजनीति में आएं, जो जिम्मेदारी के साथ लोगों की वास्तव में सेवा करना चाहते हैं। उनकी भलाई के लिए कुछ करना चाहते हैं। जब ऐसी सोच वाले और सैद्धांतिक राजनीति करने वाले युवा आगे आएंगे, तभी समाज में अमीर और गरीब के बीच की बढ़ती खाई को कम किया जा सकेगा। ऐसे युवाओं के राजनीति में आने से ही गरीबी दूर हो सकेगी और लोगों को भूखा नहीं सोना पड़ेगा।

हो जनता की सेवा के प्रति समर्पण भाव

राजनीति में करियर बनाना और देश की सेवा करना चाहते हैं, तो आपको पहले समाज और लोगों के बीच अपनी जगह और पहचान बनानी होगी। यह तभी संभव है, जब आप समाज के लिए कुछ करेंगे, तभी समाज भी आपको कुछ देगा। यदि यह सोचकर आएंगे कि पांच साल या 10 साल में ही नेता, एमपी या एमएलए बन जाऊं, तो यह संभव नहीं है। खासकर आज की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में। फिलहाल, जो लोग जल्‍दबाजी में हैं, बहुत कम समय में ही सबकुछ चाहते हैं, उनके लिए यह क्षेत्र नहीं है।

सीखें मूल्य और कौशल

आज बहुत से युवा राजनीति में आना तो चाहते हैं, लेकिन उन्‍हें इसका रास्‍ता नहीं पता है। इसके लिए आज के समय में कई संस्थान कोर्स संचालित कर रहे हैं, जहां फैकल्‍टी के रूप में तमाम एमपी, एमएलए आते हैं, उनसे उन्‍हें मिलने का मौका मिलता है। उनसे नेटवर्क बनाने का अवसर मिलता है। साथ ही वहां यह भी बताया जाता है कि कम पैसे में कोई अभियान कैसे चलाएं। कम पैसे में राजनीति कैसे करें। अपने पैसों का स्रोत कैसे बनाएं इत्‍यादि। इसके अलावा, हमारे इन कार्यक्रमों में मूल्‍यों के बारे में बात होती है कि राजनीति में आने का उद्देश्य क्‍या है, इसमें क्‍यों आना चाहते हैं। कुल मिलाकर, इन कार्यक्रमों के जरिये उम्‍मीदवारों को यह बताने और समझाने की कोशिश की जाती है कि जब तक आप मूल्‍य आधारित राजनीति नहीं करेंगे, तब तक समाज आपका साथ नहीं देगा। आज के समय में यह थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन देश में अभी भी ऐसे लोग हैं, जो बहुत दिल से और बढिया काम कर रहे हैं। खासकर छोटे स्तर पर जिला परिषद, सरपंच और पंचायत स्‍तर पर लोग, खासकर युवा और महिलाएं ईमानदारी से राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं। मुद्दों पर आधारित राजनीति कर रहे हैं।

तरक्की के लिए खास गुण

आज के समय में कौशल हर काम के लिए आवश्यक है। चाहे वह सोशल मीडिया की जानकारी रखने की बात हो या पैसा जुटाने की समझ हो। इसके अलावा, आपका सामाजिक जुडा़व कैसा है। क्‍या आपको अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में पता है? क्‍या आपको स्थानीय मुद्दों की समझ है? यह सब राजनीति में आने के लिए बहुत मायने रखता है। राजनीति में आने के लिए छह पूंजियों की जरूरत है। यदि आप भी राजनीति में सफल होना चाहते हैं या प्रभावशाली बनना चाहते हैं, तो ये छह पूंजियां आपको अपने अंदर विकसित करनी होंगी। इनमें पहली है-सामाजिक पूंजी। क्षेत्र में आपकी व्‍यक्तिगत पहचान क्‍या है? चुनाव में आपके साथ आपके क्षेत्र के कितने परिवार-लोग खड़े रहेंगे? इस क्षेत्र में आने के लिए दूसरी जरूरत है बौद्धिक पूंजी की यानी आपको स्थानीय मुद्दों की समझ कितनी है। तीसरी पूंजी नेटवर्क कैपिटल है यानी सिविल सोसायटी संगठन, मीडिया या तहसील के लोगों के साथ आपका जुड़ाव कैसा है। इस क्षेत्र के लिए चौथी जरूरत है राजनीतिक पूंजी यानी पार्टी के तहसील या जिले स्‍तर के पदाधिकारियों के साथ आपका कैसा संबंध है? इसके साथ ही फाइनेंशियल कैपिटल यानी आर्थिक रूप से आप कितने सक्षम हैं। राजनीति में आने के लिए यह काफी महत्‍व रखता है। क्‍या आपका सामाजिक दायरा ऐसा है कि लोग आपको चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक सहयोग देंगे? राजनीति की आवश्‍यकताओं और बदलावों को देखते हुए इन सब के बारे में जानने सीखने की आवश्यकता होती है।

कोर्स एवं आवश्यक योग्‍यता

राजनीति में आने के लिए भी कोर्स और प्रशिक्षण की उतनी ही जरूरत है, जितनी अन्‍य क्षेत्रों के लिए। जो युवा राजनीति में आना चाहते हैं, वे भी इसकी पढ़ाई और प्रशिक्षण लेकर आत्मविश्वास के साथ इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। कई संगठनों/संस्थानों द्वारा अब इस तरह के कोर्सों की शुरुआत हो गई है। इसमें से एक प्रमुख कोर्स है प्रोग्राम द गुड पालिटिशियन, जिसकी अवधि नौ माह की है। इसे आनलाइन और आफलाइन दोनों माध्‍यम से किया जा सकता है। प्रवेश साक्षात्कार और स्‍क्रीनिंग के आधार पर होता है। यह प्रोग्राम मुख्‍य रूप से उन लोगों के लिए है, जो पहले से राजनीति में सक्रिय हैं। कोई चुनाव लड़ चुके हैं या आगे लड़ना चाहते हैं। कोर्स की फैकल्‍टी के रूप में अलग-अलग राजनीतिक दलों के सांसद, विधायक अपने अनुभव उम्‍मीदवारों के साथ साझा करके उनका मार्गदर्शन करते हैं। दूसरा कोर्स सी रिप्रेंजेंट्स नाम से है, जो केवल निर्वाचित महिला सरपंचों आदि के लिए है। इसमें नवनिर्वाचित उम्‍मीदवारों को यह सिखाया जाता है कि वे चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र में कैसे काम करें। तीसरा कोर्स डेमोक्रेसी एक्‍सप्रेस नाम से है। नौ दिन की अवधि का यह प्रोग्राम महिला और पुरुष दोनों ही उम्‍मीदवारों के लिए है। इसमें अभ्यर्थियों को चुनाव के दौरान वास्तविक उम्मीदवारों के साथ क्षेत्र में ले जाकर लाइव प्रशिक्षण दिया जाता है। अन्य कोर्सों के नाम हैं : लीडरशिप एंड मैनेजमेंट, गवर्ननेंस एंड पब्लिक पॉलिसी, पॉलिटिक्स एंड डेमोक्रेसी आदि।

इसके अलावा, विभिन्न संस्थानों द्वारा संचालित किए जाने वाले अन्य कोर्स भी हैं, जिसे युवा ज्वाइन कर सकते हैं। बेहतर होगा कि कोई भी कोर्स स्नातक के बाद ही करें। यदि बारहवीं के बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ने का मन है, तो बेहतर होगा कि पालिटिकल साइंस से ऑनर्स करें या ग्रेजुएशन प्रोग्राम में एक विषय के रूप में इसे चुनें। इस प्रक्रिया में राजनीतिक की राजनीतिक घटनाओं पर नजदीकी नजर रखते हुए उसे समझें, सीखें। वरिष्ठ राजनेताओं, राजनीतिक विश्लेषकों आदि से भी मार्गदर्शन लेकर आगे बढ़ा जा सकता है।

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।
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